श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवादपर आज आएगा बड़ा फैसला, जानें हिंदू-मुस्लिम पक्ष की क्या हैं दलीलें

संजय शर्मा

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श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद.
श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद.
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Mathura Krishna Janmabhoomi controversy News: मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद में शाही ईदगाह कमिटी की अर्जी पर इलाहाबाद हाईकोर्ट गुरुवार दोपहर 2 बजे के बाद अपना फैसला सुनाएगा. आपको बता दें कि हाईकोर्ट आज यह तय करेगा कि हिंदू पक्ष की 18 याचिकाएं सुनवाई करने के योग्य हैं भी या नहीं. हिंदू पक्ष की तरफ से दाखिल 18 याचिकाओं को शाही ईदगाह कमेटी ने हाईकोर्ट में सीपीसी के ऑर्डर 7, रूल 11 के तहत चुनौती दी है. खबर में आगे क्या है मुस्लिम पक्षकारों की क्या हैं दलीलें.

मुस्लिम पक्षकारों की ये हैं दलीलें- 

  1.  इस जमीन पर दोनों पक्षों के बीच समझौता 1968 को हुआ. 60 साल बाद समझौते को गलत बताना ठीक नहीं. लिहाजा मुकदमा चलने योग्य ही नहीं है.
  2. उपासना स्थल कानून यानी प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के तहत भी मुकदमा सुनवाई योग्य नहीं है.
  3. 15 अगस्त 1947 के दिन जिस धार्मिक स्थल की पहचान और प्रकृति जैसी है वैसी ही बनी रहेगी, यानी उसकी प्रकृति नहीं बदली जा सकती है.
  4. लिमिटेशन एक्ट और वक्फ अधिनियम के तहत भी इस मामले को देखा जाए.
  5. इस विवाद की सुनवाई वक्फ ट्रिब्यूनल में हो. यह सिविल कोर्ट में सुना जाने वाला मामला है ही नहीं.

हिंदू पक्षकारों ने दी ये दलीलें 

  • ईदगाह का पूरा ढाई एकड़ का एरिया भगवान श्रीकृष्ण विराजमान का गर्भगृह है.
  • मस्जिद कमिटी के पास भूमि का कोई ऐसा रिकॉर्ड नहीं है.
  • सीपीसी का आदेश-7, नियम-11 इस याचिका में लागू ही नहीं होता है.
  • मंदिर तोड़कर मस्जिद का अवैध निर्माण किया गया है.
  • जमीन का स्वामित्व कटरा केशव देव का है.
  • बिना स्वामित्व अधिकार के वक्फ बोर्ड ने बिना किसी वैध प्रक्रिया के इस भूमि को वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया है. 
  • भवन पुरातत्व विभाग से भी संरक्षित घोषित है. इसलिए भी इसमें उपासना स्थल अधिनियम लागू नहीं होता.
  • एएसआई ने इसे नजूल भूमि माना है. इसे वक्फ संपत्ति नहीं कह सकते.

गौरतलब है कि 2020 में, वकील रंजना अग्निहोत्री और सात अन्य पक्षकारों ने मिलकर मथुरा सिविल कोर्ट में यह मुकदमा दायर किया था. ये याचिका शुरुआत में एक सिविल अदालत ने खारिज कर दी थी, लेकिन बाद में जिला अदालत ने इसे ‘सुनवाई योग्य’ माना. ढाई साल के समय के बाद, उसी अदालत में अतिरिक्त 17 याचिकाएं दायर की गईं. चूंकि मथुरा जिला अदालत में ही इन याचिकाओं पर अलग अलग निचली अदालतें विभिन्न चरणों में सुनवाई कर रही थीं. मामले की संवेदनशीलता और महत्व को देखते हुए हिंदू पक्षकारों की अर्जी पर मई 2023 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने समेकित निर्णय के लिए सभी 18 याचिकाएं अपने पास तलब की थीं.

 

 

मुस्लिम पक्षकारों ने इस पर एतराज जताते हुए इन्हें खारिज करने की गुहार लगाई थी क्योंकि उनके ख्याल में ये सभी 18 अर्जियां लचर आधार और दलीलों पर दाखिल ली गई हैं  लिहाजा सुनवाई योग्य ही नहीं हैं.

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