मुलायम सिंह और अखिलेश यादव के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला बंद करने से SC का इनकार

संजय शर्मा

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यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) और उनके परिवार के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला बंद करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है. अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले की अगले साल जनवरी में सुनवाई करेगा. जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ये तय करेगा कि सीबीआई रिपोर्ट के आधार पर इस मामले की सुनवाई बंद की जाए या नहीं.

सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान यादव परिवार की ओर से कपिल सिब्बल ने मामले की सुनवाई बंद करने की गुहार लगाई. उन्होंने कहा कि 2019 में सीबीआई हलफनामा दाखिल कर कह चुकी है कि केस की जांच वो बंद कर चुकी है, क्योंकि अब मामले में कुछ नहीं बचा है.

वहीं याचिकाकर्ता कांग्रेस नेता विश्वनाथ चतुर्वेदी ने इसका विरोध करते हुए कहा कि ऐसे क्लोजर रिपोर्ट देना सीबीआई मैन्युअल के खिलाफ है. चतुर्वेदी के वकील ने कहा कि केंद्रीय सतर्कता आयुक्त को बताए बिना ऐसा नहीं किया जा सकता था.

इस पर सीजीआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि मुलायम सिंह यादव भले दुनिया में नहीं रहे हों, लेकिन परिवार के दूसरे सदस्यों पर भी तो मामला है. हम सर्दियों की छुट्टी के बाद जनवरी में मामले की सुनवाई करेंगे.

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दरअसल, अप्रैल 2019 में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव और उनके बेटे अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को राहत देते हुए सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के आरोपों को साबित नहीं किया जा सका है. लिहाजा एजेंसी ने 7 अगस्त 2013 को प्रारंभिक जांच बंद कर दी थी.

चतुर्वेदी का दावा है कि सीबीआई ने 2009 में एक अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी, जिसमें मीडिया में चलाई गई रिपोर्ट को निराधार बताया गया. उस वक्त मीडिया में मुलायम सिंह के हवाले से सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट अदालत में दाखिल होने की बात उड़ाई गई थी.

यह मामला सीबीआई के उस अभियान से जुड़ा था, जिसमें सीबीआई मुलायम सिंह यादव के आय के घोषित स्रोतों से कई गुना अधिक संपत्ति का खुलासा कर रही थी. अब अखिलेश यादव बार-बार ये कह रहे हैं कि उनके परिवार के खिलाफ सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट लगाकर अपनी जांच बंद कर दी है.

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चतुर्वेदी का दावा है कि जांच अभी जारी है और सीबीआई ने कोई क्लोजर रिपोर्ट दाखिल नहीं की है. चतुर्वेदी ने अपने पूरक हलफनामे में सीबीआई कोर्ट को बताया है कि जांच एजेंसी सीबीआई अभी भी अपनी 2007 की रिपोर्ट पर कायम है.

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