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UNESCO ने लखनऊ को दिया ‘क्रिएटिव सिटी ऑफ गैस्ट्रोनॉमी’ का सम्मान, क्या है ये?

यूनेस्को ने वर्ल्ड सिटीज डे पर लखनऊ को “क्रिएटिव सिटी ऑफ गैस्ट्रोनॉमी” का दर्जा दिया है. नवाबों का शहर अब अपने अवधी व्यंजनों और पाक परंपरा के लिए दुनिया के नक्शे पर जगह बना चुका है. यह सम्मान अवध की समृद्ध रसोई, गंगा-जमुनी तहज़ीब और स्थानीय संस्कृति की वैश्विक पहचान है.

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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ ने अपनी स्वादिष्ट अवधी व्यंजन परंपरा के दम पर दुनिया में नाम रोशन किया है. विश्व नगर दिवस के मौके पर UNESCO ने उज़्बेकिस्तान के समरकंद में हुई 43वीं बैठक में लखनऊ को ‘क्रिएटिव सिटी ऑफ गैस्ट्रोनॉमी’ यानी “खानपान की रचनात्मक नगरी” घोषित किया है. यह सम्मान लखनऊ के सैकड़ों साल पुराने नवाबी जायके, पाक-कला और गंगा-जमुनी तहजीब की पहचान है.

अवधी स्वाद से मिला विश्व स्तर पर नाम

लखनऊ को हमेशा से नवाबों का शहर और खानपान की राजधानी कहा जाता है. अब इस शहर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिल गई है. उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने इस सम्मान के लिए लखनऊ का प्रस्ताव जनवरी 2025 में भारत सरकार को भेजा था. मार्च 2025 में केंद्र सरकार ने यह प्रस्ताव UNESCO को भेजा और अक्टूबर 2025 में यह घोषणा हुई कि लखनऊ अब आधिकारिक तौर पर UNESCO क्रिएटिव सिटी ऑफ गैस्ट्रोनॉमी है.

राज्य सरकार ने जताया गर्व

पर्यटन और संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि यह सम्मान लखनऊ ही नहीं बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश के लिए गर्व की बात है. उन्होंने कहा कि “लखनऊ की पाक परंपरा ने प्रदेश को नई पहचान दी है. यह उपलब्धि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश के तेज विकास का उदाहरण है.” उन्होंने बताया कि खानपान से जुड़ा पर्यटन (culinary tourism) अब राज्य की अर्थव्यवस्था और पहचान दोनों को मजबूती दे रहा है.

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पर्यटन में भी दिखा असर

पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने बताया कि लखनऊ की स्वादिष्ट रसोई ने हमेशा पर्यटकों को अपनी ओर खींचा है. उन्होंने कहा कि “लखनऊ की हर थाली एक कहानी कहती है, शाही रसोई, सड़क किनारे ठेले और लोगों की एकता की. अब यह सम्मान शहर के भोजन को और भी दूर तक पहुंचाएगा.” 2024 में लखनऊ में लगभग 82 लाख से ज़्यादा पर्यटक आए जबकि 2025 की पहली छमाही में ही 70 लाख से अधिक पर्यटक पहुंच चुके हैं.

लंबी मेहनत का नतीजा

यह उपलब्धि कई महीनों की तैयारी और शोध का नतीजा है. विशेष सचिव ईशा प्रिया ने बताया कि यह प्रस्ताव बहुत सोच-समझकर तैयार किया गया था.

इस पर शोध प्रसिद्ध विरासत विशेषज्ञ अभा नारायण लांबा और उनकी टीम ने किया. उन्होंने लखनऊ की पुरानी रसोई, उस्तादों, शेफों और परिवारों से जुड़ी रेसिपी और परंपराएं दर्ज कीं.

लखनऊ के जायके की कहानी

लखनऊ के व्यंजन सिर्फ स्वाद नहीं, बल्कि संस्कृति और तहजीब का प्रतीक हैं. गलौटी कबाब, अवधी बिरयानी, टोकरी चाट, पुरी-कचौरी, मलाई गिलौरी, मक्खन मलाई और मोतीचूर लड्डू जैसे पकवान दुनिया भर में मशहूर हैं. इनमें नवाबी नफासत और अपनापन दोनों झलकता है. यही स्वाद लखनऊ को दूसरों से अलग बनाता है.

लखनऊ अब वैश्विक पाक-नगरी

UNESCO की 70 क्रिएटिव सिटी ऑफ गैस्ट्रोनॉमी में अब लखनऊ का नाम भी शामिल हो गया है. इनमें हैदराबाद (भारत), अल-मदीना (सऊदी अरब), केलोना (कनाडा), क्वान्झोउ (चीन) और ज़रागोज़ा (स्पेन) जैसे शहर हैं. यह सम्मान लखनऊ को न सिर्फ भारत की खानपान राजधानी बनाता है, बल्कि दुनिया के खाद्य नक्शे पर भी प्रमुख स्थान देता है.

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