ये हैं लखनऊ के वो 6 इलाके जहां आप सस्ते दाम में खरीद सकते हैं प्लॉट, जानें क्या चल रहा है यहां रेट?
Lucknow Circle Rate: लखनऊ में नई सर्किल दरें लागू हो गई हैं. जानिए लखनऊ में कहां जमीन की कीमतें सबसे ज्यादा और कहां अब भी मिल रही सस्ती जमीन.
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Lucknow Circle Rate: उत्तर प्रदेश में कई ऐसे लोग होंगे जिनका सपना होगा कि वह सूबे की राजधानी लखनऊ में अपनी जमीन खरीद सकें. तो आपको बता दें कि इस बीच लखनऊ में जमीन के दामों में बड़ा बदलाव देखने को मिला है. राजस्व विभाग द्वारा जारी किए गए नए सर्किल रेट ने रियल एस्टेट बाजार में खलबली मचा दी है. खासकर शहर की प्रमुख सड़कों और पॉश इलाकों में जमीन अब 'सोने' के भाव बिक रही है. मगर चिंता की ऐसी कोई बात नहीं है. लखनऊ में कई ऐसी जगह भी हैं, जहां आप मध्यम दाम और सस्ते में भी जमीन खरीदना का सपना साकार कर सकते हैं. खबर में आगे जानिए लखनऊ के कौनसे हैं पॉश और कौनसे हैं सस्ते इलाके हैं.
लखनऊ में कहां और कितना महंगा हुआ प्लॉट?
मालूम हो कि अब तक लखनऊ में सर्किल रेट बाजार दर से काफी कम थे. वहीं अब उन्हें रीयल मार्केट के करीब लाने की कोशिश की गई है. इसका सीधा असर ये है कि जमीन की सरकारी दरें कई इलाकों में 20% से लेकर 60% तक बढ़ा दी गई हैं.
ये हैं लखनऊ के प्रमुख इलाकों के नए सर्किल रेट (₹ प्रति वर्ग मीटर):
लखनऊ में यहां हैं सबसे महंगे प्लॉट:
- विराजखंड व विभूतिखंड (गोमतीनगर, शहीद पथ)- ₹70,000
- अटल चौक से लूलू मॉल के पीछे- ₹50,000
- सुशांत गोल्फ सिटी, मेदांता हॉस्पिटल, लूलू मॉल के आसपास- ₹50,000–52,000
- महानगर गोल मार्केट से निशातगंज पुल तक- ₹53,000
- अलीगंज सेक्टर L व कपूरथला चौराहा- ₹54,000
- मुंशीपुलिया से बिरयानी हाउस तक- ₹49,500
मध्यम दाम वाले इलाके:
- अयोध्या रोड (लेखराज चौकी से रिंग रोड तक)- ₹49,500
- वृंदावन योजना- नीलमथा अंडरपास- ₹40,000
- रायबरेली रोड (मोहनलालगंज, सरोजनीनगर)- ₹18,000-40,000
- कानपुर रोड (जुनाबगंज-भागू खेड़ा)- ₹15,000
लखनऊ में यहां हैं सस्ते प्लॉट
- किसान पथ (नगर निगम सीमा के भीतर)- ₹20,000
- किसान पथ (सीमा के बाहर)- ₹15,000
- बख्शी का तालाब क्षेत्र- ₹8,000-10,000
- पूर्वांचल एक्सप्रेसवे किनारे औसतन- ₹6,000-10,000
- मलिहाबाद-मोहन रोड- ₹7,000
- मॉल रहीमाबाद रोड- ₹3,400-8,200
लखनऊ में क्यों बढ़ें हैं सर्किल रेट?
राजस्व विभाग ने बताया है कि पिछले कई सालों से बाजार मूल्य और सरकारी सर्किल रेट में बड़ा अंतर था. डेवलपर्स ऊंचे दामों पर प्रॉपर्टी बेच रहे थे, लेकिन सरकारी दस्तावेज में कम दर दिखाई जा रही थी. सरकार ने अब इस फासले को कम कर राजस्व में इजाफा करने की दिशा में कदम बढ़ाया है.
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