UPTET पेपर लीक: कहीं सॉल्वर गैंग के नेटवर्क से तो नहीं मिला था प्रिंटिंग कंपनी को ठेका?
उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (UPTET 2021) पेपर लीक मामले में यूपी एसटीएफ को ऐसे किरदार की तलाश है, जिसके जरिए पता चल सके कि…
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उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (UPTET 2021) पेपर लीक मामले में यूपी एसटीएफ को ऐसे किरदार की तलाश है, जिसके जरिए पता चल सके कि जब लाखों अभ्यर्थी टीईटी परीक्षा का फॉर्म भर रहे थे, उस समय पेपर लीक कराने वाला गैंग कैसे दावे के साथ सॉल्वर गैंग को कैंडिडेट ढूंढने का ठेका दे रहा था.
यूपी एसटीएफ को जहां एक तरफ इस पूरे सिंडिकेट में राहुल मिश्रा और अनुराग शर्मा की तलाश है, वहीं पिपली गैंग के सबसे बड़े मास्टरमाइंड ”बेदी राम के भाई मनीराम” पर भी सस्पेंस बरकरार है.
टीईटी पेपर लीक मामले में जांच कर रही यूपी एसटीएफ को अब शक है कि इस पेपर लीक के पीछे कहीं एक बड़ा गैंग तो काम नहीं कर रहा था, जिसकी फंडिंग से ही राय अनूप प्रसाद की बिना प्रिंटिंग मशीन वाली कंपनी को पेपर प्रिंट करने का ठेका दिया गया.
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अब तक की जांच में यूपीएसटीएफ इस पेपर लीक का व्यापम कनेक्शन ढूंढ चुकी है. मध्य प्रदेश के व्यापम घोटाले में सॉल्वर गैंग सप्लायर डॉक्टर संतोष चौरसिया ने पूछताछ में अहम जानकारी दी है.
संतोष चौरसिया से पूछताछ में ही उत्तर भारत के सबसे बड़े सॉल्वर गैंग सरगना ”बेदी राम के भाई मनीराम” का नाम सामने आया. संतोष चौरसिया से पूछताछ में एक और किरदार राहुल मिश्रा भी सामने आया. राहुल मिश्रा ही वो शख्स है जिसने परीक्षा फॉर्म भरने के दौरान ही बॉटम ऐप के जरिए मनीराम से बात करवाई थी और संतोष चौरसिया को कैंडिडेट ढूंढने के लिए कह दिया गया था.
क्या है मनीराम और बेदी राम का कनेक्शन?
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डॉक्टर संतोष चौरसिया की गिरफ्तारी के साथ ही यूपी एसटीएफ ने दावा किया कि इस पेपर लीक मामले में बेदी राम का भाई मनीराम शामिल है. हालांकि हमने जौनपुर के जलालाबाद से ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि बेदीराम के गांव कुसिया में तफ्तीश की तो कुछ अलग ही सामने आया.
गांव में बेदी राम के किसी भाई का नाम मनीराम नहीं निकला. मनीराम नाम का कोई व्यक्ति बेदी राम के परिवार में है ही नहीं. बेदी राम के भाई का नाम बच्चू लाल है जो रेलवे में नौकरी करता है.
हमने इस मामले में जांच से जुड़े एक अधिकारी से सवाल किया कि बेदीराम का तो कोई भाई मनीराम है ही नहीं. इस पर अफसर का कहना है मनीराम के कैरेक्टर पर सस्पेंस राहुल मिश्रा की गिरफ्तारी के बाद ही साफ होगा क्योंकि राहुल मिश्रा ही वह कड़ी है जो मनीराम को जानता है और मनीराम के नाम पर ही संतोष चौरसिया को कैंडिडेट ढूंढने के लिए कहा था.
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ऐसे में नोएडा के गौर सिटी फेस टू में रहने वाले राहुल मिश्रा और अनुराग शर्मा की गिरफ्तारी यूपी एसटीएफ के लिए अहम होगी. राहुल मिश्रा बॉटम ऐप के जरिए ही संतोष चौरसिया या कैंडिडेट से बात करता था. जब किसी कैंडिडेट को शक होता तो बॉटम ऐप के जरिए ही वह गुरु जी या दद्दा से बात कराता था.
गुरु जी या दद्दा का कैरेक्टर भी बना सस्पेंस
पूछताछ के दौरान संतोष चौरसिया ने बताया कि राहुल मिश्रा ने कभी गुरु जी या दद्दा से मुलाकात नहीं करवाई, बस सोशल ऐप से बात करवाता था. इतना जरूर है कि दद्दा या गुरु जी बेहद शातिर दिमाग था, बहुत कम बातचीत हुई, लेकिन पूरा भरोसा दिला रहा था कि टीईटी का पेपर लीक जरूर हो जाएगा.
अब तक की जांच में साफ हो चुका है कि राहुल मिश्रा और संतोष चौरसिया का रैकेट परीक्षा फॉर्म भरने के दौरान से ही पेपर लीक के दावे के साथ कैंडिडेट ढूंढने में जुट गया था. यह उस वक्त हुआ जब तक अनूप प्रसाद की कंपनी r.s.m. finserv को ठेका तक नहीं दिया गया था.
ऐसे में शक है कि कहीं सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी के द्वारा राय अनूप प्रसाद की कंपनी को पेपर छापने का ठेका दिलाने के पीछे पेपर लीक कराने वाले गैंग का ही नेटवर्क तो काम नहीं कर रहा था.
ऐसे में कई सवाल उठ रहे हैं. मसलन पेपर प्रिंटिंग का ठेका देने से पहले नोएडा के नामी होटल में हुई राय अनूप प्रसाद और संजय उपाध्याय के बीच मुलाकात किसी नेटवर्क की प्लानिंग का हिस्सा तो नहीं थी? कहीं पेपर लीक कराने वाले गैंग ने ही तो अपने नेटवर्क का शासन प्रशासन में प्रयोग करते हुए सचिव संजय उपाध्याय से एक ऐसी कंपनी को ठेका तो नहीं दिलवा दिया जिसके पास अपनी प्रिंटिंग प्रेस तक नहीं और जहां से पेपर लीक करना आसान भी था.
28 नवंबर की परीक्षा का ठेका राय अनूप प्रसाद की कंपनी को 26 अक्टूबर को दिया गया, जबकि पेपर लीक कराने वाले गैंग महीनों पहले से समझ रहे थे कि पेपर प्रिंटिंग का ठेका एक ऐसी कंपनी को मिलेगा, जहां से पेपर लीक आसान होगा.
फिलहाल इस मामले पर एसटीएफ चीफ एडीजी अमिताभ यश का कहना है कि हम हर पहलू की जांच कर रहे हैं. किसी भी संभावना को खारिज नहीं कर रहे हैं. कुछ अहम गिरफ्तारियां होते ही पूरी नेटवर्किंग सामने आ जाएगी.
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