कानपुर यूनिवर्सिटी के VC ने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को HC में दी चुनौती, वसूली का है आरोप

संतोष शर्मा

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कानपुर के छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रोफेसर विनय पाठक ने अपने खिलाफ इंदिरा नगर थाने में दर्ज एफआईआर को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दाखिल की है. आपको बता दें कि बीते दिनों पाठक के खिलाफ बंधक बनाकर रंगदारी वसूलने के आरोप में एफआईर दर्ज हुई थी. वहीं, पाठक द्वारा याचिका दाखिल करने करने के बाद आय यानी बुधवार को इस मामले में जस्टिस राजेश सिंह चौहान और जस्टिस विवेक कुमार सिंह की बेंच सुनवाई करेगी.

आपको बता दें कि विनय पाठक ने दायर की गई याचिका में एसीएस होम, शिकायतकर्ता डेविड मारियो, लखनऊ पुलिस कमिश्नर और एसएचओ इंदिरानगर और मामले के विवेचक को पार्टी बनाया है.

क्या है मामला?

दरअसल यह पूरा मामला आगरा के डॉक्टर भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में हुए प्रिंटिंग वर्क में कमीशन से जुड़ा है. इंदिरा नगर थाने में एफआईआर दर्ज करवाने वाले डिजिटल टेक्नोलॉजी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के मालिक डेविड एम. डेनिस ने आरोप लगाया कि उनकी कंपनी 2014 से एग्रीमेंट के तहत आगरा विश्वविद्यालय में प्री और पोस्ट एग्जाम का काम करती है. विश्वविद्यालय के एग्जाम पेपर छापना, कॉपी को एग्जाम सेंटर से यूनिवर्सिटी तक पहुंचाने का पूरा काम इसी कंपनी के द्वारा किया जाता रहा है.

साल 2019 में एग्रीमेंट खत्म हुआ तो डिजिटेक्स टेक्नोलॉजीज ने यूपीएलसी के जरिए आगरा विश्वविद्यालय का काम किया. साल 2020 से 21 और 21- 22 में कंपनी के द्वारा किए गए काम का करोड़ों रुपया बिल बकाया हो गया था.

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जनवरी 2022 में अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के कुलपति का चार्ज विनय कुमार पाठक को मिला तो उन्होंने बिल पास करने के एवज में कमीशन की मांग की. एफआईआर दर्ज कराने वाले डेविड डेनिस ने फरवरी 2022 में कानपुर स्थित विनय पाठक के सरकारी आवास पर मुलाकात की और जहां पर 15 फीसदी कमीशन की डिमांड रखी गई. कंपनी के मालिक ने 15 फीसदी कमीशन देने से मना किया तो आरोप है कि विनय पाठक ने धमकाया ‘8 विश्वविद्यालय के कुलपति मेरे बनाए हैं अगर कमीशन नहीं दिया तो किसी भी विश्वविद्यालय में काम नहीं कर पाओगे.’

Face Time App से होती थी डील की बात

बिल पास करने के बाद कमीशन की रकम पहुंचाने पर मामला तय हुआ तो विनय पाठक ने अपने आईफोन से फेसटाइम में ऐप के जरिए कंपनी के एमडी डेविड एम. डेनिश की लखनऊ के अजय मिश्रा से वीडियो कॉल पर बात करवाई और अजय मिश्रा का नंबर दिया. हिदायत दी गई कि बिल पास होते ही कमीशन की रकम अजय मिश्रा के पास कैश पहुंच जानी चाहिए.

आगरा के अंबेडकर यूनिवर्सिटी के वीसी का चार्ज रहते विनय पाठक ने डेविड की कंपनी का पहला बिल 2.52 करोड़ रुपये का बना, जिसका 33 लाख रुपए का कमीशन था. दूसरा बिल अप्रैल 2022 में 4 करोड़ 45 लाख रुपये का पास किया, जिसका 73 लाख रुपये कमीशन बना.

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आरोप है कि पहले बिल को पास करने की एवज में डेविड 30 लाख रुपये लेकर पहुंचा कमीशन के 3 लाख रुपये कम थे तो अजय मिश्रा ने उसे अपने घर में बंधक बना लिया और धमकी दी कि ‘कमीशन की रकम नहीं मिली तो जाने नहीं देंगे.’ काफी मिन्नत करने के बाद उसे छोड़ा गया और अगले ही दिन डेविड ने बकाया के 3 लाख रुपये भी अजय मिश्रा को पहुंचा दिए थे.

दूसरे बिल के 73 लाख रुपये का कमीशन कैश में देने पर डेविड ने असमर्थता जताई तो अजय मिश्रा ने राजस्थान के अलवर की इंटरनेशनल बिजनेस फॉर्म्स कंपनी के अलवर स्थित पीएनबी के खाते में कमीशन के 63 लाख रुपये ट्रांसफर किए गए और 10 लाख रुपये कैश लिए गए. विनय पाठक ने तीसरा बिल 1 सितंबर 2022 को 2 करोड़ 79 लाख का पास किया और जिसके एवज में 35 लाख 55 हजार रुपये का कमीशन बना. कुल 1 करोड़ 40 लाख रुपये का कमीशन वसूला गया.

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बता दें कि कानपुर के छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति रहते हुए विनय पाठक को बीते जनवरी 2022 में आगरा के डॉक्टर भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था जो सितंबर महीने तक रहा. यह पूरा मामला इसी 9 महीने में अतिरिक्त कुलपति का चार्ज रहने के दौरान का है. 1 अक्टूबर को प्रोफेसर आशु रानी को आगरा के अंबेडकर यूनिवर्सिटी का कुलपति बनाया गया था.

आगरा विश्वविद्यालय में बीएएमएस की परीक्षा कॉपी लिखने में गड़बड़ी के मामले की यूपी एसटीएफ की आगरा यूनिट पहले ही जांच कर रही थी. जांच के दौरान कमीशन का यह मामला सामने आया और इंदिरा नगर थाने में एफआईआर दर्ज हुई तो अब इस हाई प्रोफाइल केस की जांच एडीजी एसटीएफ अमिताभ यश की निगरानी में यूपी एसटीएफ के डिप्टी एसपी अवनीश्वर श्रीवास्तव को सौंपी गई है.

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