फैक्ट चेकर जुबैर को सीतापुर में दर्ज केस में SC से मिली जमानत पर जेल से नहीं आ पाएंगे बाहर

संजय शर्मा

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धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोपी फैक्ट चेकर और ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को सीतापुर में दर्ज केस में राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने मोहम्मद जुबैर को सीतापुर केस में पांच दिन की सशर्त अंतरिम जमानत दी है. इस मामले की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने यूपी सरकार और पुलिस को नोटिस जारी करते हुए कहा कि जुबैर को शर्तों के साथ अंतरिम जमानत दी जा रही है. जुबैर न्यायिक क्षेत्र से बाहर नहीं जाएंगे और मामले में फैसला होने तक ट्वीट नहीं करेंगे.

यूपी सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने गुजारिश की थी कि अंतरिम आदेश को सोमवार तक टाल दिया जाय, लेकिन कोर्ट ने इसे स्वीकार नहीं किया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि याचिकाकर्ता हमारी तय की गई शर्तों के साथ सीतापुर के फर्स्ट मजिस्ट्रेट अदालत में अपील कर सकता है. अंतरिम राहत देते हुए फैसले में कहा गया है कि मोहम्मद जुबैर किसी भी तरह से तकनीकी साक्ष्यों के साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेगा. यह आदेश सिर्फ सीतापुर में दर्ज एफआईआर को लेकर है.

जुबैर को मिली सशर्त राहत पर अभी जेल से बाहर आना संभव नहीं

कोर्ट ने साफ किया कि किसी अन्य एफआईआर में बेल मिलने के बावजूद इस आदेश की शर्तें लागू रहेंगी. आरोपी जुबैर सीतापुर के फर्स्ट मजिस्ट्रेट के न्याय क्षेत्र से बाहर नहीं जाएगा. तकनीकी तौर पर जमानत मिलने के बावजूद जुबैर का जेल से बाहर आना संभव नहीं है. ऐसा इसलिए वह दिल्ली में न्यायिक हिरासत में हैं. जुबैर को सिर्फ सीतापुर यूपी मामले में पांच दिन की जमानत मिली है.

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जुबैर को अब दिल्ली जेल में जाएगा क्योंकि वह दिल्ली की एक अदालत के आदेश के हिसाब से अभी न्यायिक हिरासत में हैं. आपको बता दें कि हिंदू शेर सेना सीतापुर के जिलाध्यक्ष भगवान शरण द्वारा एक जून को भारतीय दंड संहिता की धारा 295ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा-67 के तहत जुबैर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी. सीतापुर की न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत ने गुरुवार को मोहम्मद जुबैर को 14 जुलाई तक यूपी पुलिस की हिरासत में भेज दिया था.

मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी के मामले में भारत के बाहर से भी प्रतिक्रियाएं देखने को मिली हैं. जर्मनी के विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने बुधवार को ज़ुबैर के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई के संदर्भ में कहा था कि पत्रकार जो कहते हैं और लिखते हैं, उसके लिए उन्हें सताया नहीं जाना चाहिए और जेल में बंद नहीं करना चाहिए. इसपर गुरुवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने प्रतिक्रिया देते हुए जर्मनी की आलोचना को खारिज किया था. विदेश मंत्रालय ने कहा था कि भारत की न्यायपालिका की स्वतंत्रता सर्वविदित है और ‘तथ्यों को जाने बिना’ की गई टिप्पणियां ‘अनुपयोगी’ होती हैं और इनसे बचना चाहिए.

आपको बता दें कि ज़ुबैर को पिछले महीने दिल्ली पुलिस ने 2018 के ‘आपत्तिजनक ट्वीट’ को लेकर गिरफ्तार किया था.

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(भाषा के इनपुट्स के साथ)

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