इंद्रकांत त्रिपाठी केस: निलंबित SP अब भी फरार, कारोबारी के परिजनों ने बयां किया दर्द

नाहिद अंसारी

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उत्तर प्रदेश के महोबा जिले में आज से एक साल पहले 8 सितंबर 2020 को, तत्कालीन एसपी मणिलाल पाटीदार पर 6 लाख रुपये की रिश्वत मांगने का आरोप लगाने वाले क्रशर कारोबारी इंद्रकांत त्रिपाठी के गले में गोली लगी थी. घटना से एक दिन पहले 7 सितंबर को इंद्रकांत ने सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट कर तत्कालीन एसपी से जान का खतरा बताया था.

इंद्रकांत की मौत के मामले में फरार चल रहे एक लाख रुपये के इनामी निलंबित एसपी पाटीदार को पुलिस आज तक गिरफ्तार नहीं कर सकी है. एसटीएफ के साथ प्रयागराज और महोबा की 20 टीमें एक साल बाद भी खाली हाथ हैं. ऐसे में मृतक इंद्रकांत त्रिपाठी के परिजन बेहद नाराज हैं.

इंद्रकांत की भतीजी शिप्रा पांडेय का कहना है, ”मेरे चाचा की हत्या हुए एक साल पूरा हो गया है, लेकिन उन्हें आज भी इंसाफ नहीं मिला है. आज भी मणिलाल पाटीदार खुला घूम रहा है, पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं कर पाई है.”

प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय ने मृतक की पत्नी रंजना त्रिपाठी को सरकारी नौकरी या पहाड़ का पट्टा दिलाए जाने के लिए मुख्यमंत्री से सिफारिश की बात कही थी, लेकिन परिजनों के मुताबिक, यह वादा कोरा आश्वासन ही साबित हुआ है.

शिप्रा का कहना है, ”सरकार ने आश्वासन दिया कि इंद्रकांत त्रिपाठी की पत्नी को सरकारी नौकरी मिलेगी और उनके बच्चों की शिक्षा का ध्यान रखा जाएगा. पर ये आश्वासन, आश्वासन ही रहा.”

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शिप्रा ने कहा कि सरकार ने अपने वादे को पूरा नहीं किया, ऐसे में आज इंद्रकांत त्रिपाठी की पत्नी और बच्चे किराए के घर में दर-दर भटक रहे हैं.

इसके साथ ही शिप्रा ने कहा, ”मैं सरकार से प्रार्थना करती हूं कि आप हमारी समस्या को समझें.”

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इंद्रकांत के बड़े भाई विजय त्रिपाठी का आरोप है कि इंद्रकांत को गोली ”मणिलाल पाटीदार के द्वारा ही मरवाई गई थी. मगर पुलिस ने हत्या के केस को आत्महत्या में बदल दिया.” विजय ने कहा कि लगता है कि मणिलाल को पुलिस अधिकारी बचा रहे हैं.

क्या था मामला?

क्रशर कारोबारी इंद्रकांत त्रिपाठी ने तत्कालीन एसपी मणिलाल पाटीदार पर अवैध वसूली का दबाव बनाने और रुपये न देने पर झूठे मुकदमे में फंसाने का आरोप लगाते हुए सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट किया था और मुख्यमंत्री को शिकायती लेटर भेजा था. इस लेटर में तत्कालीन एसपी द्वारा हत्या कराए जाने की आशंका जताते हुए सुरक्षा की गुहार लगाई थी. इसके बाद 8 सितंबर 2020 को कारोबारी इंद्रकांत बघवा खोड़ा के पास अपनी कार में लहूलुहान हालत में मिले थे. गले में गोली लगने पर उन्हें कानपुर ले जाया गया था. जहां उनकी 13 सितंबर को मौत हो गई थी.

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एसआईटी ने जांच में मामला आत्महत्या का पाया था. थाना कबरई में तत्कालीन एसपी मणिलाल पाटीदार, बर्खास्त थानाध्यक्ष देवेंद्र शुक्ला, सिपाही अरुण यादव और दो व्यापारियों के खिलाफ आत्महत्या के लिए प्रेरित करने का मामला दर्ज किया गया था. चार आरोपियों को पुलिस ने एक महीने के अंदर ही गिरफ्तार कर लिया जबकि मुख्य आरोपी आईपीएस मणिलाल पाटीदार को एक साल बाद भी पुलिस टीमें नहीं खोज सकीं.

निलंबित एसपी पर एक लाख रुपये का इनाम है और उन्हें भगोड़ा घोषित किया जा चुका है. मृतक कारोबारी के भाई रविकांत त्रिपाठी और अन्य परिजन एक साल बाद भी न्याय न मिलने से पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़े कर रहे हैं. उन्होंने एसआईटी की जांच पर भी सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि इंद्रकांत साहसी और निडर प्रवृत्ति के थे, वह आत्महत्या नहीं कर सकते.

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