नरेंद्र गिरि: संतों को क्यों और कैसे दी जाती है भू-समाधि, यहां जानिए पूरी प्रक्रिया

रजत सिंह

ADVERTISEMENT

UPTAK
social share
google news

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के प्रयागराज स्थित बाघंबरी मठ के महंत नरेंद्र गिरि अब इस दुनिया में नहीं हैं. 22 सितंबर को उन्हें उनके ही मठ में भू-समाधि दी गई. इस मामले में जो कथित सुसाइड नोट मिला था, उसमें महंत नरेंद्र गिरि ने अपनी अंतिम इच्छा ये जताई थी कि उन्हें नींबू के पेड़ के पास भू-समाधि दी जाए. उस नोट में ये भी बताया गया था कि वहां उनके गुरु की समाधि है, तो उसके बगल में ही उन्हें समाधि दी जाए. ऐसे में पूरे विधि-विधान से महंत नरेंद्र गिरि को भू-समाधि दी गई.

आखिर भू-समाधि क्या होती है?

पुरोहित दीपू ने यूपी तक को बताया कि गृहस्थ लोगों के दाह संस्कार की व्यवस्था की गई है. लेकिन साधु संतों के लिए समाधि की व्यवस्था की गई है. इसके पीछे मान्यता ये है कि संन्यासी बनने से पहले व्यक्ति खुद का पिंडदान कर देता है. ऐसे में उन्हें समाधि दी जाती है. दो प्रकार की समाधि होती है. जल और भू-समाधि. पहले जल समाधि ली जाती थी, लेकिन अब प्रदूषण को देखते हुए ऐसा नहीं किया जाता है. मान्यता ये भी है कि यह परंपरा 1200 साल से भी ज्यादा पुरानी है. आदिगुरु शंकराचार्य ने भी भू-समाधि ली थी और उनकी समाधि केदारनाथ में आज भी मौजूद बताई जाती है. ध्यान देने वाली बात है ये है कि आदिगुरु शंकराचार्य ने ही अखाड़ों की परंपरा शुरू की थी.

यह भी पढ़ें...

ADVERTISEMENT

भू-समाधि दी कैसे दी जाती है?

दरअसल, भू-समाधि के सात चरण होते हैं. निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर महेशानंद गिरी से हमारे सहयोगी पंकज श्रीवास्तव ने बात की. उनके मुताबिक, पहले चरण में शरीर को गंगाजल से स्नान कराया जाता है. दूसरे चरण में आसन पर बिठाया जाता है. तीसरे चरण में विभूती लगाई जाती है. चौथे चरण में समाधि स्थान पर बिठाया जाता है. पांचवें चरण में वस्त्र पहनाए जाते हैं. इस दौरान ही चंदन, माला और फूल अर्पित किया जाता है. छठवें चरण में शरीर को ढक दिया जाता है. सातवां चरण समाधि का है. अंत में समाधि के ऊपर गाय के गोबर से लेपन किया जाता है. उन्होंने ये भी बताया कि समाधि के 16वें दिन सोरठी होती है, जिसमें भंडारें का आयोजन किया जाता है.

आखिर समाधि क्यों दी जाती है?

दरअसल, समाधि एक किस्म का योग भी होता है. लेकिन निधन के बाद चिर समाधि दी जाती है. माना जाता है कि संन्यासी हमेशा परोपकार की भावना रखते हैं. ऐसे में शरीर का इस्तेमाल परोपकार के लिए किया जा सके. समाधि के बाद जीव शरीर से अपना पेट भर लेते हैं. इसके अलावा, समाधि इसलिए भी दी जाती है कि ताकि शिष्य वहां जाकर अपने गुरु को याद कर सकें.

नरेंद्र गिरि केस: CBI जांच की सिफारिश, अब उस तस्वीर की तलाश जिससे महंत को था बदनामी का डर?

ADVERTISEMENT

    Main news
    follow whatsapp

    ADVERTISEMENT