बुंदेलखंड में किसानों के सामने भारी मुसीबत, खरीफ के बाद अब रवि की फसल पर बारिश का कहर!

नाहिद अंसारी

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Bundelkhand News: यूपी में बुंदेलखंड के हमीरपुर और महोबा जिलों में अक्टूबर महीने में लगातार हो रही भारी बारिश से खेत पानी से लबालब भरे हुए हैं. इसके कारण किसान बेहद परेशान हैं, क्योंकि इस इलाके में अक्टूबर के पहले हफ्ते में गेंहू, चना, मटर, मसूर, सरसों आदि फसलों की बुआई शुरू हो जाती है. पर इस साल बारिश के चलते खेतों में भरा पानी बुआई-बखराई नहीं होने दे रहा है. यहां जिस ढंग से खेत पानी से भरे हुए हैं, उसे देख कर तो यही लगता है कि अब रवि की फसल की बुआई 15 नवंबर के बाद ही शुरू हो पाएगी, जिससे फसल पिछड़ जाएगी और पैदावार में भी भारी असर पड़ेगा.

आपको बता दें कि हमीरपुर और महोबा जिलों में लगातार हो रही बारिश ने जनजीवन अस्तव्यस्त किया हुआ है, जबकि इस इलाके में बीते दिनों हुई बारिश से लबालब हुए खेत अभी सूखे नहीं हैं. ऐसे में रवि की फसल की बुआई लेट होने के आसार हैं. जबकि खरीफ की फसल का पहले ही नुक्सान हो चुका है. इन हालात में किसानों के माथे पर बल पड़ने लगा है.

हमीरपुर सहित आसपास के जिलों में मौसम ने एक बार फिर करवट ली है और बीते तीन दिन से यहां बारिश हो रही है और 12 अक्टूबर तक बारिश होने का अनुमान लगाया गया है. ऐसे में जहां दशहरा का त्योहार फीका रहा, तो अब बारावफात का त्योहार भी फीका रहने के आसार दिख रहे हैं. ऐसे में आम लोगों का जन जीवन भी अस्तव्यस्त होकर रह गया है. तो वहीं, किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें दिखनी शुरू हो गईं हैं, क्योंकि किसान पहले से ही खरीफ की फसल का नुक्सान खाए बैठा है. अब रवि की फसल की बुआई भी लेट हो रही है.

बता दें कि हमीरपुर जिला जो खेती किसानी पर आधारित जिला है, यहां पानी की कमी की वजह से किसान साल में सिर्फ दो ही फसलें पैदा कर पाता है. इस साल समय से बारिश नहीं हुई, जिसकी वजह से आधे से अधिक किसानों ने खरीफ की फसल नहीं बोई और नदी के आसपास के इलाकों में जिन्होंने खरीफ की फसल बोई थी वह बाढ़ की भेंट चढ़ गई. अब जब रवि की फसल बोने का समय आया तो बारिश पीछा नहीं छोड़ रही. यहां हजारों भीघा खेत पानी से जलमग्न हैं, जिसकी वजह से रवि की फसल भी लेट होगी और दिसंबर तक बुवाई के हालात बन सकेंगे.

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हमीरपुर जिले के उप निदेशक कृषि हरिशंकर सिंह ने बताया की अकेले हमीरपुर जिले में ढाई लाख हेक्टेयर में रवि की फसल बोई जाती है, जिसमें मुख्य रूप से दलहनी और तिलहनी फसलों में गेंहू, चना, मटर, सरसो और मसूर शामिल है.

उन्होंने आगे बताया की इस जिले में 15 अक्टूबर से दलहनी और तिलहनी फसलों की बुआई शुरू हो जाती है. पर इस साल अक्टूबर में हो रही बारिश से फसल की बुआई पिछड़ेगी तो जरूर पर फसलों में ज्यादा असर नहीं पड़ेगा.

वहीं जिले के किसान संतोष सिंह ने बताया की उन्होंने अपनी साठ साल की उम्र में कभी भी अक्टूबर के महीने में इतना पानी बरसते नहीं देखा है. किसान वारिस ने बताया की उनके खेतों में करीब एक फिट पानी भरा हुआ है. यह पानी कब सूखेगा और कब फसल बोई जाएगी, यह सिर्फ ऊपर वाला ही जानता है.

बुंदेलखंड के किसानों की मुसीबतें खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं, पिछले कई सालों से कभी सूखा, कभी बाढ़, कभी दैवीय आपदाओं ने उन्हें बरबाद और तबाह कर दिया है. इस साल समय पर बारिश न होने से खरीफ की फसल बोई ही नहीं जा सकी थी, तो अब रवि की फसल के वक्त अति वर्षा से फसलों की बुआई पिछड़ रही है.

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