प्रेशर पॉलिटिक्स के जरिए कैसे आजम खान ने अखिलेश से मनवाई अपनी बात, जानिए इनसाइड स्टोरी

कुमार अभिषेक

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आजम खान और अखिलेश यादव (फाइल फोटो)
आजम खान और अखिलेश यादव (फाइल फोटो)
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Uttar Pradesh News : लोकसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी में तूफान आ गया है. मुरादाबाद में पहले मौजूदा सांसद एसटी हसन को टिकट मिला, फिर उनकी जगह रुचि वीरा को उतारने की बात हुई और फिर उन्होंने नामांकन कर दिया. एसटी हसन को अपने नामांकन के बाद अपनी उम्मीदवारी वापस लेनी पड़ी है क्योंकि आज़म खान ने रुचिवीरा को टिकट देने का दबाव अखिलेश यादव पर बना दिया था. अखिलेश यादव ज्यादा देर तक आजम खान के दबाव को नहीं झेल पाए. मंगलवार रात होते-होते उन्होंने एसटी हसन के टिकट को काट दिया और आजम खान की चहेती पूर्व विधायक रुचिवीरा को मुरादाबाद से टिकट दे दिया.

कामयाब हुई आजम की रणनीति

आजम खान ने सीतापुर जेल में बैठे-बैठे यह दिखा दिया कि बेशक वह कमजोर हो गए हो लेकिन सियासी तौर पर वह टूटने वाले नहीं हैे. पहले अखिलेश यादव को जेल में बुलाकर और फिर मुरादाबाद के सांसद एसटी हसन का नामांकन के बाद टिकट कटवा कर अपनी ताकत का एहसास करा दिया. हालांकि आजम खान के इस फैसले का विरोध मुरादाबाद में शुरू हो गया और एसटी हसन के टिकट काटे जाने के बाद समाजवादी पार्टी का एक तबका आजम खान के विरोध में उतर आया. लेकिन इस पूरे प्रकरण में जीत आजम खान की होती नजर आ रही है.

आजम और अखिलेश के झगड़े की असली वजह

आजम खान ने जो चिट्ठी बीती शाम अखिलेश यादव को लिखी, उस चिट्ठी में इन दोनों नेताओं के बीच विवाद का मजमून है. आजम खान को लगता है कि समाजवादी पार्टी को बनाने पर संवारने में उनका भी रोल है लेकिन अखिलेश यादव सिर्फ अपने और अपने परिवार को ही जीतना चाहते हैं. जबकि आजम खान की दबदबे वाली रामपुर और मुरादाबाद पर अखिलेश का ध्यान नहीं है.

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एसटी हसन से नाराजगी

पहले आजम खान ने अखिलेश यादव को जेल में बुलवाया और लगातार यह कहते रहे कि आप रामपुर लड़िए. दरअसल, आजम खान को मालूम था कि अखिलेश यादव रामपुर नहीं लड़ेंगे. इसी दबाव के बहाने वह रामपुर और मुरादाबाद पर अपने उम्मीदवार खड़े कर लेंगे लेकिन अखिलेश यादव ने जेल से निकलने के तुरंत बाद एसटी हसन का नाम मुरादाबाद के लिए आगे कर दिया. जबकि एसटी हसन इन दिनों आजम खान को फूटी आंख नहीं सुहा रहे थे.

दोनों के बीच विवाद की एक वजह ये है कि जब से आजम खान के दिन गर्दिश में पड़े हैं यानी जब से वह जेल में है तब से पार्टी का मुस्लिम चेहरा एसटी हसन बन गए हैं. यही नहीं अखिलेश यादव ने उन्हें लोकसभा में विधायक दल का नेता भी बना दिया. आजम खान को यह बात कैसे रास आई कि उनकी जगह समाजवादी पार्टी का कोई और मुस्लिम चेहरा बन चुका है. जानकारी के मुताबिक जब से आजम खान और उनके परिवार जेल में गया है तब से एसटी हसन ने उनकी कोई सुध भी नहीं ली है.

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इन सीटों पर आजम की पकड़

माना जाता है था कि आजम खान उत्तर प्रदेश की कई सीटों पर न सिर्फ अपनी पकड़ रखते थे बल्कि अपने मुताबिक उम्मीदवार भी तय करते थे. लेकिन जब से वह और उनका परिवार जेल के भीतर गया है. ज्यादातर लोगों ने आजम खान से अपना पीछा छुड़ा लिया है. आजम खान का यह दर्द उसे चिट्ठी के मजमून में छुपा है जो उन्होंने बीती शाम अखिलेश यादव को लिखी है. कभी एसटी हसन आजम खान के चहेते हुआ करते थे. मुरादाबाद के मेयर रहते उन्हें आजम खान ने ही लोकसभा का टिकट दिलाया था लेकिन आजम खान के जेल जाते ही उनकी निष्ठा अखिलेश यादव की तरफ हो गई, जो बात आजम खान को चुभ गई है.

मुरादाबाद से बदलना पड़ा प्रत्याशी

यही नहीं रुचिवीरा बहुत पहले से आजम खान की करीबी मानी जाती हैं और पैसे और संसाधन के लिहाज से भी रुचि वीरा बहुत मजबूत हैं. आजम खान को लगता है कि इस वक्त उन्हें मजबूत कंधे की जरूरत है क्योंकि उनका परिवार मुश्किल में है. अखिलेश यादव भी आजम खान की सब बातें मान जाए ऐसा नहीं चाहते, न ही वह यह चाहते हैं कि ऐसा कोई संदेश बाहर जाए मानो आजम खान अभी भी पार्टी को डिक्टेट कर रहे हों. लेकिन इस बार आजम खान ने अखिलेश यादव को झुका दिया. चुनाव के पहले माहौल कुछ इस कदर बन गया था कि अखिलेश यादव ने मुरादाबाद मंडल की 2 सीटों पर अपनी उम्मीदवार चाहते हैं. अखिलेश मिलने गए फिर भी साफ-साफ बातें नहीं हो पाई और अखिलेश यादव ने पहले एसटी हसन को मुरादाबाद से उम्मीदवार बना दिया. 

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रामपुर में बगावत

सिर्फ मुरादाबाद ही नहीं रामपुर में भी अखिलेश और आजम खान आमने-सामने आ गए हैं. आजम खान ने रामपुर को लेकर अखिलेश का नाम आगे बढ़ाया और उन्हें चुनाव लड़ने के लिए कहा तो अखिलेश यादव ने अपने परिवार से भतीजे तेज प्रताप का नाम आगे किया. जैसे ही तेज प्रताप की खबर आई कि वह रामपुर से चुनाव लड़ेंगे वैसे ही आजम खान की खेमे ने बगावत कर दी. अखिलेश यादव को यहां भी झुकना पड़ा है और तेज प्रताप यादव को वह रामपुर से चुनाव नहीं लाड़वा पाए. ऐसे में उन्होंने दिल्ली के संसद मार्ग के जामा मस्जिद के इमाम को टिकट दे दिया. इसके बारे में रामपुर में कोई नहीं जानता हालांकि इसके बाद आजम खान के करीबी आसीम राजा ने अपना पर्चा भी भर दिया.

अपने ही गढ़ में होगा सपा को नुकसान

कुल मिलाकर अखिलेश यादव और आजम खान की की आपसी लड़ाई अब सतह पर आ गई है. पहले अखिलेश यादव ने यह दोनों सीट, आजम खान के कोटे में रखी थी लेकिन आजम खान ने जेल से बैठे-बैठे ऐसी सियासत रची कि अखिलेश यादव को झुकना पड़ा. हालांकि दोनों के झगड़े में सियासी नुकसान समाजवादी पार्टी का होना तय है. क्योंकि इन दोनों सीटों पर कौन किसे जिताएगा और कौन किसे हराएगा यह कहना मुश्किल है.

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