400% की ग्रोथ...जेवर में जमीन लेने वालों की तो लॉटरी लग गई, नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का कुछ ऐसा असर
UP News: उत्तर प्रदेश के जेवर क्षेत्र में पिछले कुछ सालों में रियल एस्टेट बाजार ने अभूतपूर्व बदलाव देखा है. 2018 के बाद से जेवर में जमीन की कीमतों में लगभग 400% की वृद्धि दर्ज की गई है, जो इसे भारत के सबसे तेजी से बढ़ते रियल एस्टेट माइक्रो-मार्केट्स में से एक बनाती है
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UP News: उत्तर प्रदेश के जेवर क्षेत्र में पिछले कुछ सालों में रियल एस्टेट बाजार ने अभूतपूर्व बदलाव देखा है. 2018 के बाद से जेवर में जमीन की कीमतों में लगभग 400% की वृद्धि दर्ज की गई है, जो इसे भारत के सबसे तेजी से बढ़ते रियल एस्टेट माइक्रो-मार्केट्स में से एक बनाती है. इस उछाल का प्रमुख कारण नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का निर्माण है, जिसे एशिया का सबसे बड़ा हवाई अड्डा माना जा रहा है. यह लेख जेवर में जमीन की कीमतों में हुई इस वृद्धि के कारणों, प्रभावों और भविष्य की संभावनाओं पर एक शोध-आधारित विश्लेषण प्रस्तुत करता है.
नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट: विकास का उत्प्रेरक
नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट को गौतमबुद्ध नगर जिले में यमुना एक्सप्रेसवे के किनारे बनाया जा रहा है. इस परियोजना की आधारशिला नवंबर 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रखी गई थी. पहले चरण के पूरा होने पर यह हवाई अड्डा 1.2 करोड़ यात्रियों की वार्षिक क्षमता पूरा करेगा. 2025 में इसके शुरू होने की उम्मीद है. परियोजना के सभी चरण पूरे होने पर यह 7 करोड़ यात्रियों को संभालने में सक्षम होगा. इस मेगा-इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट ने क्षेत्र की कनेक्टिविटी को बढ़ाया और आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित किया है, जिसके परिणामस्वरूप जमीन की मांग और कीमतों में भारी उछाल आया है.
2018 से 400% की वृद्धि: आंकड़े और विश्लेषण
2018 में जेवर एक छोटा सा कस्बा था, जहां जमीन की कीमतें अपेक्षाकृत कम थीं, औसतन 2,000-3,000 रुपये प्रति वर्ग मीटर. नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट की घोषणा और निर्माण शुरू होने के बाद, यह क्षेत्र निवेशकों और डेवलपर्स के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया. 2025 तक कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, जमीन की कीमतें 10000-12000 रुपये प्रति वर्ग मीटर तक पहुंच गई हैं, जो 400% से अधिक की वृद्धि दर्शाती हैं.
यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) ने भी आवासीय, व्यावसायिक और औद्योगिक भूखंडों की आवंटन दरों में समय-समय पर वृद्धि की है. उदाहरण के लिए 2023 में आवासीय भूखंडों की दर 17400 रुपये से बढ़कर 18510 रुपये प्रति वर्ग मीटर हो गई और 2024 में इसे और संशोधित किया गया. निजी बिल्डरों और कॉलोनाइजर्स ने भी कीमतों को आसमान छूने में योगदान दिया है, जिसके चलते कुछ प्रीमियम प्लॉट्स की कीमतें 20,000 रुपये प्रति वर्ग मीटर से भी अधिक हो गई हैं.
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ये हैं वृद्धि के कारण
- इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास: नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के साथ-साथ मेट्रो विस्तार, यमुना एक्सप्रेसवे का उन्नयन, और प्रस्तावित फिल्म सिटी जैसे प्रोजेक्ट्स ने क्षेत्र की कनेक्टिविटी और आकर्षण को बढ़ाया है.
- निवेश का आकर्षण: एयरपोर्ट की घोषणा के बाद से जेवर में निवेशकों की भीड़ बढ़ी है. यमुना अथॉरिटी की हाउसिंग स्कीम में 451 प्लॉट्स के लिए 1.5 लाख से अधिक आवेदन आए थे, जो मांग की तीव्रता को दर्शाता है.
- आर्थिक अवसर: एयरपोर्ट से उद्योगों, पर्यटन और होटल इंडस्ट्री को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, जिससे रोजगार के अवसर बढ़े हैं और जमीन की मांग में इजाफा हुआ है.
- सरकारी नीतियां: उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों के मुआवजे को 3,100 रुपये से बढ़ाकर 4,300 रुपये प्रति वर्ग मीटर किया, जिसने बाजार दरों को और ऊपर धकेला.
प्रभाव
- किसानों की समृद्धि: जिन किसानों ने अपनी जमीन सरकार को दी, उन्हें न केवल बेहतर मुआवजा मिला, बल्कि आसपास की उनकी अन्य जमीनों की कीमतें भी बढ़ गईं. कई किसान रातोंरात करोड़पति बन गए.
- रियल एस्टेट बूम: जेवर अब एक टाउनशिप के रूप में विकसित हो रहा है, जहां डाटा सेंटर हब, मेडिकल डिवाइस पार्क और थीम-आधारित शहर परियोजनाएं शुरू हो रही हैं.
- सामाजिक बदलाव: बढ़ती कीमतों ने स्थानीय लोगों के जीवन स्तर में सुधार किया, लेकिन साथ ही जमीन की उपलब्धता कम होने से नए खरीदारों के लिए चुनौतियां भी बढ़ी हैं.
भविष्य की संभावनाएं
रियल एस्टेट विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2030 तक जेवर में जमीन की कीमतें 50% और बढ़ सकती हैं. अगर वर्तमान वृद्धि दर बनी रही, तो कीमतें 15,000-20,000 रुपये प्रति वर्ग मीटर तक पहुंच सकती हैं. एयरपोर्ट के चालू होने के बाद पर्यटन (मथुरा, वृंदावन और आगरा की निकटता के कारण) और औद्योगिक विकास से यह क्षेत्र और समृद्ध होगा. हालांकि, कीमतों में यह तेजी सीमित आपूर्ति और बढ़ती मांग के कारण कुछ समय के लिए स्थिर भी हो सकती है.
क्या हैं चुनौतियां
- पर्यावरणीय चिंताएं: एयरपोर्ट निर्माण के लिए जंगलों और वन्य क्षेत्रों का अधिग्रहण पर्यावरणविदों के लिए चिंता का विषय है.
- किसानों का विरोध: कुछ किसान अभी भी मुआवजे और पुनर्वास से असंतुष्ट हैं, जिसके कारण भूमि अधिग्रहण में देरी हुई है.
- बाजार संतुलन: अत्यधिक कीमतें सामान्य खरीदारों के लिए जेवर को पहुंच से बाहर कर सकती हैं.
जेवर में जमीन की कीमतों में 400% की वृद्धि नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के प्रभाव का स्पष्ट प्रमाण है. यह परियोजना न केवल क्षेत्रीय विकास को गति दे रही है, बल्कि निवेशकों और स्थानीय लोगों के लिए अपार संभावनाएं भी लेकर आई है. हालांकि, इस तेजी के साथ पर्यावरण, सामाजिक संतुलन और दीर्घकालिक स्थिरता पर ध्यान देना जरूरी है। जेवर अब एक छोटे कस्बे से एक प्रमुख निवेश केंद्र में बदल रहा है, और यह कहानी भारत में इन्फ्रास्ट्रक्चर-चालित रियल एस्टेट विकास का एक शानदार उदाहरण है.
यह खबर विभिन्न समाचार स्रोतों, रियल एस्टेट रिपोर्ट्स और बाजार विश्लेषण पर आधारित है. कीमतों और आंकड़ों में मामूली बदलाव क्षेत्र और समय के अनुसार संभव है.