ज्ञानवापी केस की पोषणीयता पर फैसले को लेकर ओवैसी बोले- बाबरी मस्जिद फिर रिपीट होगा

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ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी केस में वर्ष 1991 के प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट और ऑर्डर 7 रूल 11 की रोशनी में वाराणसी की जिला अदालत ने माना कि ये केस सुनने के योग्य है. अदालत के इस फैसले के बाद एआईएमआईएम (All India Majlis-e-Ittehadul Muslimeen) चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि इसकी इजाजत से बाबरी दोहराई जाएगी. गौरतलब है कि अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 24 अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था. 12 सितंबर को दोपहर 2 बजे अदालत ने अपना फैसना सुनाया है.

फैसले के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए ओवैसी ने कहा- सुप्रीम कोर्ट ने क्या बाबरी मस्जिद के मामले में कहा था कि 1991 का एक्ट संविधान के बेसिक स्ट्रक्चर का हिस्सा होगा. कोर्ट को इन चीजों को इनिशियल स्टेज पर रोक लगाना चाहिए. आपने दरवाजा खोल दिया.

यहां वीडियो में सुनिए असदुद्दीन ओवैसी ने क्या कहा….

गौरतलब है कि ज्ञानवापी मामले में सर्वे के आदेश के बाद मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. यहां मामले पर तुरंत सुनवाई कर सर्वे पर रोक लगाने की बात की गई थी. हालांकि सर्वे के बाद मामले पर सुनवाई हुई और सर्वोच्च अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद में मिले कथित शिवलिंग की सुरक्षा के साथ नमाज न रोकने और वजू के लिए अस्थाई बंदोबस्त का आदेश डीएम को दिया. अदालत ने केस जिला जज वाराणसी को ट्रांसफर कर दिया था. साथ ही सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि डीजे की प्राथमिकता के आधार पर रखरखाव का मुद्दा तय किया जाएगा.

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सुनवाई के दौरान तीन जजों की पीठ ने पहले सभी पक्षकारों के वकीलों के बारे में जाना. उसके बाद ऑर्डर 7 नियम 11 के बारे में बताते हुए कहा कि ऐसे मामलों को जिला न्यायाधीश को ही सुनना चाहिए. वाराणसी की जिला अदालत में मामले की सुनवाई शुरू हुई. सुनवाई इस बात पर थी कि क्या ये केस 1991 के प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट और ऑर्डर 7 नियम 11 के तहत सुनने लायक है या नहीं. केस की पोषणीयता के मामले में दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी दलीलें दी.

यहां जानिए क्या है प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट जिसका जिक्र ओवैसी कर रहे हैं…

यहां पढ़िए ऑर्डर 7 रूल 11 क्या है ?

ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी केस सुनवाई योग्य, कोर्ट ने सुनाया फैसला, मुस्लिम पक्ष को लगा झटका

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