UP Exit Poll 2024 : यूपी में अकेले चुनाव लड़ने के मायावती के फैसले ने किसे पहुंचाया फायदा? जानें क्या कहते हैं आंकड़े

कुमार अभिषेक

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up exit poll final result 2024
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Uttar Pradesh Exit Poll Final Result 2024 : उत्तर प्रदेश को लेकर आए एक्सिस माई इंडिया और इंडिया टुडे सर्वे के आंकड़ों ने सभी को चौंका दिया है. तमाम किंतु-परंतु के बावजूद बीजेपी एक बार फिर उत्तर प्रदेश में लैंडस्लाइड जीत की तरफ बढ़ती दिखाई दे रही है. अगर एग्जिट पोल के सर्वे नतीजे में तब्दील होते हैं तो बीजेपी 2014 और 2019 के में मिली सीटों के बीच रुक रही है. 2014 में बीजेपी को 71 सीटें अकेले मिली थी जबकि सहयोगियों के साथ 73 सीटें थी. 2024 के लिए एक्सेस माय इंडिया ने बीजेपी को 67 से 72 सीटें मिलने का अनुमान लगाया है जबकि इंडिया गठबंधन को 8 से 13 सीट मिल सकती है.

एग्जिट पोल (UP Exit Poll Final Result 2024) के नतीजों से इतना तो लगता है कि बीजेपी और उनके सहयोगी पिछले चुनाव से बेहतर कर रहे हैं और यही बात इंडिया गठबंधन पर भी लागू होती है. यह गठबंधन भी उत्तर प्रदेश में 2019 के मुकाबले बेहतर कर रहा है. बीएसपी जिसे 10 सीट मिली थी वह पूरी तरीके से साफ होती दिख रही है. जबकि यह 10 सीटें एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच बंट रही है.

सपा और कांग्रेस का बढ़ा वोट प्रतिशत

वोट प्रतिशत के लिहाज से बीजेपी को 2024 के चुनाव में एग्जिट पोल कुछ वोट प्रतिशत का नुकसान होते दिखा रहे हैं लेकिन सीटों के लिहाज से 2019 से कहीं ज्यादा  बीजेपी के खाते में आ रही है. 2019 में बीजेपी और उनके सहयोगी दलों यानी एनडीए को 50 फ़ीसदी से ज्यादा वोट मिले थे लेकिन इस बार इसमें मामूली गिरावट दिख रही है जो घटकर 49 फीसदी आ रहा है. वहीं इस बार इंडिया गठबंधन को जिसमें सपा और कांग्रेस शामिल हैं उसे 39 फीसदी वोट मिल रहे हैं, जो 2019 में सपा और बसपा के मिले वोटो के लगभग बराबर है. अगर हम इंडिया गठबंधन को देखें तो बसपा के बाहर होने के बावजूद सपा और कांग्रेस एक बड़ा वोट बैंक अपने साथ समेट रहे हैं जबकि बीएसपी के वोट प्रतिशत में अच्छा खासा नुकसान है और वह 8% पर सिमट रही है.

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यूपी में बीजेपी की सुनामी!

शनिवार को आए एग्जिट पोल के आंकड़ों को देखा जाए तो ऐसा लगा रहा है कि उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश में मोदी लहर नहीं बल्कि मोदी सुनमी आ रही है.  देश भर में यह सुनामी जैसा है लेकिन उत्तर प्रदेश में बीजेपी अपनी जमीन और मजबूत करती हुई दिखाई दे रही है. सीटों के लिहाज से एनडीए गठबंधन तीन से आठ सीटों के फायदे में है जबकि इंडिया गठबंधन को भी तीन से आठ सीटों का फायदा दिख रहा है. दोनों गठबंधनों को मिलने वाला फायदा बीएसपी की सीटों की कीमत पर हो रहा है. यानी 10 सीट पाने वाली बीएसपी इस बार जीरो पर आएगी और यह सीट इन दोनों गठबंधनों में बंटती दिख रही है.

ये फैक्टर पड़े सब पे भारी

दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी की गारंटी ने एक बार फिर लोगों को लुभाया है. मोदी पर भरोसा इतना ज्यादा है जो बीजेपी के लिए सीटों की सुनामी ला रहा है. मोदी की गारंटी और उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था यानी मोदी-योगी फैक्टर उत्तर प्रदेश में एक बार फिर धूम मचाता दिख रहा है. बीजेपी ने महिला वोटरों पर अपनी पकड़ बरकरार रखी है. सभी जाति बिरादरी में महिलाओं में मोदी की गारंटी सबसे बड़ा फैक्टर बनकर उभरता दिख रहा है. 10 साल के शासन के बावजूद अगर बीजेपी के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी नहीं दिखाई दे रही है. Axis My India के मुताबिक अगर सीटें बढ़ रही हैं  तो यह मोदी का जादू है जो सर चढकर बोल रहा है.

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दरअसल, उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने संगठन का ऐसा ढांचा तैयार किया है इसके आगे दूसरे दल कहीं दिखाई नहीं देते. बीजेपी की रैलियां में इस बार मोदी-मोदी का शोर कम रहा, लेकिन उनके मुद्दे वोटरों के दिलों में जगह बनाते रहे. बेशक राम मंदिर को लेकर उत्तेजना नहीं थी लेकिन राम मंदिर अंडर करंट की तरह काम करता दिखाई दिया है. लाभार्थी वर्ग प्रधानमंत्री मोदी के साथ साइलेंट वोटर की तरह काम करता दिखाई दे रहा है. गरीब आबादी जो मोदी की इस गारंटी में मकान, शौचालय, मुफ्त राशन, घर तक नल का पानी,किसान सम्मान राशि, मुफ्त गैस कनेक्शन, मुफ्त बिजली कनेक्शन और दूसरे कई प्रकार के डायरेक्ट बेनिफिट स्कीम उठा रहे हैं. वह फिलहाल मोदी की गारंटी पर भरोसा कर रहे हैं.

संगठन के भरोसे बीजेपी ने बूथ स्तर तक अपना जो संगठन मजबूत किया है उसका फायदा भी बीजेपी उठा रही है. वह अपने वोटरों को बूथ तक लाने में सफल है. लोगों में नाराजगी और निराशा के बावजूद संगठन बेहतर काम करता दिखाई दिया है.  बीजेपी ने बेशक 80 में 80 का नारा दिया था लेकिन उनके बड़े नेता भी 70 से 72 सीट मान रहे थे और एग्जिट पोल के सर्वे ने भी उसे पर ही मुहर लगाई है.

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BSP के अकेले लड़ने से किसे फायदा?

वहीं उत्तर प्रदेश में बीजेपी को ठाकुर और क्षत्रिय बिरादरियों के विरोध का कोई नुकसान नहीं हुआ इसके बारे में पहले चरण से लेकर आखिर चरण तक चर्चा बनी रही. माना जा रहा है कि इस बार कई जातियां बीजेपी से थोड़ी खफा दिखाई दी. जिसमें ओबीसी की कई जातियां शामिल हैं. यहां तक की गैर जाटव दलितों में भी बिखराव था और ठाकुरों की नाराजगी भी थी. लेकिन बीएसपी का अलग लड़ना बीजेपी को मदद दे गया . तमाम विरोध और बिखराव के बावजूद भाजपा अपना वोट प्रतिशत लगभग बचाने में सफल रही है. यही वजह है कि इस सर्वे ने बीजेपी की सुनामी दिखा दी.

यूं तो ये एग्जिट पोल है लेकिन एक्सिस माई इंडिया और इंडिया टुडे ज्यादातर एग्जिट पोल सटीक निशाने पर बैठे हैं. ऐसे में यह माना जा रहा है कि इस बार भी इस एग्जिट पोल के आंकड़े सही हो सकते हैं. 

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