लखीमपुर खीरी हिंसा: केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी ने बेटे पर लगे आरोपों का दिया जवाब

मोहित शर्मा

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लखीमपुर खीरी हिंसा में किसानों को कथित तौर पर गाड़ियों से रौंदने और फायरिंग के मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी का बयान सामने आया है. उन्होंने दावा किया है कि उनके बेटे घटनास्थल के आसपास भी नहीं थे, बल्कि वह कार्यक्रम स्थल पर थे. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने इसके उलट दावा किया है कि किसानों के आंदोलन में शामिल हुए कुछ अराजक तत्वों ने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के कार्यक्रम में जा रहे कार्यकर्ताओं के काफिले पर पत्थर चलाए.

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने कहा है कि इस पत्थरबाजी में काफिले की एक गाड़ी पलट गई. उन्होंने दावा किया कि किसानों के आंदोलन में शामिल अराजक तत्वों ने पीट-पीटकर 3-4 बीजेपी कार्यकर्ताओं को मार दिया है.

बेटे पर लगे आरोपों पर क्या कहा?

आपको बता दें कि लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) और संयुक्त किसान मोर्चा ने अजय मिश्रा टेनी के बेटे पर आरोप लगाए हैं. उन्होंने किसानों को गाड़ियों से रौंदने और फायरिंग कर जान लेने का आरोप लगाया है. केंद्रीय गृह राज्यमंत्री ने कहा कि ‘निरर्थक और झूठ बात है, हमारे कार्यकर्ता चीफ गेस्ट को रिसीव करने जा रहे थे. हमारे बेटे का सवाल है, तो यह कार्यक्रम ओपन में था, हमारे बेटे 11 बजे से कार्यक्रम के समापन तक कार्यक्रम स्थल पर ही मौजूद थे. इस बात के हजारों गवाह मौजूद हैं.’

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उन्होंने कहा, ‘मेरे हिसाब से यह हुआ कि कुछ अराजक तत्व आ गए, उन्होंने हिंसा फैलाने की कोशिश की. बीजेपी कार्यकर्ताओं को पीटा गया है. किसान आंदोलनों को जिम्मेदार लोगों से कहना चाहता हूं कि अराजक तत्व इस आंदोलन में शामिल हो रहे हैं.’ उन्होंने दावा किया कि तलवारों और डंडों से हमला कर बीजेपी के 3-4 कार्यकर्ताओं की जान ले ली गई है.

संयुक्त किसान मोर्चे की मांग, गृह राज्य मंत्री को बर्खास्त किया जाए

संयुक्त किसान मोर्चा ने लखीमपुर खीरी की हिंसा को लेकर रविवार शाम एक आपातकालीन प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया. इसमें मोर्चे की तरफ से बोलते हुए योगेंद्र यादव ने कहा, ‘संयुक्त किसान मोर्चे की तरफ से हमने मांग की है कि भारत के गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी को तुरंत बर्खास्त किया जाए, वह किसानों पर हमला करवा रहे हैं. उनके बेटे और साथ जुड़े जितने गुंडों का नाम आया है उनके खिलाफ 302 का मुकदमा दायर हो. लेकिन इसकी जांच यूपी पुलिस, प्रशासन न करे. सुप्रीम कोर्ट के जज इसकी जांच करें.’

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