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सामूहिक विवाह योजना में धांधली! गाजियाबाद में 150 से ज्यादा शादियां फर्जी पकड़ी गईं, बहू को ही बना दिया बेटी

मयंक गौड़

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उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में बीते साल आयोजित किए गए सामूहिक विवाह योजना में बड़ी धांधली सामने आई है. लोकायुक्त के आदेश पर हुई जांच में 150 से ज्यादा शादियां फर्जी पाई गई हैं. काफी भव्य तरीके से यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसमें गरीब मजदूरों की बेटियों की 3000 से ज्यादा सामूहिक शादियां कराई गई थीं. इनमें से कई शादी करने वाली युवतियां ऐसी हैं जिनकी कई साल पहले ही शादी हो चुकी थी. उनकी भी दोबारा शादी करा दी गई, जबकि कुछ ऐसे भी हैं, जिनकी शादियां हुई नहीं सिर्फ फोटो खिंचवाने के लिए शादी हुई और फिर योजना में मिलने वाले पैसे हड़प लिए गए.

दलालों ने भी लोगों को पैसों का लालच देकर फर्जी शादियां कराईं और मिलने वाले पैसों का बंदरबाट कर डाला. इस मामले में लोकायुक्त के जांच के आदेश पर गाजियाबाद डीएम ने जांच के बाद करीब 800 पेज की गोपनीय रिपोर्ट लोकायुक्त लखनऊ को भेजी है, जिसके बाद अब मामले में बड़ी कार्रवाई की उम्मीद है.

82 हजार रुपये की मिलती है मदद

दरअसल, गाजियाबाद में 24 नवंबर को श्रम विभाग द्वारा करीब 3000 से ज्यादा सामूहिक शादियां कन्या विवाह योजना के अंतर्गत कराई गई थीं. इस योजना में गरीब मजदूरों की बेटियों को शादी के लिए 82 हजार रुपये की मदद मिलती है, जिसमें से 65 हजार रुपये शादी के लिए अनुदान, 10 हजार रुपए दूल्हा-दुल्हन के कपड़ों के लिए और 7 हजार रुपए अन्य व्यवस्थाओं के लिए मिलते हैं. हालांकि, इसके लिए शर्त है कि उन श्रमिकों का श्रम विभाग में रजिस्ट्रेशन 356 दिन पुराना होना चाहिए.

हालांकि, इस मामले में वर्तमान उप श्रम आयुक्त गाजियाबाद का कहना है कि उनके यहां के तैनाती से पूर्व का यह मामला है, जिसमें प्रशासन द्वारा जांच की गई है और जो भी जरूरी कागजात और डिटेल्स उनसे मांगी गई थी, उनके विभाग द्वारा प्रशासन को भेजी गई है. हालांकि, फर्जीवाड़े के इस पूरे मामले पर अधिकारी ज्यादा बोलने से बचते हुए नजर आए.

शिकायतकर्ता ने क्या बताया?

वहीं, इस मामले में कुछ मजदूर महिलाओं द्वारा भी गाजियाबाद प्रशासन से जांच की मांग की गई थी, जिनका कहना है कि उनके नाम से फर्जी तरीके से रजिस्ट्रेशन कराकर योजना के लाभ की रकम निकाल ली गई. इस मामले के मुख्य शिकायतकर्ता किसान नेता गजेंद्र शर्मा ने बताया कि उनके द्वारा गाजियाबाद डीएम को मामले में शिकायत दी गई थी और कई बार ज्ञापन भी सौंपें गए थे.

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आरोप है कि डीएम द्वारा मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई और उनकी शिकायत को दंत कथा बता दिया. जिसके बाद उन्होंने लोकायुक्त लखनऊ से इस मामले में शिकायत की और लोकायुक्त के आदेश के बाद गाजियाबाद प्रशासन द्वारा मामले की जांच शुरू की गई.

शिकायतकर्ता का कहना है कि 175 में से 171 शिकायत सही पाई गई. हमने खुद लोगों तक जाकर दलालों के नाम और फर्जी बाड़े की जानकारी पता की और पूरी जानकारी प्रशासन को उपलब्ध कराई, जिसमें कई हैरान करने वाले मामले थे. इसमें कई लाभार्थियों को योजना का लाभ भी नहीं मिला, लेकिन उनके रुपये दलालों और अधिकारियो ने आपस में बांट लिए. कई ऐसी शादियां भी हो कराई गईं, जिनकी शादी कई साल पहले हो चुकी है, जिसमें कुछ के जोड़ो के बच्चे भी हो चुके थे.

उन्होंने आगे बताया कि एक ही परिवार में उन लड़कियों की भी शादी कर दी गई, जो लड़कियां वास्तव में थीं ही नहीं. सिर्फ कागजों पर ही यह शादियां कर पैसों का बंदरबाट कर लिया गया. कुछ मामलों में बहू को ही बेटी दिखाकर और विवाह कराकर पैसे हड़पे गए. दलालों ने गरीब मजदूरों को नाम और कागज इकट्ठे कर उन्हे योजना में रजिस्टर्ड कर उनके बच्चों की शादियां कराईं, लेकिन पूरी रकम तक लाभार्थियों को नहीं मिली. इसके रुपये भी दलाल खा गए.

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शिकायतकर्ता किसान नेता गजेंद्र शर्मा का कहना है कि इस मामले में अब गाजियाबाद डीएम को खुद ही संज्ञान लेकर जांच करानी चाहिए थी, क्योंकि जब उनके द्वारा की गई महज 175 शिकायत में से 171 सही पाई गई है तो समझा जा सकता है कि कितना बड़ा घोटाला किया गया होगा?

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