चंदौली: बेमौसम बारिश और आंधी से बर्बाद हुई आम की फसल, किसानों का बुरा हाल

उदय गुप्ता

Chandauli News: बेमौसम की बरसात और तेज आंधी अन्नदाताओं की कमर ही तोड़ दी है.आसमानी आफत की वजह से एक तरफ जहां गेहूं, दलहन और…

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Chandauli News: बेमौसम की बरसात और तेज आंधी अन्नदाताओं की कमर ही तोड़ दी है.आसमानी आफत की वजह से एक तरफ जहां गेहूं, दलहन और तिलहन की फसलों को नुकसान पहुंचा है.वहीं तेज आंधी की वजह से आम की फसल भी बर्बाद हुई है. आलम यह है कि लाखों रुपए लगाकर आम का बगीचा लेने वाले आम उत्पादक किसान अब त्राहिमाम करने लगे हैं.

बेमौसम बरसात ने लाई आफत

दरअसल, मार्च के महीने में कई बार अबे मौसम की बारिश और तेज आंधी के साथ ओले भी पड़े हैं.जिसका सीधा असर फसलों पर पड़ा है. मौसम के बदलाव से एक तरफ जहां लोगों को भीषण गर्मी से थोड़ी राहत महसूस हुई है.वहीं दूसरी तरफ बिना मौसम की बरसात ने किसानों की कमर तोड़ दी है. गेहूं और दलहन-तिलहन के किसान तो त्राहिमाम कर ही रहे हैं.साथ ही साथ आम उत्पादक किसान भी बेमौसम की बारिश की वजह से बेहाल हो रहे हैं.

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किसानों का बुरा हाल

यह तस्वीरें पूर्वी उत्तर प्रदेश के चंदौली के साहूपुरी क्षेत्र में स्थित एक आम के बगीचे की हैं. आप इन तस्वीरों में देख सकते हैं कि जो आम का फल अभी पेड़ों पर लगा होना चाहिए था.वह वह फल तैयार होने से पहले ही जमीन पर गिरा पड़ा है.आम उत्पादक किसान बुद्धू सोनकर ने इस बगीचे को 2 साल के लिए साढ़े आठ लाख रुपए में खरीदा था. पिछले साल तो आम की अच्छी पैदावार नहीं हुई थी.लेकिन इस साल इन पेड़ों में अच्छी तादाद में आम आए थे.बुद्धू सोनकर को उम्मीद जगी थी कि पिछले साल का घाटा वह इस साल पूरा कर लेंगे.

आम के पैदावाकर पर पड़ेगा असर!

लेकिन आम उत्पादक किसान बुद्धू सोनकर की उम्मीद पर उस वक्त पानी फिर गया.जब बेमौसम की बारिश और तेज आंधी ने आम तैयार होने से पहले ही अपना कहर ढा दिया. आम के इस बगीचे में स्थित सैकड़ों पेड़ों पर आम अच्छे फल लगे थे.लेकिन तेज आंधी और ओला पड़ने की वजह से पेड़ों पर लगा आधा से अधिक आम के फल पेड़ से टूटकर जमीन पर गिर गए. किसानों के सामने दुश्वारियां यह भी है कि आम के फल अभी इतने छोटे हैं कि बाजार में ₹1 किलो तक में भी इनको नहीं बेचा जा सकता.

किसानों ने सुनाया अपना दुखड़ा

आम उत्पादक किसान बुद्धू सोनकर ने बताया कि इस बार हम लोगों को अच्छी फसल की उम्मीद थी लेकिन हम लोग निराश हो गए. इस बार आंधी-पानी और ओला पढ़ने से बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है. पिछले साल हम लोगों ने इस बगीचे को साढे आठ लाख रुपए में 2 साल के लिए लिया था. दवा छिड़काव से लेकर मजदूरी तक देने में अभी तक ₹5 लाख और खर्च हो चुके हैं. अभी फल छोटा है और जब से बौर लगा है तभी से हम लोग इसकी देख-देख कर रहे हैं. टिकोरा होते ही ओला और आंधी पानी पड़ने से काफी नुकसान हुआ है. इस बार तीन चार बार आंधी-पानी और ओला पड़ चुका है. जिस फल पर ओला लगा है वह भी 10 दिन के अंदर झड़ जाएगा. पिछले सीजन में हम लोगों का काफी नुकसान हुआ था.

किसान ने बताया कि लेकिन इस बार बहुत अच्छा फल लगा था और हम लोगों को उम्मीद था.लेकिन इस सीजन में भी हम लोगों का नुकसान ही नुकसान हो रहा है. जो कल गिरा हुआ है उसे हम लोग बीन कर रखे हुए हैं. लेकिन मार्केट में उसका एक रुपए किलो भी भाव नहीं मिलेगा. उसको फेंकना ही पड़ेगा. अगर यह फल थोड़ा बड़ा होता तो उसकी कीमत मिल जाती. लेकिन इस बार 50 परसेंट आम गिर चुका है और आधी पानी का यही हाल रहा तो जो बचा है वह भी गिर जाएगा. हम लोगों का नुकसान ही नुकसान है कमर टूट गया हम लोगों का.15-20 लेबर काम करते हैं, रोज का खर्च है. महंगाई के इस दौर में हम लोगों को उम्मीद थी कि इस साल अच्छा फल होगा तो हम लोग जो कर्ज लिए हैं उस से मुक्त हो जाएंगे. लेकिन अब तो हम और भी कर्ज में डूब जाएंगे.

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