करंट ने छीने हाथ फिर वसीम ने पैरों से शुरू किया लिखना, अब मिला आर्टिफिशियल हैंड का गिफ्ट

आमिर खान

पुरानी कहावत है इंसान अपनी तकदीर अपने हाथों से लिखता है लेकिन यह कहावत झूठ कर दिखाई एक बच्चे ने. बच्चा अभी स्कूल में है,…

ADVERTISEMENT

UP Tak
social share
google news

पुरानी कहावत है इंसान अपनी तकदीर अपने हाथों से लिखता है लेकिन यह कहावत झूठ कर दिखाई एक बच्चे ने. बच्चा अभी स्कूल में है, लेकिन जज्बा ऐसा है कि हर कोई हैरान है. दरअसल, वसीम अली दिव्यांग हैं, उनके दोनों हाथ नहीं हैं. इसके बावजूद स्कूल जाते हैं. अपना होमवर्क भी खुद ही करते हैं. इतना ही नहीं स्कूल में होने वाली प्रतियोगिताओं में भी पार्टिसिपेट करते हैं और अव्वल भी आते हैं.

हादसे ने बदल दी जिंदगी

2019 में वसीम अली दूसरे बच्चों की तरह ही उसकी जिंदगी भी सामान्य थी. लेकिन इसी दौरान वह हादसे के शिकार हो गया. हाईटेंशन लाइन की चपेट में आने से उसके दोनों हाथ पूरी तरह जल गए. डॉक्टरों को उसके दोनों हाथ काटने पड़े. वहीं इस हादसे के बारे में वसीम के पिता हिदायत अली ने बताया कि मुझे गांव वालों ने बताया कि आपके बच्चे को हाईटेंशन लाइन की चपेट आ गया है, यह सुनते ही मेरे होश उड़ गए थे. मैंने अपने बच्चे को लेकर पहले अलीगढ़ गया फिर वहां से दिल्ली. दिल्ली में डॉक्टरों को बच्चे का हाथ काटना पड़ा.

पैरों से लिखता है वसीम

हादसे के बाद वसीम पढ़ने की ललक में स्कूल जाने की जिद करने लगा. बिना हाथों के बच्चे को पढ़ाने के लिए स्कूल वालों ने भी मना कर दिया. लेकिन इस बच्चे ने हिम्मत नहीं हारी और अपने पैरों से लिखना शुरू कर अपने हौसलों को जता दिया. एक साल की कड़ी मेहनत के बाद बच्चा अपने पैरों से लिखने लगा. आखिर में दिव्यांग बच्चे को स्कूल में एडमिशन मिला तो पढ़ाई तक ही सीमित नहीं रहा. बल्कि सामान्य बच्चों के बीच दौड़ में फर्राटे भरकर उसने यह साबित कर दिखाया कि वह जिंदगी की दौड़ में किसी से पीछे रहने वाला नहीं है.

यह भी पढ़ें...

सपनों को लगे पंख

वहीं हर घर तिरंगा कार्यक्रम में हुई स्कूली बच्चों की मार्च में वसीम बिना हाथों के ही अपने जोश के सहारे तिरंगा थामे हुए था. तब वहां मौजूद जिलाधिकारी रामपुर रविंद्र कुमार मांदड़ की नजर उस पर पड़ गई और उसकी देशभक्ति से ज़िलाधिकारी आकर्षित हुए बिना नहीं रह सके. उन्होंने, वसीम के पिता को अपने कार्यालय बुलाया और फिर उसके जीवन में उम्मीद की किरण जागाई. डीएम ने बच्चे के कृत्रिम हाथ बनवाने के लिए परिवार को करीब 6 लाख रुपयों की व्यवस्था कराई. वहीं वसीम के पिता ने बताया कि इन हाथों से बच्चा खाना खा सकता है, लिख सकता है, पानी पी सकता है, जो अपने जरूरी काम है वह कर सकता है. दिव्यांग होते हुए भी वसीम हाथ वालों के लिए नजीर बना हुआ है. मुश्किल हालात में भी कभी उसने हार नहीं मानी और हौसले बुलंद रखें. धीरे-धीरे वह अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है.

    follow whatsapp