SC ने UP सरकार से 512 कैदियों की समय पूर्व रिहाई पर 2018 की नीति पर विचार करने को कहा

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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि उम्रकैद की सजा काट रहे और शीर्ष अदालत में गुहार लगा चुके…

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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि उम्रकैद की सजा काट रहे और शीर्ष अदालत में गुहार लगा चुके 512 कैदियों की समय पूर्व रिहाई के विषय पर 2018 की राज्य की नीति में तय मानदंडों का पालन करते हुए चार महीने के अंदर विचार किया जाए.

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने इस बात का संज्ञान लिया कि उम्रकैद की सजा काट रहे दोषियों की समय पूर्व रिहाई के लिए राज्य सरकार की 2018 की नीति को 28 जुलाई, 2021 और मई 2022 में संशोधित किया गया है और अनेक प्रावधानों में लचीलापन लाया गया है.

शीर्ष अदालत ने इस बात पर गौर किया कि उम्रकैद काट रहे जो सभी दोषी उसके समक्ष समय पूर्व रिहाई की गुहार लगा रहे हैं.उन्हें 2018 की नीति से पहले दोषी करार दिया गया था और पिछले फैसलों के अनुसार याचिका पर उस नीति के आधार पर विचार करना होगा जो उस दिन लागू थी जब उन्हें निचली अदालत ने दोषी करार दिया था.

उसने कहा, ‘‘उसके अनुसार हम निर्देश देते हैं कि मौजूदा मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे दोषियों की समय पूर्व रिहाई के सभी मामलों पर एक अगस्त, 2018 की नीति के अनुसार विचार किया जाए.’’

शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘एक अगस्त, 2018 की नीति स्पष्ट करती है कि उम्रकैद की सजा काटते हुए कोई आवेदन जमा करने की जरूरत नहीं है और आजीवन कारावास काट रहे प्रत्येक कैदी की पात्रता के अनुरूप अधिकारी समय पूर्व रिहाई की प्रक्रिया पर विचार करेंगे.’’

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