ABVP पर दिए गए बयान को लेकर ओपी राजभर की मुश्किलें बढ़ीं, पहले घर के सामने हुआ बवाल और अब लीगल नोटिस
उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपने बयानों से अक्सर चर्चा में रहने वाले कैबिनेट मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं.
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उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपने बयानों से अक्सर चर्चा में रहने वाले कैबिनेट मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के कार्यकर्ताओं को कथित तौर पर 'गुंडा' कहने के बाद, उनके घर के सामने प्रदर्शन हुआ और अब उन्हें कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है. इस मामले में उन्हें एक विधिक नोटिस भेजा गया है, जिसमें 5 दिनों के भीतर सार्वजनिक माफी की मांग की गई है.
क्या है लीगल नोटिस का मामला?
मंत्री ओपी राजभर को यह कानूनी नोटिस गोंडा के रहने वाले एबीवीपी कार्यकर्ता आदर्श तिवारी ने अपने वकील सिद्धार्थ शंकर दुबे के माध्यम से भेजा है. यह नोटिस खास तौर पर एबीवीपी के कार्यकर्ताओं को 'गुंडा' कहे जाने वाले बयान के खिलाफ है. नोटिस में कहा गया है कि अगर राजभर अगले 5 दिनों के भीतर इस बयान के लिए सार्वजनिक तौर पर माफी नहीं मांगते हैं, तो उनके खिलाफ मानहानि की कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी.
क्यों विवादों में फंसे हैं ओपी राजभर?
यह मामला तब सामने आया जब बाराबंकी की श्री रामस्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी में लॉ कोर्स की मान्यता को लेकर एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया. इस दौरान पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया. कार्यकर्ताओं का आरोप है कि ओपी राजभर ने लाठीचार्ज का समर्थन किया और उन्हें 'गुंडा' कहा. इस बयान के बाद एबीवीपी के कार्यकर्ता भड़क गए. उन्होंने पहले लखनऊ और फिर बलिया के रसड़ा इलाके में ओपी राजभर के घर के सामने जोरदार प्रदर्शन किया. बलिया में कार्यकर्ताओं ने उनका पुतला फूंका और योगी आदित्यनाथ सरकार से उन्हें मंत्रिमंडल से तुरंत बर्खास्त करने की मांग की. रसड़ा पुलिस स्टेशन के एसएचओ योगेंद्र बहादुर सिंह ने बताया कि विरोध प्रदर्शन करीब आधे घंटे तक चला.
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राजभर के बेटे अरविंद की सफाई, पिता के बयान को गलत समझा गया
बयान को लेकर बढ़ते बवाल के बाद ओपी राजभर के बेटे और SBSP के राष्ट्रीय महासचिव अरविंद राजभर ने इस पूरे मामले पर सफाई दी. उन्होंने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि उनके पिता के बयान को मीडिया ने गलत तरीके से पेश किया है. अरविंद राजभर के मुताबिक मंत्री ने कभी भी 'गुंडा' शब्द का इस्तेमाल नहीं किया. उन्होंने सिर्फ इतना कहा था कि प्रदर्शन 'संवैधानिक और लोकतांत्रिक' तरीके से होने चाहिए. अरविंद राजभर ने छात्रों पर हुए लाठीचार्ज के लिए सीधे तौर पर प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया और यह भी कहा कि छात्रों की मांगें पूरी तरह से जायज थीं. अब देखना यह है कि लीगल नोटिस मिलने के बाद ओपी राजभर इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं और क्या वह सार्वजनिक माफी मांगेंगे या कानूनी कार्रवाई का सामना करेंगे.