योगी सरकार की पहल से प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों का नामांकन और उपस्थिति बढ़ी

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उत्तर प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय बनवाने और अन्य बुनियादी ढांचा विकसित करने की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नीत सरकार की पहल से छात्रों के नामांकन और उपस्थिति में भारी वृद्धि हुई है. राज्‍य सरकार की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है.

रिपोर्ट के मुताबिक, नवंबर 2019 में राज्यभर के प्राथमिक विद्यालयों में लड़कियों के लिए शौचालयों की संख्या 61 प्रतिशत थी, जो इस साल नवंबर में बढ़कर 97 फीसदी हो गई.

दूसरी तरफ स्कूलों में नामांकन और उपस्थिति 2016-17 में 1.52 करोड़ की तुलना में 2022-23 में बढ़कर 1.91 करोड़ पर पहुंच गई. इसकी बड़ी वजह यह है कि प्राथमिक विद्यालयों में कई हैंडवाश यूनिटों (हाथ धोने वाली इकाइयों) की स्थापना सहित अन्य बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर दिया गया है.

हालांकि, जिलों की रिपोर्ट ने शौचालयों के रखरखाव में आने वाली समस्याओं को भी उजागर किया है. कई स्कूलों के छात्रों और स्थानीय लोगों ने शिकायत की है कि शौचालय या तो बंद रखे जाते हैं या फिर रोजाना उनकी सफाई नहीं होती.

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योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश के 1.33 लाख प्राथमिक विद्यालयों में 19 बुनियादी सुविधाओं को और मजबूत करने के लिए जून 2018 में ‘ऑपरेशन कायाकल्प’ शुरू किया था.

इस अभियान के तहत स्कूलों में विशेष जरूरतों वाले बच्चों (दिव्यांगों) के लिए मूत्रालय के साथ-साथ लड़कों और लड़कियों के अलग शौचालयों, स्वच्छ पेयजल, हाथ धोने की इकाइयों, कार्यात्मक बिजली कनेक्शन, कक्षाओं में फर्नीचर और अन्य चीजों के साथ चारदीवारी के निर्माण की व्यवस्था की गई.

स्कूल शिक्षा महानिदेशक विजय किरण आनंद ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ‘ऑपरेशन कायाकल्प’ की प्रगति की समीक्षा के लिए सभी मंडलों के आयुक्तों और जिलाधिकारियों के साथ मासिक बैठक करते हैं.

उन्होंने बताया कि कार्य की प्रगति पर नजर रखने के लिए राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर पर नियंत्रण कक्ष स्थापित किए गए हैं. इसके अलावा, सरकार द्वारा स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को मासिक आईवीआरएस (इंटरएक्टिव वॉयस रिस्पांस सिस्टम) कॉल कर उनकी प्रतिक्रिया जानने और चुनौतियां समझने का प्रयास किया जा रहा है.

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आनंद के मुताबिक, राज्य से ब्लॉक स्तर तक प्रेरणा डैशबोर्ड के माध्यम से तीन स्तरीय व्यापक निगरानी तंत्र भी विकसित किया गया है, ताकि सभी स्कूलों में बच्चों के अनुकूल आवश्यक बुनियादी ढांचे को समयबद्ध तरीके से पूरा किया जा सके.

उन्होंने कहा कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा ‘ऑपरेशन कायाकल्प’ को ‘सर्वश्रेष्ठ अभ्यास’ श्रेणी में चुना गया था और जून में इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक प्रस्तुति दी गई थी.

बलिया की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि बेसिक शिक्षा परिषद के तहत 2,249 स्कूल संचालित हो रहे हैं.

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जिला समन्वयक (निर्माण) सत्येंद्र राय ने बताया कि हर स्कूल में छात्राओं के लिए कम से कम एक शौचालय है, जबकि कुछ स्कूलों में उनके लिए एक से अधिक शौचालय बनाए गए हैं.

बिल्थर रोड स्थित एक सरकारी स्कूल की छात्रा ज्योति ने बताया कि लड़कों और लड़कियों, दोनों के लिए एक पंक्ति में तीन शौचालय हैं, लेकिन उनका प्रवेश द्वार एक होने के कारण छात्राओं को असहज महसूस होता है.

एक ही स्कूल में पढ़ने वाली तान्या और अनुराधा ने कहा कि शौचालयों की कभी-कभार ही सफाई होती है. ककरासो गांव के सरकारी स्कूल के प्रधानाचार्य सुशील यादव ने बताया, “चार शौचालयों वाले स्कूल में 514 छात्र-छात्राएं हैं। विभाग ने कोई भी सफाई कर्मचारी उपलब्ध नहीं कराया है, इसलिए सफाई के लिए उन्हें ग्राम पंचायत के कर्मचारियों पर निर्भर रहना पड़ता है.”

झांसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, अधिकांश स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय हैं. जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी नीलम यादव ने कहा कि ग्राम प्रधान या प्रधानाध्यापक शौचालयों को दैनिक आधार पर साफ करने की व्यवस्था करते हैं.

यादव के अनुसार, अलग शौचालय की सुविधा उपलब्ध कराए जाने से स्कूल आने वाली छात्राओं की संख्या बढ़ गई है. दिखोली की कक्षा पांच की एक छात्रा ने कहा कि शौचालय बनने के बाद उसे और उसकी सहेलियों को शौच के लिए घर जाने की जरूरत नहीं पड़ती.

शाहजहांपुर की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जिले में 2,720 सरकारी स्कूल हैं, जिनमें से 2,704 में पिछले साल नए शौचालय और मूत्रालय बनाए गए थे.

जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी सुरेंद्र सिंह ने बताया कि पंचायत के सफाई कर्मचारी स्कूलों में मौजूद शौचालयों की सफाई करते हैं. उन्होंने कहा कि भूमि उपलब्ध नहीं होने के कारण कुछ विद्यालयों में शौचालय का निर्माण नहीं हो सका है.

जलालाबाद बाड़ा ब्लॉक के कई अभिभावकों ने शिकायत की है कि स्कूलों में शौचालय ज्यादातर समय बंद रहते हैं, जिससे छात्रों को शौच के लिए पास के खेतों में जाने को मजबूर होना पड़ता है.

बागपत की जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कीर्ति ने कहा कि जिले के स्कूलों में पहले से ही लड़कों और लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालय हैं. बागपत के एक सरकारी स्कूल के प्रधानाचार्य आशुतोष मिश्रा ने दावा किया कि शौचालयों की रोजाना सफाई की जाती है.

मेरठ की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि लड़कियों के लिए अतिरिक्त शौचालयों के निर्माण के कारण स्कूलों में नामांकन बढ़ा है. जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी हरेंद्र शर्मा ने बताया कि मेरठ में 1,072 सरकारी स्कूल हैं, जिनमें से 32 किराये के भवन में संचालित हो रहे हैं.

उन्होंने कहा कि जहां सरकारी भवनों के स्कूलों में लड़के-लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालय हैं, वहीं किराये के परिसर में चल रहे कुछ स्कूलों में केवल एक शौचालय है.

शर्मा के मुताबिक, पंचायतें रोजाना साफ-सफाई का ध्यान रखती हैं. अब्दुलपुर प्रखंड के एक सरकारी स्कूल की प्रधानाध्यापिका हेमलता ने कहा कि अलग शौचालय होने के कारण लड़कियों की उपस्थिति लड़कों की तुलना में अधिक है. हालांकि, स्कूल के कुछ छात्र-छात्राओं के माता-पिता ने शिकायत की है कि शौचालयों की रोजाना सफाई नहीं की जाती है.

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