'भूत' ने कराई FIR और पुलिस ने बयान लेकर बनाया गवाह...इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचा अनोखा केस
इलाहाबाद हाईकोर्ट के सामने एक ऐसा अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जिसने भी इस मामले को सुना वो हैरान रह गया. ये सुनने में भी अजीब लगेगा कि कोई भूत भी FIR करा सकता है.
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इलाहाबाद हाईकोर्ट के सामने एक ऐसा अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जिसने भी इस मामले को सुना वो हैरान रह गया. ये सुनने में भी अजीब लगेगा कि कोई भूत भी FIR करा सकता है. यहां मृतक व्यक्ति के नाम से सन 2014 में एक जमीन के विवाद में एक ही परिवार के पांच लोगों पर मुकदमा दर्ज कराया. इसमें मरने के तीन साल बाद शब्द प्रकाश नाम के व्यक्ति की तरफ से FIR दर्ज करा देने के बाद कुशीनगर के पुलिस विवेचना अधिकारी द्वारा उस शख्स का बयान भी दर्ज कर चार्जशीट दाखिल कर दी गई.
ये मामला जब हाईकोर्ट आया तो कोर्ट से सभी पहलू की जांच कर कुशीनगर एसपी से पूछा कि कोई मरा हुआ व्यक्ति या कोई भूत भी FIR करा कर निर्दोषों को फंसा सकता है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचा अनोखा केस
दरअसल, मामला कुशीनगर का है. यहां 2014 में एक जमीन के मामले में एक मृतक व्यक्ति द्वारा एक परिवार के पांच लोगों पर एफआईआर कराई गई. इस मामले में विवेचना कर रहे विवेचक ने बयान भी दर्ज कर लिया और इसकी चार्जशीट भी दाखिल कर दी. जब ममाला ट्रायल कोर्ट में आया तो कोर्ट ने इसका संज्ञान भी ले लिया. जब ये मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट आया तो इसका पूरा राज खुला. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले को सुनकर रद्द कर दिया और एसपी को पता लगाने को कहा कि कोई भूत कैसे निर्दोषों को फंसा रहा है.
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पुलिस ने बयान लेकर बनया गवाह
गौरलतब है कि कुशीनगर के हाटा थाना इलाके के रहने वाले आरोपी पुरुषोत्तम सिंह, उनके दो भाई और दो बेटों ने पुलिस की तरफ से दाखिल आरोप पत्र को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी. न्यायमूर्ति सौरभ श्याम समसेरी की अदालत में जानकारी दी गई कि 2014 में पुरुषोत्तम व अन्य के खिलाफ शब्द प्रकाश नाम के व्यक्ति ने धोखाधड़ी और कोर्ट रचना की एफआईआर दर्ज कराई है. जबकि शब्द प्रकाश की मौत 2011 में हो चुकी है. याचि के अधिवक्ता राजेश कुमार सिंह ने दलील दी कि मृतक शब्द प्रकाश से आरोपियों का पुराना जमीन विवाद चला आ रहा है और शब्द प्रकाश के मौत के बाद मामले के विवेचक ने उसका बयान दर्ज करके सबके खिलाफ आरोप पत्र भी दाखिल कर दिया. अधिवक्ता ने मृतक शब्द प्रकाश की पत्नी ममता द्वारा दिए गए मृत्यु प्रमाण पत्र को भी शामिल किया.
कोर्ट में लगी फटकार
वहीं कोर्ट भी इस मामले को सुनकर हैरान हो गया और सवाल किया कि जब वादी शब्द प्रकाश की मौत 2011 में हो गई थी तो 2014 में क्या भूत ने वह FIR कराई है. और क्या विवेचन ने भूत का बयान दर्ज करके आरोप पत्र दाखिल किया है. पुलिस ने मरे हुए व्यक्ति का बयान कैसे लिया. हाई कोर्ट ने कुशीनगर पुलिस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि मैं इस केस के तथ्यों से हैरान हूं. किस तरह से पुलिस अपराध की विवेचना करती है. पुलिस ने तीन साल पहले मर चुके आदमी का बयान दर्ज कर लिया. ये कैसे किया होगा ? कोर्ट ने SP कुशीनगर को निर्देश दिया कि यहां एक ‘भूत’ निर्दोष को परेशान कर रहा है. विवेचना अधिकारी को अपना बयान दर्ज करा रहा है। ऐसे विवेचना अधिकारी की जांच करके रिपोर्ट पेश करें.
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