कृषि कानून की वापसी के बाद भी लखनऊ में होगी महापंचायत, जानें किसान नेता क्या बोले

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से शुक्रवार को तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा के बाद संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की कोर कमेटी के सदस्य दर्शन पाल सिंह ने न्यूज एजेंसी ‘एएएनआई’ से कहा है उनके आगामी प्रस्तावित कार्यक्रम तय समय और तारीख के अनुसार आयोजित किए जाएंगे. उन्होंने बताया कि संगठन की 22 नवंबर को लखनऊ में होने वाली प्रस्तावित ‘किसान महापंचायत’ आयोजित की जाएगी.

बकौल दर्शन पाल सिंह, 26 नवंबर को किसान आंदोलन के एक साल होने पर देश में सभाएं की जाएंगी और 29 अक्टूबर को संसद तक ट्रैक्टर मार्च भी निकाला जाएगा. दर्शन पाल सिंह ने कहा है कि आंदोलन जारी रहेगा.

बता दें कि एसकेएम ने प्रधानमंत्री के फैसले का स्वागत तो किया है, लेकिन ये भी कहा कि वे इस घोषणा के संसदीय प्रक्रियाओं के माध्यम से प्रभाव में आने तक की प्रतीक्षा करेगा. एसकेएम ने यह संकेत भी दिया है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की वैधानिक गारंटी और विद्युत संशोधन विधेयक को वापस लेने की मांग के लिए उसका आंदोलन जारी रहेगा.

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वहीं, किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन (उगराहां) के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उगराहां ने कहा कि जब तक केंद्र सरकार संसद में इन कानूनों को औपचारिक रूप से निरस्त नहीं कर देती तब तक किसान टिकरी और दिल्ली की अन्य सीमाओं पर बैठे रहेंगे. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की शुक्रवार की घोषणा के बाद अनेक किसान संघ खेती के मुद्दों पर और भावी रणनीति पर विचार करने के लिए अलग-अलग बैठक कर रहे हैं.

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार की सुबह राष्ट्र को संबोधित करते हुए कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून, कृषि (सशक्तीकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून और आवश्यक वस्तु संशोधन कानून, 2020 को निरस्त करने की घोषणा की. इसके साथ ही उन्होंने एमएसपी को प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए एक समिति गठित किए जाने का भी एलान किया.

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(पीटीआई भाषा के इनपुट्स के साथ)

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