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मेरठ में डॉक्टर ने फेवीक्विक से जोड़ दिया बच्चे का घाव! इलाज के नाम पर हुए इस मजाक को ठीक करने में लगे 3 घंटे

उस्मान चौधरी

मेरठ में एक निजी अस्पताल की चौंकाने वाली लापरवाही सामने आई है. यहां ढाई साल के बच्चे की गंभीर चोट पर डॉक्टर ने टांके लगाने के बजाय फेवीक्विक लगा दी.

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मेरठ में मेडिकल लापरवाही का एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने लोगों को हैरान कर दिया है. यहां एक निजी अस्पताल में ढाई साल के मासूम बच्चे की गंभीर चोट पर डॉक्टर ने इलाज के नाम पर टांके लगाने के बजाय फेवीक्विक लगा दी. बच्चे के बढ़ते दर्द और खतरे को देखते हुए परिजनों ने जब उसे दूसरे अस्पताल में दिखाया तो डॉक्टरों को उस मजबूत गोंद को हटाने में तीन घंटे लग गए. यह मामला अब स्वास्थ्य विभाग तक पहुंच चुका है और जांच शुरू कर दी गई है.

कैसे लगी बच्चे को चोट?

जागृति विहार एक्सटेंशन स्थित मेपल्स हाइट में रहन वाले फाइनेंसर सरदार जसपिंदर सिंह का ढाई साल का बेटा मनराज सिंह खेलते समय टेबल के कोने से टकरा गया. टक्कर लगने के बाद बच्चे की आंख के पास गहरा कट लग गया और तेजी से खून बहने लगा. घबराए परिजन तुरंत उसे नजदीकी भाग्यश्री नामक निजी अस्पताल लेकर पहुंचे. 

टांकों की जगह डॉक्टर ने लगाया फेवीक्विक

परिजनों का आरोप है कि भाग्यश्री अस्पताल में डॉक्टर ने टांके लगाने के बजाय उनसे 5 रुपए वाली फेवीक्विक लाने को कहा. इसके बाद डॉक्टर ने चोट लगे हिस्से को फेवीक्विक से चिपका दिया. बच्चे को लगातार दर्द होता रहा लेकिन डॉक्टर ने कहा कि यह घबराहट की वजह से है और थोड़ी देर में दर्द कम हो जाएगा. हालांकि दर्द रात भर बना रहा और बच्चे की स्थिति सुधरने के बजाय और खराब होने लगी. 

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दूसरे अस्पताल में फेवीक्विक हटाने में लगे तीन घंटे

अगली सुबह परिजन बच्चे को लोकप्रिय अस्पताल लेकर पहुंचे. यहां डॉक्टर ये देखकर हैरान रह गए कि चोट वाले हिस्से पर फेवीक्विक लगा हुआ था. डॉक्टरों के अनुसार इसे हटाना काफी मुश्किल था और इसमें करीब 3 घंटे का समय लगा. फेवीक्विक पूरी तरह हटाने के बाद बच्चे की चोट पर चार टांके लगाए गए. परिजनों का कहना है कि अगर फेवीक्विक गलती से बच्चे की आंख में चली जाती तो उसकी दृष्टि को गंभीर नुकसान हो सकता था.

सीएमओ से हुई शिकायत

घटना से आक्रोशित परिजनों ने मेरठ के चीफ मेडिकल ऑफिसर (CMO) डॉ. अशोक कटारिया से शिकायत की. डॉ. कटारिया ने बताया कि मामला संज्ञान में लिया गया है और जांच के लिए एक समिति बनाई गई है. उन्होंने कहा कि “शिकायत मिल गई है. जांच समिति पूरे मामले की जांच कर रही है. रिपोर्ट आने के बाद जो तथ्य सामने आएंगे, उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी.” बच्चे की मां इरविन कौर ने भी डॉक्टर की लापरवाही पर गुस्सा जताते हुए कहा कि उनके बेटे की जान जोखिम में पड़ सकती थी.

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