KGMU के डॉक्टरों ने 10 घंटे में 7 साल के बच्चे की जान बचाई, गर्दन से दिमाग तक पहुंची थी 8 CM लंबी कील
लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) के ट्रॉमा सेंटर में डॉक्टरों की एक टीम ने ऐसा असाधारण ऑपरेशन कर दिखाया है. डॉक्टरों ने 10 घंटे में 7 साल के बच्चे की जान बचाई है.
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Lucknow KGMU News: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) के ट्रॉमा सेंटर में डॉक्टरों की एक टीम ने ऐसा असाधारण ऑपरेशन कर दिखाया है, जिसे चिकित्सा विज्ञान की दुनिया में एक मील का पत्थर माना जा रहा है. बलरामपुर जिले के नवाजपुर गांव से लाया गया 7 साल का एक मासूम बच्चा, जिसकी गर्दन से होकर एक 8 सेंटीमीटर लंबी लोहे की कील सीधे दिमाग तक जा पहुंची थी, उसे KGMU की ट्रॉमा सर्जरी टीम ने 10 घंटे लंबी जटिल सर्जरी कर बचा लिया. यह सिर्फ एक ऑपरेशन नहीं, बल्कि उम्मीद, संयम और विशेषज्ञता की मिसाल बन गया है.
यह दर्दनाक घटना तब हुई जब मासूम बच्चा खेलते-खेलते अचानक गिर पड़ा और वहां रखी एक लोहे की कील उसकी गर्दन में जा घुसी. कील की गहराई इतनी अधिक थी कि वह गर्दन की नसों और ऊतकों को चीरते हुए सीधे मस्तिष्क के बेहद संवेदनशील हिस्से तक पहुंच गई. परिजन बच्चे को लेकर पहले नजदीकी अस्पताल पहुंचे, लेकिन स्थिति की गंभीरता को भांपते हुए उसे तत्काल KGMU लखनऊ रेफर कर दिया गया.
KGMU ट्रॉमा सेंटर में जैसे ही बच्चे की MRI और CT स्कैन रिपोर्ट आई, डॉक्टर समझ गए कि यह एक बेहद जोखिम भरा मामला है. न्यूरो सर्जरी, ENT, एनेस्थीसिया, ट्रॉमा और पीडियाट्रिक्स विभागों के विशेषज्ञों की एक संयुक्त टीम गठित की गई. ऑपरेशन की प्लानिंग बारीकी से की गई और 10 घंटे तक चली इस सर्जरी में एक-एक मिलीमीटर की सावधानी बरती गई.
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माइक्रो-सर्जरी और न्यूरो नेविगेशन से निकाली गई कील
डॉक्टरों के मुताबिक, कील मस्तिष्क के उस हिस्से तक पहुंच गई थी जहां थोड़ी सी भी गलती जानलेवा हो सकती थी. इसलिए माइक्रो-सर्जिकल तकनीक और न्यूरो नेविगेशन सिस्टम की मदद ली गई. ऑपरेशन के दौरान खून की मुख्य नस को नुकसान पहुंचाए बिना कील को धीरे-धीरे बाहर निकाला गया.
ऑपरेशन के बाद बच्चे को आईसीयू में रखा गया, जहां डॉक्टरों की सतत निगरानी में उसकी स्थिति में लगातार सुधार हो रहा है. डॉक्टरों ने पुष्टि की है कि बच्चा अब खतरे से बाहर है और जल्द ही सामान्य जीवन जी सकेगा.
मेडिकल साइंस में होगा केस दर्ज
KGMU के चिकित्सा अधीक्षक ने बताया कि यह मामला मेडिकल साइंस के लिए एक महत्वपूर्ण केस स्टडी बनेगा. जल्द ही इस सर्जरी की विस्तृत रिपोर्ट किसी अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल में प्रकाशित की जाएगी, ताकि दुनिया भर के डॉक्टरों को इससे सीख मिल सके.
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