ट्रांस इंडिया 2019 की मिस टेलेंटेड रहीं देवयानी मुखर्जी महाकुंभ में किन्नर अखाड़े की साध्वी! ये कहानी वायरल है

आनंद राज

प्रयागराज स्थित महाकुंभ में आईआईटी बाबा अभय सिंह, 'सुंदर साध्वी' के रूप में चर्चित हर्षा रिछारिया और माला बेचने वालीं मोनालिसा को लेकर लोग कई तरह की प्रतिक्रिया दी रहे हैं. वहीं, इन सब के बीच किन्नर अखाड़े की दो किन्नरों की भी बहुत चर्चा है. जानें दोनों की कहानी.

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Sadhvi Devyani Mukharjee
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Mahakumbh News 2025: प्रयागराज स्थित महाकुंभ में इन दिनों एजुकेटेड बाबा और महिलाओं की सुंदरता खूब वायरल हो रही है. आईआईटी बाबा अभय सिंह, 'सुंदर साध्वी' के रूप में चर्चित हर्षा रिछारिया और माला बेचने वालीं मोनालिसा को लेकर लोग कई तरह की प्रतिक्रिया दी रहे हैं. वहीं, इन सब के बीच किन्नर अखाड़े की दो किन्नरों की भी बहुत चर्चा है. एक महामंडलेश्वर हैं तो दूसरी साध्वी हैं. सबसे बड़ी बात महामंडलेश्वर काफी पढ़ी लिखी हैं और आईटी क्षेत्र में जॉब भी कर चुकी हैं. वहीं, दूसरी साध्वी ग्रेजुएट और इलेक्शन कमिशन की आइकॉन हैं. आगे इस खबर में आप आप दोनों की कहानी विस्तार से जानिए.

बता दें कि महामंडलेश्वर इंदुनंद गिरी दिल्ली की रहने वाली हैं. इन्होंने 12वीं पास करने के बाद ग्रेजुएशन किया. फिर आईटी फील्ड में जॉब की. यह मेकअप आर्टिस्ट भी रहा चुकी हैं. मगर शुरू से ही इनका लगाव सनातन धर्म से रहा है और पूजा पाठ भी करती आई हैं. यही कारण रहा कि इंदुनंद गिरी आईटी फील्ड छोड़कर किन्नर अखड़े में शामिल हो हैं. मौजूदा वक्त में इंदुनंद गिरी किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर हैं. अब सनातन धर्म का प्रचार प्रसार कर रही हैं. 

 

 

किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर इंदुनंद गिरी कहती हैं, "हर किन्नर दर्द झेलकर आता है. किन्नर के जीवन में दर्द बचपन से ही शुरु हो जाता है. जैसे ही वह बड़ा होते जाता है, आसपास के समाज के तने और पड़ोस का डर सताता रहता है. जब किन्नर स्कूल भी जाता है, स्कूल में भी उसके साथ खराब व्यवहार किया जाता है. ये सब हम सभी किन्नरों के जीवन में है. हम लोगों को कोई ऐसा चाहिए होता है, जो हमारे दर्द को समझ सके. इसलिए हम लोग किन्नर अखाड़े में शामिल हो गए." 

महामंडलेश्वर इंदु गिरी ने कहा कि 'मैं जैसे-जैसे समझदार होने लगी, संत महात्मा से मिलने लगी. मेरा रुझान सनातन धर्म और हिंदुत्व की और बढ़ने लगा. यही वजह थी कि पूजा पाठ और यज्ञ करने लगी. मैंने धर्म का साथ कभी नहीं छोड़ा. मैं मां काली की भक्त हूं.  इसी वजह से मेरे मन को सुकून मिलता है. आईटी क्षेत्र में जॉब करते हुए मैंने धर्म का साथ कभी नहीं छोड़ा था."

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वहीं, इस तरह की कहानी दिल्ली से आईं देवयानी मुखर्जी की भी है, जो किन्नर अखाड़े की साध्वी हैं. इनका कहना है कि 'एक हर  किन्नर के जीवन में दर्द है. उससे होकर मैं भी गुजरी हूं.' 

 

 

मालूम हो कि देवयानी मुखर्जी किन्नर अखाड़े की साध्वी हैं और जल्दी ही वह महामंडलेश्वर भी बन सकती हैं. साध्वी देवयानी मुखर्जी ने 12वीं पास करने के बाद ग्रेजुएशन किया. वह साइंटिस्ट के साथ डॉक्टर बनना चाहती थीं, लेकिन लिंग भेद की वजह से आगे की पढ़ाई नहीं कर हैं. देवयानी नई दिल्ली की डिस्ट्रिक्ट इलेक्शन कमिशन की आइकॉन हैं. इन्होंने मॉडलिंग जी है. देवयानी ट्रांस इंडिया 2019 की मिस टेलेंटेड भी रही हैं.
 

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