यूपी में मशरूम की खेती के लिए यूं मिलेंगे 8 लाख रुपये, बांदा के अभिषेक से जानिए इसे झोपड़ी में उगाने का तरीका
उत्तर प्रदेश में मशरूम की खेती न केवल किसानों की आमदनी बढ़ाने का एक बेहतर जरिया बन रही है, बल्कि सरकारी सहायता के जरिए इसे और प्रोत्साहित किया जा रहा है.
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Mushroom farming in Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश में मशरूम की खेती न केवल किसानों की आमदनी बढ़ाने का एक बेहतर जरिया बन रही है, बल्कि सरकारी सहायता के जरिए इसे और प्रोत्साहित किया जा रहा है. बांदा जिले के अभिषेक सिंह पटेल जैसे युवा किसान इसकी मिसाल हैं, जिन्होंने बांस की झोपड़ी में मशरूम की खेती करके लाखों की कमाई का रास्ता तैयार किया है.
कैसे झोपड़ी में मशरूम की खेती कर रहे हैं अभिषेक?
हमारे सहयोगी किसान तक की रिपोर्ट के मुताबिक बांदा के पिंडारन गांव के रहने वाले 30 वर्षीय अभिषेक ने 2021 से मशरूम की खेती शुरू की. उन्होंने बताया कि उन्होंने खेती के लिए बांदा कृषि विश्वविद्यालय और कृषि विज्ञान केंद्र से मार्गदर्शन लिया. अभिषेक ने मचान विधि अपनाई है, जिसमें उन्होंने बांस की झोपड़ी बनाई. 30 फीट लंबी और 60 फीट चौड़ी इस झोपड़ी में 16 बेड हैं. प्रत्येक बेड में मशरूम उगाने के लिए खासतौर पर तैयार की गई कंपोस्ट का इस्तेमाल होता है.
अभिषेक का कहना है कि मशरूम की खेती के लिए वह केवल 1% रसायन का उपयोग करते हैं, जिससे उनका उत्पाद पूरी तरह ऑर्गेनिक होता है. यह 40-50 दिनों में तैयार हो जाता है. इस प्रक्रिया में गेहूं या चावल के भूसे को केमिकल्स के साथ मिलाकर कंपोस्ट खाद तैयार की जाती है. इसके बाद, कंपोस्ट को परतों में बिछाकर मशरूम के बीज लगाए जाते हैं.
मशरूम की खेती से होती है लाखों की कमाई
अभिषेक ने बताया कि वह साल में सिर्फ 4 महीने (सितंबर से मार्च) मशरूम की खेती करते हैं. इन चार महीनों में वे करीब 32 क्विंटल मशरूम का उत्पादन करते हैं.
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प्रति क्विंटल कीमत: 12,000 रुपये
कुल आय (एक सीजन): 3-4 लाख रुपये
लागत: 1 लाख रुपये
मुनाफा: 2-3 लाख रुपये प्रति सीजन
अभिषेक अपने उत्पाद को बांदा, कानपुर, और वाराणसी जैसे शहरों के बाजारों में सप्लाई करते हैं. उनके अनुसार, बटन मशरूम की तुलना में उनकी फसल का स्वाद अलग और बेहतर है, जिससे बाजार में इसकी मांग अधिक रहती है.
यूपी सरकार से मिलेंगे 8 लाख रुपये की मदद
उत्तर प्रदेश सरकार मशरूम की खेती को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही है.
सब्सिडी और अनुदान:
- अगर कोई किसान 20 लाख रुपये तक की मशरूम उत्पादन यूनिट लगाता है, तो सरकार केंद्र और राज्य स्तर पर 40% सब्सिडी (8 लाख रुपये) प्रदान करती है.
प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता:
- कृषि विज्ञान केंद्रों और अन्य संस्थानों के माध्यम से मशरूम खेती की नई तकनीकों की जानकारी दी जाती है.
- किसानों को विपणन सहकारी समितियों और ई-मार्केट प्लेटफॉर्म से जोड़ा जा रहा है, ताकि उन्हें उचित मूल्य मिल सके.
मशरूम की बढ़ती मांग और फायदे
मशरूम में प्रोटीन, विटामिन और खनिजों की प्रचुरता होती है, जिससे यह घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है.
- मशरूम का उपयोग कई प्रकार के व्यंजनों में किया जाता है.
- यह स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है और कई बीमारियों से बचाव करता है.
- बढ़ती डिमांड के कारण यह किसानों के लिए एक लाभकारी व्यवसाय बन गया है.
कैसे करें मशरूम की खेती शुरू?
प्रारंभिक जानकारी:
स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करें और मशरूम की खेती का प्रशिक्षण लें.
झोपड़ी निर्माण:
बांस की झोपड़ी बनाएं, जिसमें पर्याप्त नमी और अंधकार हो.
6-8 इंच मोटी कंपोस्ट की परत तैयार करें.
बीज लगाना:
मशरूम के बीज को कंपोस्ट पर बिछाएं और उसे ढक दें.
देखभाल:
40-50 दिनों तक नियमित नमी और तापमान की निगरानी करें.
बिक्री और मार्केटिंग:
स्थानीय बाजारों के अलावा ई-मार्केट प्लेटफॉर्म का उपयोग करें.
अभिषेक जैसे प्रगतिशील किसान यह साबित कर रहे हैं कि थोड़े से प्रयास और सरकारी सहायता से किसान अपनी आय को दोगुना कर सकते हैं. मशरूम की खेती न केवल एक लाभकारी व्यवसाय है, बल्कि यह अन्य किसानों को पारंपरिक खेती से हटकर एक नया विकल्प प्रदान करता है. अगर आप भी मशरूम की खेती शुरू करना चाहते हैं, तो यूपी सरकार की योजनाओं का लाभ उठाएं और अपनी आमदनी बढ़ाएं.