अमरोहा, मुरादाबाद, कन्नौज और पीलीभीत में BSP ने चला ये कार्ड, क्या अखिलेश को होगा नुकसान?

ADVERTISEMENT

UPTAK
social share
google news

UP Political News: करीब 2 साल पहले हुए उपचुनाव से पहले आजमगढ़ जिला समाजवादी पार्टी (सपा) का गढ़ कहा जाता था. मगर इस उपचुनाव में कुछ ऐसा हुआ कि सपा का यह गढ़ ध्वस्त हुआ और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ ने यहां विजय हासिल की. हालांकि यह चुनाव ऐसा था, जहां चर्चा जीतने या हरने वाले उम्मीदवार से ज्यादा सपा और भाजपा में वोटो के अंतर को कम या ज्यादा करने वाले उम्मीदवार की हुई. वह उम्मीदवार थे बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के गुड्डू जमाली, जिनके चुनाव लड़ने का नतीजा सपा के धर्मेंद्र यादव को भुगतना पड़ा और उन्हें हार मिली.

मायावती बनेंगी 'INDIA' के लिए मुसीबत?

 

इस इस बात को 2 साल हो चुके हैं. मगर ऐसा लगता है कि बसपा की रणनीति आज भी ठीक वही है, जिसके चलते अब यह चर्चा हो रही है कि क्या मायावती इंडिया गठबंधन की राह यूपी में मुश्किल करने वाली हैं? बता दें, विपक्ष में होने के बाद भी मायावती ने अलग रास्ता चुना और इंडिया गठबंधन में शामिल नहीं हुईं और अकेले ही चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. सूत्रों के मुताबिक, पिछले तीन दिनों में उन्होंने 5 प्रत्याशियों का ऐलान किया है, जिनमें से चार मुस्लिम हैं.

 

 

मायावती का गेम प्लान फेर सकता है इंडिया के मंसूबों पर पानी?

यह बात यूपी में आम है कि मुस्लिम वोट एक मुश्त भाजपा के खिलाफ पड़ता है. इसका सीधा फायदा राज्य स्तर पर समाजवादी पार्टी और देश स्तर पर कांग्रेस को होता है. अब जब दोनों ही दल (सपा और कांग्रेस) इंडिया गठबंधन के तले साथ आ गए हैं, तो यह कयास लगाए जा रहे थे कि मुस्लिम वोट ना भटकर अब सीधा इंडिया एलाइंस को फायदा पहुंचाएगा. मगर मायावती का गेम प्लान इंडिया एलायंस के मंसूबों पर पानी फेर सकता है. मायावती की इसी रणनीति का असर यूपी विधानसभा चुनाव में भी दिखाई पड़ा था, जिसमे भले ही 403 में से केवल एक सीट बसपा जीती हो लेकिन सपा को हराने में अहम भूमिका निभाई थी. तब बसपा का वोट भाजपा में शिफ्ट हुआ था.

यह भी पढ़ें...

ADVERTISEMENT

सूत्रों के मुताबिक, बसपा ने कन्नौज से पूर्व सपा नेता अकील अहमद, पीलीभीत से पूर्व मंत्री अहमद खान फुल बाबू ,अमरोहा से मुजाहिद हुसैन और मुरादाबाद से इरफान सैफी को मैदान में उतारा है. हालांकि, इनमें कुछ जगह ऐसी हैं, जो मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र हैं और ऐसे में बसपा के पास और कोई विकल्प नहीं है. 

 

 

कन्नौज में भी मायावती ने उतारा मुस्लिम प्रत्याशी

कन्नौज की बात की जाए तो यह ब्राह्मण बाहुल्य इलाका है और नंबर दो पर यहां यादव-मुस्लिम और दलित लगभग बराबर हैं. ऐसे में यहां मायावती दलित चेहरा भी उतार सकती थीं, लेकिन उन्होंने मुस्लिम कैंडिडेट को उतारने का फैसला किया. हालांकि, पीलीभीत, मुरादाबाद और अमरोहा में मायावती का दांव चुनावी दांव पेंच के हिसाब से सटीक भी बैठता है, क्योंकि ये सभी मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र हैं.

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इंडिया गठबंधन बसपा की इस रणनीति की कोई काट ला पाता है, या मायावती अपनी राजनीतिक काबिलियत एक बार फिर प्रमाणित करती नजर आती हैं.

ADVERTISEMENT

    follow whatsapp

    ADVERTISEMENT