UP चुनाव के वक्त पीक पर होगी कोरोना की तीसरी लहर? जानिए IIT प्रोफेसर ने क्या बताया
एक ऐसे वक्त में जब कोरोना वायरस के ओमीक्रॉन वैरिएंट को लेकर कई तरह की आशंकाएं जताई जा रही हैं, आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर मणींद्र…
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एक ऐसे वक्त में जब कोरोना वायरस के ओमीक्रॉन वैरिएंट को लेकर कई तरह की आशंकाएं जताई जा रही हैं, आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल ने इससे जुड़ी कई अहम बातें बताई हैं. इसके साथ ही प्रोफेसर अग्रवाल ने कहा है कि अगले साल के शुरुआती महीनों में कोरोना की तीसरी लहर पीक पर हो सकती है. बता दें कि 2022 की शुरुआत में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव भी होना है.
आइए जानते हैं कि प्रोफेसर अग्रवाल ने कोरोना वायरस और इसके नए वैरिएंट ओमीक्रॉन को लेकर क्या-क्या कहा है.
कोरोना की तीसरी लहर कब आने की आशंका है, क्या इस बार भी कोविड मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ेगी?
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आशंका है कि ओमीक्रॉन वैरिएंट हमारे देश में भी फैलेगा और ये डेल्टा वैरिएंट से ज्यादा तेजी से फैलने वाला है तो थोड़ा जल्दी फैलेगा. अगर हम मानते हैं कि इसने अभी फैलना शुरू कर दिया है, तो तीसरी लहर अगले साल के शुरू के महीनों में अपने चरम स्तर पर होगी और उसके बाद मामलों की संख्या कम होनी शुरू हो जाएगी. इसके दूसरी लहर जितनी घातक नहीं होने की संभावना है. दूसरी लहर में बहुत ज्यादा ऑक्सीजन या हॉस्पिटल बेड्स की जरूरत पड़ी थी, अभी तक के जो लक्षण हैं उसके अनुसार दिख रहा है कि ओमीक्रॉन की वजह से वैसी जरूरत नहीं पड़ेगी.
क्या ओमीक्रॉन वैरिएंट डेल्टा वैरिएंट से ज्यादा खतरनाक है, जो नैचुरल और वैक्सीन इम्युनिटी को बाईपास कर सकता है?
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इसके बारे में अभी निश्चित रूप से कुछ कहा नहीं जा सकता. जो अभी तक इंडिकेशन्स आए हैं, वो ये बता रहे हैं कि ओमीक्रॉन वैरिएंट, डेल्टा वैरिएंट से ज्यादा तेजी से फैलता है, लेकिन क्या ज्यादा लोग इसकी वजह से अस्पताल जाएंगे, वो अभी नहीं कहा जा सकता. साउथ अफ्रीका या अन्य देशों में जो लोग ओमीक्रॉन से प्रभावित हैं, उनको बस माइल्ड इन्फेक्शन हुआ है.
आपके विश्लेषण के आधार पर ओमीक्रॉन वैरिएंट का देश पर क्या असर पड़ेगा?
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ओमीक्रॉन वैरिएंट के बारे में माना जा रहा है कि ये कुछ हद तक वैक्सीन वाली इम्युनिटी को बाईपास करने में सक्षम है. जो अभी तक लक्षण हैं उसके आधार पर कह सकते हैं कि जहां तक नैचुरल इम्युनिटी की बात है, उसे ओमीक्रॉन बहुत ज्यादा बाईपास नहीं कर पा रहा है. अगर ऐसा ही हुआ तो भारत में इसका बहुत ज्यादा असर होने की संभावना नहीं है क्योंकि भारत में 80 फीसदी जनसंख्या में नैचुरल इम्युनिटी है.
इसके अलावा प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल ने बताया है कि देश में नैचुरल इम्युनिटी के अलावा हाइब्रिड इम्युनिटी भी है, यानी जिसे कोरोना हुआ और उसने वैक्सीन की डबल डोज भी ले ली, ऐसे लोगों पर नए वैरिएंट का असर बहुत कम दिखाई देता है.
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