‘औरंगजेब ने मथुरा में मंदिर तोड़ मस्जिद बनाई’ RTI में आया ASI का जन्मभूमि विवाद पर ये जवाब
आरटीआई में ASI ने इस बात का खुलासा किया है कि मथुरा में मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी. ASI से इसको लेकर सवाल किया गया था और आरटीआई दाखिल की गई थी, जिसके बाद पुरात्तव विभाग का ये जवाब आया है.
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Mathura News: काशी के ज्ञानवापी विवाद के बाद अब मथुरा कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद को लेकर भी चर्चाएं तेज हैं. इसी बीच भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के एक आरटीआई जवाब की चर्चा काफी हो रही है. मिली जानकारी के मुताबिक, आरटीआई में ASI ने इस बात का खुलासा किया है कि मथुरा में मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी. ASI से इसको लेकर सवाल किया गया था और आरटीआई दाखिल की गई थी, जिसके बाद पुरातत्व विभाग का ये जवाब आया है. अब हिंदू पक्ष की तरफ से ASI द्वारा भेजा गया आरटीआई का जवाब सुप्रीम कोर्ट में भी दाखिल किया जाएगा. इसकी सुनवाई 22 फरवरी के दिन होगी.
RTI में ASI से क्या पूछा गया और क्या जवाब आया
मिली जानकारी के मुताबिक, मैनपुरी के रहने वाले अजय सिंह की ओर से एक आरटीआई दाखिल की गई थी. इसमें श्री कृष्णा जन्म स्थान पर मंदिर या मस्जिद की बात पूछी गई थी. दावा है कि आईटीआई के जवाब में ASI ने साफ किया है कि मथुरा में मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी. ASI ने ब्रिटिश राज के 1920 में प्रकाशित बजट के आधार पर यह दावा किया है. इसमें यह भी बताया गया है कि यहां सदियों पहले एक मंदिर था, जिसे तोड़कर यहां मस्जिद का निर्माण कर दिया गया था. इसमें साफ कह गया कि औरंगजेब ने ही मथुरा का मंदिर तोड़ा था.
क्या कहना है हिंदू पक्ष का?
इस पूरे मामले पर UP Tak ने श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष एवं वाद के प्रमुख पक्षकार महेंद्र प्रताप सिंह एडवोकेट से बात की. उन्होंने बताया, ब्रिटिश राज में संचालित जानकारी विभाग के बिल्डिंग एंड रोड क्षेत्र के द्वारा 1920 में इलाहाबाद से प्रकाशित कराए गए गजट में दर्ज उत्तर प्रदेश के विभिन्न जगहों के 39 स्मारकों की सूची उपलब्ध कराई गई थी.
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उन्होंने आगे बताया कि, इस सूची में 37 नंबर पर कटरा केशव देव भूमि पर श्री कृष्ण भूमि का उल्लेख है. इसमें लिखा है कि कटरा टीले पर पहले केशव देव मंदिर था, जिसे ध्वस्त कर दिया गया था और उस स्थान का प्रयोग मस्जिद के तौर पर किया जाने लगा था. उनका कहना है कि अब ASI के इन दस्तावेजों को उच्च कोर्ट में पेश किया जाएगा और सुप्रीम कोर्ट में भी रखा जाएगा. इसके आधार पर ही यहां कोर्ट कमिश्रन नियुक्त करके सर्वे की बात कही जाएगी.
बता दें कि हिंदू पक्ष का कहना है कि ये सबूत काफी अहम है. क्योंकि ये ASI ने दिया है और सरकारी सबूत है. ब्रिटिश राज के दस्तावेजों में भी साफ है कि वहां मंदिर ही था, जिसे तोड़ कर मंदिर बनाई गई थी.
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