गाजीपुर के इंजीनियर ने किया कमाल, 45 डिग्री सेल्‍सियस की गर्मी में उगा रहा है सेब

विनय कुमार सिंह

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Ghazipur News: सेब ऐसा फल है जो सेहत और स्वाद दोनों लिहाज से से सबको पसंद होता है, लेकिन भारत में सेब की पैदावार कश्मीर और हिमाचल में ज्यादा होती है. लेकिन गाजीपुर कोतवाली क्षेत्र के छावनी लाइन के सुनील कुशवाहा ने अपने छोटे से खेत के टुकड़े पर एक अनोखा प्रयोग किया है. 4 बीघे में फैले अपने खेत में उन्होंने एक खास प्रजाति के सेब की फसल लगाई है. जिसके बारे में दावा है कि ये ऑफ सीजन यानी गर्मियों में फल देगा. हिमाचल से लाए गए ये सेब के खास पौधे गर्मी के दिनों में ही फल देते हैं. फिलहाल सुनील परंपरागत खेती करने वाले किसानों को नि:शुल्क ट्रेनिंग देने का भी विचार कर रहे हैं.

तीन साल पहले की थी शुरुआत

गाजीपुर, छावनी लाइन के रहने वाले सुनील कुशवाहा बताते हैं कि सेब की फसल गाजीपुर में उगाने का सिलसिला करीब 3 साल पहले शुरू हुआ, जब वह हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में गए थे. वहां उन्हें जानकारी मिली कि हरमन शर्मा नाम के एक वैज्ञानिक ने हर्मन P99 नामक सेब की एक नस्ल तैयार की है. जो 45 डिग्री के तापमान वाले इलाके में भी फल देने वाला पौधा है. सुनील ने हिमाचल के कांगड़ा जिले से सेब का पौधा मंगवाया। उन्होंने उसे अपने छोटे से खेत में लगवाया.

45 डिग्री के तापमान में फल देने वाला पौधा

सुनील बताते है कि उन्होंने फिलहाल 222 सेब के पौधों को 10 x10 फुट के क्षेत्रफल में लगाया है. जब उन्होंने हिमाचल से ये पौधे मंगवाए थे उस वक्त एक पौधे की कीमत 350 रुपए थी. सुनील के अनुसार अब जैसे-जैसे शोध बढ़ रहा है. वैसे-वैसे पौधे के रेट कम होते जा रहे हैं. अब इस नस्ल के सेब के पौधे 100 से लेकर 300 रुपए के बीच आसानी से मिल जाते हैं. सुनील बताते हैं कि उनके खेत में अभी 222 पौधे लगे हैं जो उन्होंने व्यवसायिक दृष्टि से लगाया है. सुनील बताते है कि पिछले साल इन पौधों में कुछ खास फल नहीं लगे थे, लेकिन इस बार फल अच्छे आए हैं.एक एक पौधे में पचास से ज्यादा फल आए हैं. अब उत्साहित सुनील अपने जिले के किसानों को यह संदेश देना चाहते हैं कि गेहूं और धान की पारंपरिक खेती के साथ वह ऐसी खेती करें जिससे उन्हें ज्यादा मुनाफा हो. इसके लिए वो किसानों को इसकी ट्रेनिंग निशुल्क देंगे.

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ऑर्गेनिक खेती में हासिल करना चाहते हैं मुकाम

सुनील के अनुसार उन्होंने बीटेक की पढ़ाई की हुई है. लेकिन ऑर्गेनिक खेती में वह हमेशा से अपना करियर बनाना चाहते थे. इसी को देखते हुए उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र गाज़ीपुर से ऑर्गेनिक खेती में औपचारिक ट्रेनिंग ली. इसके साथ ही साथ मध्य प्रदेश के रहने वाले सुभाष पालेकर के सानिध्य में भी उन्होंने ऑर्गेनिक खेती के गुण सीखें. सुभाष पालेकर को ऑर्गेनिक खेती में विशिष्ट सेवा के लिए और पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है.

हर पेड़ मिलते हैं इतने फल

सुनील बताते हैं कि सेब के पौधों में पिछले साल उम्मीद से कम फल लगे थे. फलों का आकर छोटा था. उन्होंने बताया इस साल उनके खेत के हर पेड़ पर खूब फल आए हैं और हर पेड़ से 50 से ज्यादा फल यहां तक की 70 से 100 फल तक निकलने की उम्मीद है. उन्हें उम्मीद है कि इस साल अच्छा मुनाफा होगा. सुनील के अनुसार कश्मीर और हिमाचल के बागानों से निकले सेब सर्दियों में लोकल मंडी में बिकने के लिए आते हैं. गर्मियों में सेबो की कीमत औसत ने 200 रुपए तक चली जाती है, क्योंकि ये सेबों के लिए ऑफ सीजन होता है, ऐसे में उनके खेतों / फार्म हाउस से निकले सेबों को बेचकर इस बार वह मोटा मुनाफा कमाएंगे.

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सुनील ने बताया कि अब तक वह सब की खेती को एक प्रयोग के तौर पर कर रहे थे. लेकिन अब पैदावार देखकर वह इस सेब की खेती को विस्तार देंगे. गाजीपुर में गर्मियों में तापमान 45 डिग्री तक चला जाता है. हरमन P 99 नस्ल के इस सेब को उगने के लिए यह एक आदर्श मौसम है. तीन साल पहले जब वह सेब की खेती करने की योजना अपने जानने वालों से साझा किए. तो लोगों ने इस निर्णय को आर्थिक दृष्टि से अव्यावहारिक बताया था. लेकिन, अब दूर दूर से लोग सुनील के यहां इस सेब की फसल को देखने और इसके बारे में जानने आते हैं.

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