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NEET सॉल्वर गैंग: BHU-KGMU के स्टूडेंट धराए, शातिर सरगना की कहानी कर देगी हैरान

संतोष शर्मा

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MBBS और BDS के लिए देशभर में होने वाली नीट परीक्षा में एक अंतरराज्यीय गैंग की सेंधमारी का हैरान करने वाला मामला सामने आया है. वाराणसी पुलिस के हत्थे चढ़े इस गैंग में बीएचयू, केजीएमयू समेत कई प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेजों के डॉक्टर और पढ़ाई कर रहे छात्र शामिल बताए जा रहे हैं.

हालांकि, अब तक इस गैंग के सरगना का पुलिस को सिर्फ नाम मालूम है, पुलिस के पास ना तो उसकी कोई तस्वीर है, ना ही वो उसका पता जानती है. मगर यूपी और बिहार समेत कई राज्यों में फैले इस नेटवर्क में शामिल 4 लोगों की गिरफ्तारी के बाद कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आ रही हैं.

चलिए, समझते हैं कि क्या है इस पीके गैंग का नीट परीक्षा में कनेक्शन? कैसे करता है पीके का सॉल्वर गैंग हाईटेक तरीके से काम?

वाराणसी पुलिस ने रविवार को नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (नीट) के सॉल्वर गैंग का खुलासा किया. इस मामले में पुलिस ने वाराणसी के सारनाथ इलाके के सेंट फ्रांसिस जेवियर स्कूल (परीक्षा केंद्र) में बीएचयू से बीडीएस सेकेंड ईयर की छात्रा जूली को गिरफ्तार किया. जूली के साथ उसकी मां बबीता को भी गिरफ्तार किया गया.

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इनसे पूछताछ की गई तो पता चला कि अपने बेटे अभय के कहने पर मां बबीता ने सॉल्वर गैंग से 5 लाख रुपये लिए थे, जिसके बाद मां ने अपनी बेटी जूली को त्रिपुरा की रहने वाली हिना विश्वास की जगह नीट परीक्षा में बिठाया था.

शुरुआती पूछताछ के बाद पुलिस को जो जानकारी मिली वो एक बड़े रैकेट से जुड़ी थी. गैंग में 3 टीमें काम करती थीं:

  • एक टीम जो 1 या 2 साल पहले नीट परीक्षा में अच्छे अंक पाकर मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई कर रहे स्टूडेंट्स की लिस्ट बनाकर उनको चुनती जो आर्थिक रूप से कमजोर हों. पकड़ी गई जूली भी ऐसे ही बैकग्राउंड से थी, उसके पिता पटना में सब्जी की दुकान लगाते हैं. जूली 2 साल पहले हुई नीट परीक्षा में 520 नंबर लाई थी.

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  • दूसरी टीम नीट परीक्षा में फेल हुए उन छात्रों का डेटाबेस तैयार करती जो पैसा दे सकते थे लेकिन परीक्षा पास नहीं कर पा रहे थे.

  • तीसरी टीम पैसों के लालच में आकर सॉल्वर बनने को तैयार हुए एमबीबीएस और बीडीएस के स्टूडेंट्स के चेहरे देखती, उनकी फोटो से, पैसा देकर परीक्षा पास करने वाले स्टूडेंट्स की जोड़ी बनाती.

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    गैंग के काम करने का तरीका यह था कि असली कैंडिडेट और सॉल्वर कैंडिडेट की फोटो को हाइब्रिड कर तीसरी फोटो बनाई जाती और वो फोटो एडमिट कार्ड पर लगा दी जाती, ताकि परीक्षा केंद्र पर मिलान हो तो नाक-आंख का असल कैंडिडेट से मिलान हो सके.

    फिर पैसा देने वाले परीक्षार्थी से गैंग 20 से 25 लाख रुपये वसूलता, जिसमें 5 लाख रुपये एडवांस लिए जाते. सॉल्वर को 5 लाख रुपये देना तय होता और 50000 रुपये बतौर एडवांस उसको थमा दिए जाते थे.

    गैंग में जो तीन अलग-अलग टीमें काम करतीं, वो आपस में संपर्क भी नहीं करती थीं. कोई भी टीम दूसरी टीम के बारे में यह नहीं जानती कि वो कहां काम कर रही है और किस के संपर्क में काम कर रही है.

    अब तक की पूछताछ में इस इंटर-स्टेट सॉल्वर गैंग के सरगना के तौर पर पटना के रहने वाले प्रेम कुमार उर्फ नीलेश उर्फ पीके का नाम सामने आया है. बताया जा रहा है कि पीके इस गैंग के ऑपरेशन में अपनी पहचान छिपाने के लिए विशेष एहतियात बरतता है. ऐसे में वह ना तो कहीं सोशल मीडिया पर दिखता है, ना ही हाईटेक फोन इस्तेमाल करता है.

    वाराणसी पुलिस कमिश्नर सतीश गणेश की मानें तो अब तक की पूछताछ में पीके के बारे में तमाम रोचक जानकारियां मिली हैं. जैसे कि पीके अपने गैंग मेंबरों से संपर्क करने के लिए कोरियर से चिट्ठी भेजता था, वो फोन का इस्तेमाल बहुत कम करने वाला और जल्दी-जल्दी नंबर बदलने वाला है, इतना ही नहीं एयरपोर्ट पर किसी भी तरह की फोटो ना आ जाए, इसलिए वह एयर ट्रैवल करता ही नहीं है, वह सिर्फ ट्रेन से यात्रा करता है, जब भी गैंग के किसी खास व्यक्ति से पीके को मिलना होता था तो वह खुद अपने बताए होटल में मीटिंग रखता था.

    वाराणसी पुलिस ने इस मामले में स्टूडेंट्स को सॉल्वर बनाने वाली टीम के सरगना और लखनऊ के केजीएमयू से डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहे ओसामा शाहिद को भी गिरफ्तार किया है. डॉ. ओसामा शाहिद केजीएमयू और बीएचयू जैसे मेडिकल संस्थानों में सॉल्वर बनने वाले फर्स्ट और सेकंड ईयर के स्टूडेंट्स को चुनता था.

    वाराणसी क्राइम ब्रांच ने इस मामले में सॉल्वर बन परीक्षा दे रही जूली कुमारी के भाई अभय महतो को भी गिरफ्तार किया है.

    अब तक 4 लोगों की गिरफ्तारी के बाद पता चला है कि पटना से चल रहे इस सॉल्वर बैंक का नेटवर्क ना सिर्फ बिहार और उत्तर प्रदेश में है, बल्कि दिल्ली और पूर्वोत्तर के राज्यों तक भी फैला हुआ है.

    पुलिस को अब तक मिले दस्तावेजों में बड़ी मात्रा में असम, त्रिपुरा समेत कई राज्यों के परीक्षार्थियों का डेटाबेस मिला है, जो या तो खुद सॉल्वर बनने को तैयार थे या फिर सॉल्वर के जरिए परीक्षा पास करना चाह रहे थे.

    फिलहाल वाराणसी पुलिस ने इस मामले में पटना पुलिस से संपर्क किया है. वाराणसी की एक स्पेशल टीम पटना और बाकी राज्यों की जगहों पर जाकर इस गैंग के पूरे नेक्सस का पता लगाने की दिशा में काम करेगी.

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