वाराणसी में काशी विद्यापीठ और रथयात्रा के बीच रोपवे की टेस्टिंग में जब चला गोंडोला तो क्या हुआ?

रोशन जायसवाल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में देश के पहले पब्लिक ट्रांसपोर्ट रोपवे की टेस्टिंग शुरू हो गई है. यह रोपवे वाराणसी के जाम की समस्या को दूर करने में बड़ी भूमिका निभाएगा.

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Varanasi ropeway testing
वाराणसी रोपवे प्रोजेक्ट अपडेट.
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Ropeway testing begins in Varanasi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में देश के पहले पब्लिक ट्रांसपोर्ट रोपवे की टेस्टिंग शुरू हो गई है. यह रोपवे वाराणसी के जाम की समस्या को दूर करने में बड़ी भूमिका निभाएगा. फिलहाल, काशी विद्यापीठ और रथयात्रा के बीच गोंडोला (केबल कार) का अलाइनमेंट टेस्टिंग जारी है. प्रशासन की कोशिश है कि इस साल दीपावली से पहले इसका संचालन शुरू कर दिया जाए.

कैसे हुई रोपवे की पहली टेस्टिंग?

रोपवे की पहली टेस्टिंग के तहत दो स्टेशनों के बीच केबल बिछाकर उस पर गोंडोला को चलाया गया. मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा के मुताबिक, अलाइनमेंट टेस्टिंग अगले 1 से 1.5 महीने तक चलेगी, इसके बाद लोड टेस्टिंग होगी. ट्रायल रन से पहले रोपवे को अंतरराष्ट्रीय मानकों पर परखा जाएगा. मंडलायुक्त ने कहा, "अलाइनमेंट टेस्टिंग काशी विद्यापीठ और रथयात्रा स्टेशन के बीच चल रही है. अगले छह महीने में सभी स्टेशनों पर टेस्टिंग पूरी कर ली जाएगी. हमारी पूरी कोशिश है कि दीपावली से पहले यह रोपवे यात्रियों के लिए खोल दिया जाए."

क्या खास है वाराणसी रोपवे प्रोजेक्ट में?

  • भारत का पहला पब्लिक ट्रांसपोर्ट रोपवे.
  • 644 करोड़ रुपये की लागत से बन रहा है.
  • 3.7 किलोमीटर का सफर केवल 16 मिनट में पूरा होगा.
  • 50 मीटर ऊंचाई पर चलेगी 137 ट्रॉलियां, हर ट्रॉली में 10 लोग बैठ सकेंगे.
  • हर मिनट 100 यात्री रोपवे में सफर कर सकेंगे.
  • 5 प्रमुख स्टेशन: कैंट रेलवे स्टेशन, काशी विद्यापीठ, रथयात्रा, गिरजाघर और गोदौलिया.

नवंबर 2025 तक पूरा होने का लक्ष्य

वाराणसी रोपवे प्रोजेक्ट के निर्माण में स्विट्जरलैंड से आयात किए गए आधुनिक केबलकार का उपयोग किया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका मॉडल देख चुके हैं और डिजिटली इसका सफर भी कर चुके हैं. प्रशासन का लक्ष्य है कि नवंबर 2025 तक इस प्रोजेक्ट को पूरा कर लिया जाए.

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रोपवे से क्या फायदे होंगे?

  1. भीषण ट्रैफिक से मुक्ति मिलेगी.
  2. यात्रियों का समय बचेगा, 3.7 किमी का सफर सिर्फ 16 मिनट में.
  3. पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए सुविधाजनक यात्रा.
  4. सड़क दुर्घटनाओं और प्रदूषण में कमी.

अगले कदम

  • फरवरी में लोड टेस्टिंग की जाएगी.
  • अगले 6 महीनों तक टेस्टिंग और सेफ्टी चेक जारी रहेंगे.
  • दीपावली तक कमर्शियल रन शुरू करने की योजना.

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