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साधु बन गए कानपुर के सर्वेश 9 साल बाद SIR कराने लौटे घर तो उनके साथ खेल हो गया!

सिमर चावला

हिमाचल प्रदेश में साधु जीवन जी रहा एक शख्स SIR की औपचारिकताएं पूरी करने के लिए लगभग 1000 किलोमीटर की यात्रा कर कानपुर पहुंचा. लेकिन जब वह अपने गांव और घर पहुंचा, तो साधु जैसा रूप देखकर परिवार ने उसे पहचानने से इनकार कर दिया.

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Photo: Sarvesh Alias Kallu Sachan
Photo: Sarvesh Alias Kallu Sachan
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Kanpur News: 1989 यही वही साल था जब सर्वेश उर्फ कल्लू सचान ने कानपुर छोड़ दिया था. सर्वेश हरिद्वार पहुंचे और यहां साधु बन गए. अभी सर्वेश हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के दौड़ी देवी टपरे गांव में शिवशक्ति धाम मंदिर में रह रहे थे. इस बीच सर्वेश को पता चला कि यूपी में SIR (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) प्रक्रिया जारी है. सर्वेश ने भी SIR प्रक्रिया में हिस्सा लेने के लिए मन बनाया. वह करीब 9 साल बाद 1000 किलोमीटर का फासला तय कर कानपुर पहुंचे. मगर यहां उनके साथ खेल हो गया. साधु का रूप देखकर परिवार ने सर्वेश को पहचानने से इनकार कर दिया. सर्वेश ने खुद को घर का बेटा होने का दावा किया लेकिन परिजन ने उनकी इस बात को मानने से मना कर दिया. मामला बढ़ने पर पुलिस को बुलाया गया. दस्तावेजों की जांच के बाद पुलिस ने पुष्टि की कि वही सर्वेश है, जिसके बाद स्थिति सामान्य हुई. 

संपत्ति विवाद के कारण घर छोड़ दिया था सर्वेश ने

सजेती के धरमंगदपुर गांव के दिवंगत इंद्रपाल सचान का बेटा सर्वेश उर्फ कल्लू सचान ने डीएवी कॉलेज कानपुर से स्नातक किया था. पढ़ाई खत्म होने के बाद 1989 में वह घर छोड़कर हरिद्वार चले गए और यहां साधु बन गए. बाद में वह हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के दौड़ी देवी टपरे गांव में शिवशक्ति धाम मंदिर में रहने लगे. बीते कई वर्षों में सर्वेश बहुत कम गांव आए. लगभग नौ साल पहले उनकी पैतृक जमीन को लेकर माता-पिता और रिश्तेदारों से गंभीर विवाद हुआ था. मामला इतना बढ़ा कि ग्रामीणों को बीच में आना पड़ा और विरोध के चलते उन्होंने गांव छोड़ दिया. इसके बाद वह लंबे समय तक वापस नहीं लौटे. अब SIR फॉर्म के लिए जरूरी प्रमाण जुटाने के उद्देश्य से वह 3 दिसंबर को साधु के वेश में गांव पहुंचे.

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गांव में घंटों चली पंचायत, तब परिवार मानने को हुआ तैयार 

गांव आने के बाद वह अपने एक रिश्तेदार सुभाष के घर रुके. साधु के रूप में उनके आने की खबर जब घाटमपुर में रह रहे उनके परिवार को हुई, तो वे किसी अनहोनी की आशंका में गांव पहुंचे. मगर परिवार वालों ने सामने खड़े व्यक्ति को सर्वेश मानने से साफ इनकार कर दिया.

गांववालों की सूचना पर सजेती पुलिस मौके पर पहुंची. पुलिस को युवक ने अपनी शैक्षिक योग्यता के कागज, पुरानी पहचान और दस्तावेज दिखाए. जांच के बाद सभी कागज सही पाए गए और यह साबित हुआ कि वही सर्वेश है. इसके बाद गांव में लगभग पांच घंटे तक पंचायत चली. पुलिस और ग्रामीणों ने समझाया जिसके बाद परिजन शांत हुए. पुलिस ने बताया कि किसी भी पक्ष ने कोई लिखित शिकायत नहीं दी और शांति बनी रही. 

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