महंत नरेंद्र गिरि की कहानी: परिवार के लोग भी आते थे तो सिर्फ आशीर्वाद लेने

प्रयागराज में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत के बाद हर कोई उनके बारे में जानने को इच्छुक हैं. यूपी…

प्रयागराज में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत के बाद हर कोई उनके बारे में जानने को इच्छुक हैं. यूपी तक आपके लिए लगातार इस मामले से जुड़ी अपेड्टस और विशेष रिपोर्ट्स लेकर आ रहा है. आइए इसी क्रम में जानते हैं, नरेंद्र प्रताप सिंह से महंत नरेंद्र गिरी बनने तक का सफर.

नरेंद्र प्रताप सिंह से निरंजनी अखाड़े के महंत नरेंद्र गिरि बनने का सफर आज से 40 साल पहले शुरू हुआ. जब नरेंद्र प्रताप सिंह का सरयू प्रसाद सिंह इंटर कॉलेज से हाईस्कूल और इंटर की पढ़ाई करने के बाद संसारिक दुनिया मे मन नहीं लगा तो वह 20 साल की उम्र में अपना घर छोड़कर संन्यासी बनने के लिए निकल दिए.

10 साल बाद जब नरेंद्र प्रताप सिंह की मुलाकात उनके परिजनों से महाकुंभ में हुई, तो उस वक्त वह पूरी तरह से बदल चुके थे. महंत नरेंद्र गिरि के रूप में उनकी पहचान बन चुकी थी. वह संन्यास लेकर अखाड़े के महंत बन चुके थे. परिवार के लोगों ने मनाने का भी प्रयास किया था, मगर इसका असर उन पर नहीं हुआ. इसके बाद उनका और परिवार का संबंध पूरी तरह से खत्म हो गया.

महंत नरेंद्र गिरी के बड़े भाई अशोक कुमार सिंह जो अध्यापक थे. अब रिटायर होने के बाद प्रयागराज स्थित अपने पैतृक छतौना गांव में रहते हैं. उनका कहना है कि नरेंद्र गिरि पढ़ने में भी ठीक थे. बस वह अचनाक घर से गायब हो गए. 10 साल बाद हम लोगों को महाकुंभ में मिले. परिवार से उनका संबंध कभी कभार का ही था.

परिवार के लोग कभी कभी बाघंबरी मठ जाकर उनका आशीर्वाद ले लेते थे. उनके निधन के बाद पूरा परिवार स्तब्ध है. परिवार का कहना है कि नरेंद्र गिरि आत्महत्या नहीं कर सकते हैं. इस मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए.

बता दें कि प्रयागराज में 20 सितंबर को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. मामले में अभी तक पुलिस ने नरेंद्र गिरि के शिष्य आनंद गिरि को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि लेटे हुए हनुमान मंदिर के पुजारी आद्या तिवारी और उनके बेटे संदीप तिवारी पुलिस हिरासत में है.

(रिपोर्ट: सुरेश कुमार सिंह / यूपी तक)

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