रामचरितमानस विवाद पर आया देवकीनंदन ठाकुर का बयान, काशी-मथुरा को लेकर भी कह दी ये बड़ी बात

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उत्तर प्रदेश में रामचरितमानस (Ramcharitmanas) को लेकर शुरू हुआ विवाद लगातार बढ़ता ही जा रहा है. इस पूरे विवाद को लेकर उत्तर प्रदेश की राजनीति भी गरमा गई है. इसी बीच इस पूरे विवाद पर अब मशहूर कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर (Devkinandan Thakur) का भी बयान सामने आया है. यूपी तक से हुई खास बातचीत में देवकीनंदन ठाकुर ने इस पूरे विवाद पर अपनी बात रखी है.

रामचरितमानस को लेकर हो रहे विरोध में देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि यह हमारे सोच के बाहर था कि कोई सनातनी इसका विरोध भी कर सकता है. सनातनी ऐसी बाते करेगा कि रामचरितमानस की कुछ पंक्तियों को रामचरितमानस से निकाल दो. यह हमारे सोच से परे था. रामचरितमानस महान ग्रंथ है. स्वयं वाल्मीकि जी कलयुग में तुसलीदास महाराज बनकर आए थे.

ये बताया विवादित शब्द का अर्थ

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देवकीनंदन ठाकुर ने आगे कहा कि तुलसीदास जी ने रामचरितमानस सरल भाषा में लिखी. इस दौरान उन्होंने विवादित ताड़ना शब्द को लेकर भी अपनी बात कहीं. उन्होंने कहा, “ताड़ना के कई अर्थ हैं. अचानक से कोई गुस्से भरी नजरों से देखे तो उसे ताड़ना कहते हैं, इसी बीच इसके दूसरे भी अनेक अर्थ हैं. एक शब्द के कई अर्थ होते हैं. यह बात भगवान श्रीराम नहीं कह रहे हैं बल्कि समुद्र कह रहा है. यह पूरा प्रसंग समुद्र का है, जो अपनी व्यथा प्रकट कर रहा है. वह भगवान श्रीराम से कह रहा है कि वह ऐसा है और मुझें शिक्षा दीजिए. मुझे अपनी देखरेख में रखिए.

उन्होंने आगे कहा कि अर्थ का अनर्थ समझ लेना और गलत तरीके से प्रस्तुत करना गलत है. इसीलिए ही मैं सनातन यात्रा निकाल रहा हूं. इसका लक्षय यह है कि हम लोगों को बता सके कि हमारे भगवान श्रीराम हैं. हमारा ग्रंथ रामचरितमानस है और सभी सनातनी एक हैं. मैं इस यात्रा में सभी साथियों को आमंत्रित करता हूं.

रामचरितमानस की प्रतियां जलाने को लेकर ये बोले

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इस दौरान देवकीनंदन ठाकुर ने रामचरितमानस की प्रतियां जलाने को लेकर कहा कि कई बार अनजाने में हम कोई गलती कर देते हैं. मेरा आग्रह है कि रामायण या राम संदेह का नहीं बल्कि ज्ञान का विषय हैं. यह विवाद का विषय नहीं है. अगर आपको कोई शब्द पसंद नहीं आ रहा है तो उसे समझें न की उसका अनादर करें.

‘हम अपने पूर्वजों की आस्था को ठेस पहुंचा रहे हैं’

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देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि भगवान राम शबरी को मां कह रहे हैं. मेरे राम जैसा कोई नहीं है. राम अयोध्या को ठुकरा कर शबरी के पास जाते हैं और उनके हाथों से बेर खा रहे हैं. मगर हम इस सनातन को अपमानित कर रहे हैं. यह सुनकर हम अपने पूर्वजों की आस्था पर ठेस पहुंचा रहे हैं.

बागेश्वर धाम और धीरेंद्र शास्त्री पर ये कहा

देवकीनंदन ठाकुर ने बागेश्वर धाम के कथा वाचक धीरेंद्र शास्त्री पर कहा कि मैं तो यह मानता हूं कि यह बालाजी की कृपा है. अगर आपको लगता है कि ये कला है, कला का इस्तेमाल किया जा रहा है तो यह अहम हो जाता है कि इससे कितने लोगों का लाभ हो रहा है, कितने लोगों को फायदा हो रहा है. उन्होंने आगे कहा कि जब लोग अन्य धर्मों के लोगों के पास जाते हैं और एक बार छूते हैं आदमी एकदम से हिलने लगता है, वह कैसे होता है? उस पर कभी क्यों सवाल नहीं करता है?

‘भाईचारे की बात है तो काशी-मथुरा दे दें’

देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि मैं मानता हूं कि अगर भाईचारे की बात है तो काशी मथुरा दे दो क्योंकि वहां हमारे कृष्ण और शिव हैं और हमारे प्राण हैं. अगर आप कहते हो भाईचारा है, गंगा-जमुना तहजीब है तो आप ये स्थान हमें दे दो. आप हमारे भगवानों के जन्म स्थानों को गलत नहीं बता सकते. अगर आप रिश्तों को बेहतर रखना चाहते हैं, भाईचारा रखना चाहते हैं तो आप हमारे सनातन धर्म की, भगवान कृष्ण की और भगवान शिव का सम्मान करें.

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