इसके बाद जब डॉक्टरों ने उसका चेकअप किया तो कुछ और ही कहानी सामने आई.
बता दें कि डॉक्टरों ने इस प्लास्टिक सी दिखने वाली ‘बच्ची’ परीक्षण कर उसे प्लास्टिक का खिलौना करार दिया.
मिली जानकारी के अनुसार, बढ़पुरा विकासखंड के ग्राम रमी का बर में एक महिला को शादी के 18 साल बीत जाने के बाद भी बच्चे का जन्म नहीं हुआ था. ऐसे में उसे ताने झेलने पड़ते थे.
तानों से बचने के लिए महिला ने गर्भपातका नाटक रचा. फिर 6 महीने बीत जाने के बाद उसने पेट दर्द का बहाना बनाकर गर्भपात की बात कही.
गर्भपात के बाद प्लास्टिक की गुड़िया को रंगने और विकृति कर यह बताने की कोशिश की गई कि ‘अधूरे बच्चे’ का जन्म हुआ है.
डॉक्टर ने यह भी बताया इस महिला को शादी के काफी समय बाद भी बच्चे का जन्म नहीं हुआ और बांझपन के ताने से मुक्ति पाने के लिए उसने यह स्वांग रचा.