लखनऊ: दीपोत्सव के लिए संस्कृति महोत्सव का आयोजन रद्द, हजारों के सामने रोजी-रोटी का संकट
लखनऊ में सरकार ने इस बार दीप महोत्सव की वजह से सालों से आयोजित होने वाले संस्कृति महोत्सव का आयोजन रद्द कर दिया है. जिससे…
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लखनऊ में सरकार ने इस बार दीप महोत्सव की वजह से सालों से आयोजित होने वाले संस्कृति महोत्सव का आयोजन रद्द कर दिया है. जिससे हजारों छोटे कामगारों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है.
लखनऊ के लक्ष्मण झूला मैदान में हर साल संस्कृति महोत्सव का आयोजन होता था. इस बार भी संस्कृति महोत्सव के आयोजन के लिए एक प्राइवेट ऑर्गनाइजेशन ने कई झूला वेंडरों और अन्य लोगों को इकट्ठा कर कार्यक्रम की तैयारियां शुरू कर दी थीं. 17 अक्टूबर से 28 अक्टूबर तक मेला लगाने की अनुमति डीएम और एसएसपी से भी मिल गई थी.
इस बीच, 17 अक्टूबर को संस्कृति महोत्सव के प्रस्तावित आयोजन की परमिशन कैंसिल कर प्रशासन की ओर से बताया गया कि अब यहां पर दीपोत्सव का कार्यक्रम होगा. ऐसे में मेला ऑर्गनाइजेशन को दुकानें और वेंडरों को वहां से हटाने के लिए कहा गया है.
लखनऊ प्रशासन के इस फैसले से सहारनपुर, बाराबंकी समेत प्रदेश के अन्य जिलों से आए कामगारों को मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है. उनके सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है. वह तकरीबन 10 दिनों से अपना झूला और सामान लेकर मेले की तैयारी कर रहे थे, इस दौरान उन्हें किसी प्रकार का कोई फायदा नहीं हुआ था.
लखनऊ के रहने वाले खैराबाद के मोहम्मद अली, जो झूला लगाकर मेलों में जगह-जगह आमदनी करके अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं. पिछले 10 दिनों से उनके पास काम नहीं है.
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सहारनपुर में गिलास कांच का काम करने वाले रूपकिशोर ने पिछले 10 दिनों से अपनी दुकान लगा रखी है, लेकिन उनका काम बंद हो गया है. उनका कहना है, “उन्होंने आयोजक को 10 हजार रुपये दिए हैं, इसके साथ ही दीप मौसम में लगने वाली दुकान यानी सरकार को 10 हजार रुपये दिए हैं. इसके बावजूद भी उनकी आमदनी अभी जीरो है.”
मेला आयोजक राजेश राज गुप्ता के मुताबिक, “मेला शुरू होने से 10 दिन पहले हम सभी झूले, दुकान वालों को उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों से बुलाते हैं. वे अपना सेटअप लगाने में 10 दिन का समय लगा देते हैं. 17 अक्टूबर से हमने डीएम और नगर निगम से परमिशन ली थी, परमिशन लेटर हमारा ओके हो गया था, लेकिन उसके बाद अचानक कहा गया कि आपको परमिशन नहीं दे सकते हैं.
उन्होंने कहा, “अब ये झूले वालों से जो पैसा ले चुके हैं और अपना हमने पैसा भी लगा दिए हैं. हमने सरकार को करीब 7 से 8 हजार रुपये जमा कर दिए हैं. वह भी हमारा पैसा वापस नहीं हुआ है. ऐसे में अब यह झूले वाले और हम क्या करेंगे. कुछ नहीं समझ में आ रहा है. बीच में अचानक दीपोत्सव का कार्यक्रम बन गया, उसकी जानकारी किसी जगह नहीं थी. अब ऐसी स्थिति में हम बीच में फंस गए हैं.”
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