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आगरा के अमित और निखिल को सुनाई गई मौत की सजा, कोर्ट में ही रोने लगे दोनों

अरविंद शर्मा

उत्तर प्रदेश के आगरा में पांच वर्षीय मासूम बच्ची के साथ हुई हैवानियत के मामले में अदालत ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट (एडीजे-27) सोनिका चौधरी की अदालत ने आरोपियों अमित और निखिल को फांसी की सजा सुनाई है.

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उत्तर प्रदेश के आगरा में पांच वर्षीय मासूम बच्ची के साथ हुई हैवानियत के मामले में अदालत ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट (एडीजे-27) सोनिका चौधरी की अदालत ने आरोपियों अमित और निखिल को फांसी की सजा सुनाई है. अदालत ने कहा कि यह अपराध समाज की आत्मा को झकझोर देने वाला है और ऐसे दरिंदों को केवल मृत्युदंड ही न्यायसंगत दंड है.

बता दें कि यह दर्दनाक वारदात 18 मार्च 2024 की है. थाना बाह क्षेत्र के फरैरा गांव में पांच साल की बच्ची अपने घर के बाहर खेल रही थी. उसी दौरान रिश्ते के चाचा अमित और उसका साथी निखिल बाइक पर आए और बच्ची को बहला-फुसलाकर अपने साथ ले गए.

अपहरण के बाद गैंगरेप और हत्या का हुआ खुलासा

काफी देर तक बच्ची के घर न लौटने पर परिवार ने उसकी तलाश शुरू की और पुलिस में अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कराई. जांच के दौरान पुलिस ने चौंकाने वाला खुलासा किया. पोलिस जांच में सामने आया कि दोनों आरोपियों ने बच्ची के साथ गैंगरेप और कुकर्म करने के बाद उसकी हत्या कर शव को सरसों के खेत में दबा दिया था. इसके अलावा बच्ची के शरीर पर गहरे चोटों के निशान भी थे. 

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परिवार को गुमराह करने के लिए मांगी थी फिरौती

हत्या के बाद भी आरोपियों की हैवानियत यहीं नहीं रुकी. 19 मार्च को उन्होंने बच्ची के पिता को फोन कर छह लाख रुपये की फिरौती मांगी, ताकि परिवार को गुमराह किया जा सके. पिता ने तुरंत पुलिस को सूचना दी. 20 मार्च को पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. उनकी निशानदेही पर बच्ची का शव बरामद हुआ, जिसकी हालत देखकर गांव के लोग और पुलिसकर्मी भी सन्न रह गए.

एक महीने में दाखिल हुई चार्जशीट

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गैंगरेप और कुकर्म दोनों की पुष्टि हुई. पुलिस ने पुख्ता सबूतों और गवाहों के आधार पर एक महीने के अंदर चार्जशीट दाखिल की. ट्रायल के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से 18 गवाहों के बयान दर्ज कराए गए. एडीजीसी क्राइम सुभाष गिरी ने अदालत में मजबूत पैरवी की और आरोपियों के खिलाफ ठोस तर्क रखे.

फांसी की सजा से मिला न्याय

अदालत ने सभी साक्ष्यों और गवाहों को देखने के बाद दोनों आरोपियों को दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई. फैसला सुनते ही दोनों आरोपियों के चेहरों की हवाइयां उड़ गईं, जबकि उनके परिजन अदालत में फफक कर रो पड़े. वहीं पीड़िता के परिवार के चेहरों पर न्याय की जीत की चमक नजर आई.

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