बहराइच के जिस भरथापुर में नाव पलटने से डूबे 9 लोग, उस गांव को लेकर सिहर जाते हैं लोग, दर्दनाक कांड की पूरी कहानी
UP News: 29 अक्टूबर के दिन बहराइच के भरथापुर गांव में नाव पलटने से 9 लोगों की मौत हो गई थी, जिसमें 5 बच्चे भी थे. इस हादसे ने सभी को हिला कर रख दिया था. अब हम आपको इस गांव की ऐसी कहानी बताने जा रहे हैं, जिसे जान आप भी चौंक जाएंगे.
ADVERTISEMENT

UP News: बहराइच में 29 अक्टूबर के दिन एक नाव नदी में पलट गई और एक झटके में एक ही गांव के 5 बच्चों ने दुनिया छोड़ दी. इस हादसे में कुल 9 लोगों की मौत हुई और ये सभी एक ही गांव के थे. ये सभी बहराइच स्थित भरथापुर गांव के निवासी थे. भरथापुर नेपाल सीमा से भारत का पहला गांव है. नाव में सवार सभी लोग रोजमर्रा के समान की खरीदारी करके अपने घर-गांव लौट रहे थे. कुल 22 लोग इसमें सवार थे. चालक ने रास्ते में 6 लोगों को उनके अपने गांव उतार दिया था. बचे 16 लोगों को नाव लेकर आ रही थी. तभी ये नाव सूखे पेड़ से टकरा गई. इस दौरान ग्रामीणों ने किसी तरह से 7 लोगों को बचा लिया. मगर 9 लोगों को नहीं बचा पाए, जिसमें 5 बच्चे भी शामिल थे.
भरथापुर गांव के साथ जो हुआ, उसमें सरकार लापरवाही भी है शामिल
भरथापुर गांव तीन तरफ से भीषण जंगलों से घिरा हुआ है. ये वन ग्राम है, जो कतर्नियाघाट वाइल्ड लाइफ के अंदर आता है. कई सालों से इस गांव को जंगल से दूर बसाने की और यहां से विस्थापन की प्रकिया चल रही है. मगर वह सिर्फ सरकारी फाइलों में ही चल रही है. अब जब ये हादसा हुआ है, तो गांव को विस्थापन को मंजूरी मिली है और प्रशासन एक्शन मोड में आया है. बता दें कि इस गांव में 300 निवासी हैं.
भरथापुर गांव का नाम सुनकर सिहर जाते हैं लोग
अब हम आपको भरथापुर गांव के बारे में बताते हैं. दरअसल इस गांव का नाम सुनकर क्षेत्र के लोग सिहर जाते हैं. दरअसल यहां आना भी खतरे से खाली नहीं है. ये गांव तीन तरफ से खूंखार जानवरों और जंगलों से घिरा हुआ है. दूसरी तरफ नेपाली कौड़ियाला नदी की लहरों से हो रहा कटान ने इस गांव को समेटकर बेहद छोटा कर दिया है.
यह भी पढ़ें...
इस गांव में आपको सरकार के निशान बेहद ही कम दिखेंगे. सरकारी इमारत के नाम पर यहां सिर्फ कंक्रीट से बना प्राथमिक स्कूल है. यहां पढ़ाने वाला सरकारी टीचर भी अपनी जान पर खेलकर यहां आता है. दरअसल आस-पास टाइगर, जंगली हाथी जैसे खतरनाक जानवर हैं, जो कभी भी हमला कर देते हैं.
जंगली जानवरों का ही खौफ है कि इस गांव के लोग अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में उपयोग में आने वाले सामान को लेने के लिए घने जंगल को पार कर अपने जिले के बाजार नहीं जाते, बल्कि 7 किलोमीटर का सफर तय करके, लखीमपुर जिले की सीमा पर लगने वाले साप्ताहिक हाट खैरटिया की तरफ जाते हैं. यहां जाने का भी इकलौता जरिया भी नाव का सफर ही है. यहां सिर्फ 1 ही बड़ी नाव थी, जिसमें 20 से अधिक लोग आ सकते थे. बता दें कि ये ही नाव हादसे का शिकार हो गई.

सभी बच्चे एक ही परिवार के थे
इस हादसे में जिन 5 बच्चों की मौत हुई, वह सभी एक ही परिवार के हैं. ये परिवार था भरथापुर की महिला सोनापती का था. भरथापुर गांव सोनापती और उसकी बहन रमजइया का मायका है. घटना से एक दिन पहले उसकी बहन अपने बेटे और उसके दोनों मासूम बच्चों को लेकर छठ पूजा के लिए सोनापती के पास आई थी. सोनीपती की बेटी शांति भी अपने बच्चों को लेकर यहां आ गई थी.
घटना वाले दिन ये सभी लखीमपुर की तरफ नाव में बैठकर खरीदारी करने गए थे. जैसे ही नाव भरथापुर घाट पर पहुंची, तभी सूखे पेड़ से टकराकर पलट गई. आस-पास के लोगों ने सोनापती, उसकी बेटी शांति समेत सात लोगों को तो बचा लिया. मगर इस दर्दनाक घटना में सोनापती की बहन रमज़इया, रमज़इया की पोती-पोता ऋतु-ओमप्रकाश, सोनीपती का मासूम 9 वर्षीय पोता शिवम, उसकी चार वर्षीय नातिन दुर्गा की मौत हो गई. इसी के साथ नाव चालक मेहीलाल और शिवनंदन के साथ भरथापुर निवासी प्रमोद की पत्नी व उसकी भी मासूम बेटी की मौत हो गई. ॉ
एनडीआरएफ-एसडीआरएफ और पुलिस की टीम लगातार नदी में इन सभी के शवों को खोज रही हैं. बता दें कि अभी तक सिर्फ रमजइया का शव ही मिल सका है. जब उसका शव उसके गांव भेजा गया, तो वहां उसका अंतिम संस्कार करने वाला भी कोई नहीं था, क्योंकि उसका बेटा अपनी मां और दोनों बच्चों की मौत से टूट चुका था और अपने बच्चों के शवों की तलाश में रेस्क्यू वाली जगह पर था. जब बच्चों का शव नहीं मिला तब बेटे ने आकर मां का अंतिम संस्कार किया. 2 दिन तक महिला का शव गांव वाले संभालते रहे.
इस हादसे को लेकर श्रावस्ती जिले के मसढी गांव में अपनी बहन रमज़इया के अंतिम संस्कार में पहुंची नाव हादसे में घायल सोनापती ने यूपी तक से बात की. उन्होंने कहा कि अब इस गांव को हटाकर क्या होगा. हमारी पुरी दुनिया उजड़ गई. अब क्या हमारा पोता, नातिन और बहन, बहन का पोता-पोती वापस आ जाएंगे. अगर इस गांव को पहले से ही कही और बसा दिया जाता तो ये हादसा नहीं होता.











