चाहे जो फैसला आए पर एक जून की गाजीपुर से चुनाव लड़ते दिखेंगे अफजाल अंसारी! कैसे होगा ये, जानिए

संजय शर्मा

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Afzal Ansari
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Afzal Ansari: गाजीपुर लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार अफजाल अंसारी चुनावी रण में खड़े हो पाएंगे या नहीं? इसको लेकर काफी चर्चाएं चल रही हैं. दरअसल इलाहाबाद हाईकोर्ट कृष्णानंद राय हत्याकांड मामले में सुनवाई कर रहा है. इस मामले में गाजीपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट मुख्तार अंसारी को जहां 10 साल की सजा दे चुकी है तो वही मुख्तार के भाई अफजाल अंसारी को भी 4 साल की सजा दे चुकी है. इस सजा के खिलाफ अफजाल अंसारी सुप्रीम कोर्ट चले गए थे. सुप्रीम कोर्ट ने अफजाल अंसारी को थोड़ी राहत देते हुए ये मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट भेज दिया था और निर्देश दिया था कि इस मामले में फैसला 1 जून तक आ जाए.  

इसी बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने भी इलाहाबाद हाईकोर्ट में अफजाल अंसारी के खिलाफ याचिका लगाई थी.  यूपी सरकार का कहना था कि इस मामले में अफजाल अंसारी को भी 10 साल की सजा दी जाए. हाई कोर्ट ने दोनों मामलों को क्लब कर दिया था. तभी से अफजाल अंसारी के चुनाव लड़ने पर संकट पैदा हो गया था.

अब क्या होगा अफजाल अंसारी का?

कानूनी के जानकारों की माने तो अगर अफजाल अंसारी के खिलाफ 1 जून को हाई कोर्ट का फैसला आ भी जाता है और उन्हें 2 साल या उससे अधिक की सजा मिल भी जाती है, फिर भी अफजाल अंसारी लोकसभा चुनाव लड़ पाएंगे. बता दें कि यहां बात सिर्फ अफजाल अंसारी के चुनाव लड़ने को लेकर हो रही है. अगर कोर्ट का फैसला अफजाल के खिलाफ आता है और उन्हें 2 साल से अधिक की सजा मिलती है. इसी बीच अगर अफजाल चुनाव जीत भी जाते हैं, तो उस दौरान अफजाल की सांसद सदस्यता रद्द हो जाएगी.

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कानूनी के जानकारों का मानना है कि जब तक फैसला आएगा, तब तक मतदान का दिन आ जाएगा और गाजीपुर में वोटिंग चल रही होगी. जानकारों की माने तो जनप्रतिनिधि अधिनियम की धारा-8 में इसका जिक्र है. अधिनियम में कहा गया है कि अगर 2 साल या उससे ज्यादा की सजा सुनाई जाए तो कोई भी सांसद या विधायक अपने पद से अयोग्या हो जाता है. सजा पूरी होने के 6 साल बाद तक वह चुनाव नहीं लड़ सकता है.

मगर अफजाल अंसारी का मामला अलग है. अफजाल अंसारी ने गाजीपुर लोकसभा सीट से अपना नामांकन दाखिल कर दिया है. उनका नाम भी गाजीपुर से प्रत्याशियों के नामों में आ गया है. ऐसे में अफजाल अंसारी चुनावी प्रक्रिया का हिस्सा तो रहेंगे ही. दरअसल एक बार जब चुनावी प्रक्रिया शुरू हो जाती है, तो उसे रोका नहीं जा सकता. यहां तक की अगर वोटिंग के दौरान या उसके बाद किसी राष्ट्रीय पार्टी के उम्मीदवार का निधन हो जाता है, तब भी चुनाव रोके नहीं जाते, लेकिन अगर वोटिंग के पहले प्रत्याशी का निधन हो जाता है, तो चुनाव रद्द हो जाते हैं. 

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अफजाल अंसारी के चुनाव पर कोई असर नहीं पड़ेगा

कानून के जानकारों का ये भी मानना है कि जिस रफ्तार से कोर्ट में सुनवाई चल रही है, उससे भी मुश्किल लगता है कि मामले का फैसला 1 जून तक आ पाएगा. दूसरी तरफ अगर 31 मई तक अफजाल अंसारी के खिलाफ फैसला लिख लिया जाता है, तो भी कोर्ट फैसले की घोषणा करने में समय ले सकती है और तब तक यानी 1 जून तक गाजीपुर में वोटिंग हो जाएगी.

2 साल से ऊपर की मिली सजा तो आगे जाकर फंस सकते हैं अफजाल अंसारी

बता दें कि अभी तो अफजाल अंसारी चुनाव लड़ लेंगे. मगर उनकी नजर इस केस में लगी रहेगी. दरअसल अगर अफजाल अंसारी चुनाव जीत जाते हैं. मगर चुनाव बाद कोर्ट उन्हें 2 साल से अधिक की सजा सुना देता है, ऐसे में अफजाल अंसारी की सांसद सदस्यता खत्म हो जाएगी. इसलिए अफजाल अंसारी की इस केस में मुश्किलें बरकरार रहेंगी.
 

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