गोरखपुर: पेड़ पर लगने से पहले ही बुक हो जाते हैं ये फल, विदेशों में है गजब की डिमांड

विनित पाण्डेय

ADVERTISEMENT

UPTAK
social share
google news

Gorakhpur News: फलों के राजा आम के बारे में आप लोगों ने बहुत तारीफें और उसके मिठास को भुलते नहीं है. लेकिन हम आज आपको फलो में खास लीची की बात कर रहे हैं जो अपने गुणों के साथ अपने मिठास के लिए फेमस है. गुरु गोरखनाथ की तप स्थली यानी गोरखपुर में बसे रामनगर जो शहर के बीचों बीच स्थित है यहा एक एकड़ में फैले एक बाग में लीची के गिने चुने पेड़ है, जो सबसे कम समय में अपनी मिठास घोल कर गायब हो जाता है. इसलिए लीची के शौकीनों को कम समय ही इसका जायका मिलता है. आज हम आपको एक ऐसी लीची के बारे में बताने जा रहे हैं, जो फलता तो गोरखपुर में है, लेकिन यहां के लोग ही उसका स्वाद नहीं चख पाते.

महामारी कोरोना से पहले हर साल यहां होने वाली लीची लंदन और दुबई भेज दी जाती थी. इसकी स्वाद और ताजगी की वजह से विदेशों में इसकी जबरदस्त डिमांड होने के साथ ही मुंह मांगी कीमत भी मिलती थी. कोरोना के दौरान निर्यात रूकने से यही लीची गोरखपुर की फुटकर मार्केट में रामनगर के बाग की लीची 500 से 600 रुपए किलो बिकती है. जबकि दुबई और लंदन में पहुंचकर इसका रेट 1500 से 2000 हजार रुपए किलो हो जाता है.

कोरोना महामारी की वजह से गोरखपुर के लोगों ने लिया स्वाद

गोरखनाथ इलाके में कई एकड़ में लीची की एक बाग फैला है. इसके बावजूद भी शहर में रहने वाले लोगों को ही रामनगर की लीची नसीब नहीं होती थी. लीची लंदन-दुबई भेज दी जाती थी. हालांकि, कोरोना काल के दौर में लगे लॉकडाउन में पहली बार लीची का निर्यात नहीं हो पाया था. इसलिए इसका अब गोरखपुर सहित अन्य शहरों में लीची बेचना पड़ा था.

यह भी पढ़ें...

ADVERTISEMENT

 24 घंटे पानी में डूबे रहते हैं ये लीची

गोरखनाथ इलाके के रामनगर में बहुत पुरानी लीची की बाग है. ये बाग डेढ़ एकड़ से अधिक क्षेत्रफल में फैली है. यहां लीची के 15 पेड़ हैं. यहां 30 सालों से लीची की अच्छी पैदावर हो रही है. इस लीची की मिठास अन्य से बिल्कुल अलग होती है. यही वजह है कि सीजन शुरू होने से पहले ही लंदन और दुबई से बुकिंग आ जाती है. हर साल सीजन आते ही जैसे लीची तैयार होती है, उसे विदेशों में भेज दिया जाता था. जबकि, थोड़ा सा हिस्सा उन बड़े व्यापारियों को मिलता है, इसके लिए उन्हें पहले से ही बुकिंग करानी होती है.

ये भी पढें – 200 साल पहले इस गांव में अचानक आया पेड़ पर फल, खाया तो लगा लाजवाब, जानें दशहरी आम का रोचक इतिहास

ADVERTISEMENT

बचे हैं मात्र 15 ही पेड़

फहीम बताते हैं, यह एक विशेष प्रजाति की लीची है. जो, काफी कम देखने को मिलती है. गोरखपुर के रामनगर बाग में भी इसके सिर्फ 15 पेड़ ही बचे हैं. इसकी पैदावार भी कम होती है. क्योंकि, इसके पेड़ के लिए अलग तरह का जलवायु होना जरूरी है. यह सिर्फ ठंडी जगहों पर ही होती है. यही वजह है कि यहां सीजन शुरू होने से पहले पेड़ों के चारो ओर गड्ढे कर दिए जाते हैं और उसमें पूरा पानी भरा होता है. लीची के पेड़ 24 घंटे पानी में डूबे होने चाहिए और ठंडा वातावरण होना बेहद जरूरी है.

लीची के बाग में काम करने वाले फहीम बताते हैं कि यहां की लीची की मिठास और ताजगी का जवाब नहीं है, जो कहीं नहीं मिलेगी. इसलिए इसे बेचने में भी कहीं कोई दिक्कत नहीं होती है. मंहगी होने की वजह से ज्यादातर उच्च परिवार के लोग इस लीची को पंसद करते हैं.

ADVERTISEMENT

तभी इस पेड़ में फल लगेंगे. यही वजह है कि इन 15 पेड़ों को बचाने के लिए इसके चारो करीब 150 से अधिक आम और अन्य फलों के पेड़ हैं. ताकि, यहां का वातावरण सुरक्षित रह सके. इसकी देखभाल करने के लिए चार लोग लगे होते हैं. जो लगातार इन पेड़ों की देखभाल और गड्डों में पानी भरने का काम करते हैं.

विदेश में मिलती मुंह मांगी कीमत

फहिम बताते हैं कि मैं 10 साल से अधिक समय से इस बाग को देखरेख कर रहा हूं. हर साल यहां की लीची शुरू सीजन में ही लंदन और दुबई भेज दी जाती है. क्योंकि, वहां इसका अच्छा रेट मिलता है. हालांकि, कुछ लीची यहां स्पेशल आर्डर पर गोरखपुर के व्यापारियों को भी दी जाती है. लेकिन, गोरखपुर में इसका रेट महज 500 से 600 रुपए किलो ही मिलता है। जबकि, विदेश में 1500 से 2000 रुपए तक रेट मिल जाता.

    follow whatsapp

    ADVERTISEMENT