उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले की वन विभाग की टीम ने दो ऐसे तस्करों को दबोचा है, जो दुर्लभ प्रजाति सांपों की तस्करी करते थे. तस्करों के पास से वन विभाग की टीम ने सेंड बोआ प्रजाति के (दो मुंहा सांप) और एक इंडियन कोबरा बरामद किया. ये सांप वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत संरक्षित हैं. इनके जहर से दवा बनाने के अलावा तांत्रिक विद्याओं में भी इसका प्रयोग करते हैं.
वन विभाग को मुखबिर से सूचना मिली थी कि कुछ तस्कर सपेरे की भूमिका में इलाके के वन क्षेत्र से सांपों की तस्करी कर रहे हैं. सोमवार को डोमिनगढ़ रेलवे स्टेशन के पास दो ऐसे तस्करों की मौजूदगी की जानकारी मिलने पर डीएफओ के निर्देश पर गठित टीम वहां पहुंच गई और सांपों के साथ उन्हें पकड़ लिया.
पूछताछ में आरोपियों ने अपना नाम एलननाथ और शिवनाथ बताया. आरोपी कानपुर ग्रामीण इलाके के रहने वाले हैं. वन विभाग की टीम ने तस्करों पर कार्रवाई करते हुए उन्हें जेल भेज दिया. वन विभाग ने बरामद सांपों को जंगल में छोड़ दिया है.
ये कीमती हैं सांप
पर्यावरणविद कुणाल ने बताया कि सांपों की तस्करी का रैकेट सक्रिय है. मुख्य रूप से मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के बीच इन्हें ऑपरेट किया जाता है. तस्कर दो मुंहे सांप लेकर उन्हें उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों के अलावा हरियाणा पहुंचाते हैं. यहां से इन सांपों को जिंदा या फिर इनके शरीर के अलग-अलग हिस्से अरब देशों को भेजे जाते हैं. इन सांपों की बिक्री वजन के हिसाब से होती है. अगर यह दो किलो से अधिक का होता है, तो इसकी कीमत लाखों रुपयों की होगी.
तगड़ा है सांप तस्करों का नेटवर्क
बरसात में सांपों के आबादी क्षेत्र में आने की घटनाएं बढ़ जाती हैं. शहर में रेलवे लाइन के आसपास के इलाकों में इनके मिलने की सूचनाएं बढ़ जाती हैं. इसकी जानकारी तस्करों को भी है और वे ऐसे मौकों का प्रयोग कर सांपों को पकड़ लेते हैं.
डीएफओ विकास यादव ने बताया कि पकड़े गए तस्करों की पहचान कानपुर ग्रामीण के रहने वाले के तौर पर हुई है. इन्हें सांप को पकड़ने का असली समय और उनके तस्करी के रैकेट की पूरी जानकारी है.