UP में मदरसों के सर्वे पर सियासत, जानें योगी सरकार का क्या है तर्क और किसे-क्या है आपत्ति

अभिषेक मिश्रा

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उत्तर प्रदेश की योगी सरकार (Yogi Adityanath Government) के मदरसों के सर्वे के बीच जमीयत उलेमा-ए-हिंद की बैठक में सियासी बवाल शुरू कर दिया है. जहां सरकार ने एक बार फिर से इस सर्वे के जरिए आंकड़े जुटाने की बात कही है तो वहीं मदरसों में पढ़ाने वाले मौलाना सरकार की मंशा पर सवाल कर रहे हैं.

यूपी में 15613 सरकारी मान्यता प्राप्त मदरसे हैं लेकिन गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का आंकड़ा फिलहाल सरकार के पास नहीं है. अब इस सर्वे को लेकर मुस्लिम धर्मगुरु इसके मंसूबे पर सवाल खड़े कर रहे हैं.

यूपी तक से बात करते हुए यूपी के अल्पसंख्यक राज्यमंत्री दानिश आजाद अंसारी (Danish Azad Ansari) ने कहा कि यह सर्वे मुस्लिम नौजवान की तरक्की के लिए जरूरी है, जो समय पर होगा. यह सरकार, सब की सरकार है और अल्पसंख्यक समाज के लिए सरकार गंभीर है जिसके लिए सबका सहयोग चाहिए. मंत्री ने जमीयत की बैठक पर कहा कि इस मुद्दे पर कोई भी चर्चा कर सकता है. अपना विचार रख सकता है. यह सरकार का मदरसों को बर्बाद नहीं, आबाद करने का प्लान है. एक शिकायत आई थी कि लखनऊ के मदरसे में एक बच्चे को जंजीर से बांधा गया था, इसके बाद ही सर्वे हो रहा है.

अंसारी ने आगे कहा,

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“सरकार की कोशिश है कि मदरसों में छात्रों की संख्या, शिक्षकों की स्थिति, इंफ्रास्ट्रक्चर को जाना जाए, इस पर सवाल करना ठीक नहीं. अगर मदरसों में कोई घटना हो या शिकायत आए तो उसकी जिम्मेदारी सरकार की होती है, इसीलिए सर्वे के जरिए ये आंकड़ा जानना जरूरी है. मदरसों के मामले में कोई दखल नहीं होगा. सरकार केवल अपनी योजनाओं से इन्हें जोड़ने की कोशिश कर रही है.”

दानिश आजाद अंसारी

मदरसों के मौलानाओं की राय जानने के लिए यूपी तक की टीम लखनऊ के शैकूल आलम सबरिया मदरसे में पहुंची, जहां जमीयत उलेमा की बैठक के बीच लखनऊ के मदरसों के मौलाना और छात्रों ने सरकार के सर्वे पर सवाल किया है. मौलाना इश्तियाक अहमद कादरी ने सरकार के सर्वे पर कहा कि अगर नियत ठीक है तो उसका स्वागत, लेकिन मदद से पहले से ही कई परेशानियों से जूझ रहे हैं.

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मौलाना ने कहा कि साढ़े 16 हजार मदरसों में से केवल पांच सौ को सरकार की मदद मिलती है, बाकी सब चंदे के सहारे चल रहे हैं. ऐसे में उन पर सवाल करना ठीक नहीं है. मदरसों के पास पाने के लिए कुछ नहीं और खोने के लिए सब कुछ है. मदरसों को लेकर सरकार का अनुभव पहले अच्छा नहीं रहा. ऐसे में भरोसा करना मुश्किल है.

उन्होंने आगे कहा कि सरकारी स्कूलों में पहले से ही पढ़ाई नहीं हो रही. ऐसे में मदरसों के हालात को बेहतर करने के लिए सरकार ने क्या किया है. जब सरकार स्कूलों को प्राइवेट कर रही है तो प्राइवेट तौर पर चल रहा है. सरकार मदरसों पर क्यों सवाल कर रही है, जो बिना मदद के शिक्षा दे रहे हैं.

एक मौलाना ने ये भी कहा कि घटनाएं कहां पर नहीं होतीं, कई कोचिंग सेंटर्स में बच्चों को पीटा गया. वहां कोई कार्रवाई नहीं हुई, लेकिन मदरसे पर सवाल किया गया. बच्चों को दलित होने के नाम पर पीटकर मारा गया, उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. लेकिन पहले 16000 मदरसों की स्थिति और उनके शिक्षकों के लिए सरकार ने क्या किया है?

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वहीं मदरसों में पढ़ रहे बच्चों ने कहा कि हम यहां की तालीम से खुश हैं और इस पर सवाल नहीं होना चाहिए. हजरत और उस्ताद बखूबी पढ़ाते हैं. घटनाएं सब जगह होती हैं, लेकिन मदरसों की तालीम को लेकर के सवाल नहीं होना चाहिए. यहां की तालीम बेहतर है और कोई दिक्कत नहीं है.

यूपी तक की टीम इसके बाद बाराबंकी के बंकी ब्लॉक में दारुल अशाद मदरसे में पहुंची, जहां पर पुरानी पद्धति के चलते मदरसों की पढ़ाई चल रही थी. साल 1966 से चल रहे इस मदरसे में 100 से ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं और इसका संबंध ना तो सरकार से है ना ये मान्यता प्राप्त है. योगी सरकार ऐसे ही मदरसों पर सर्वे करके जानने की कोशिश करना चाहती है कि ऐसे मदरसों की स्थिति क्या है. यहां कितने बच्चे पढ़ते हैं, शिक्षकों का क्या मापदंड है.

दूसरी तरफ जमीयत उलेमा-ए-हिंद की बैठक का समर्थन करते हुए प्रवक्ता दारुल उलूम फरंगी महल मौलाना सुफियान निजामी ने कहा कि जमीयत देश की बड़ी मुसलमानों की संस्था है, जो उनके हित में काम कर रही है. अगर जमीयत की बैठक में यह मुद्दा उठा है तो इस सर्वे पर इस पर अंदेशा है. ऐसे में इसका विरोध सही है और इस पर चर्चा जरूरी है.

साथ ही कहा कि लखनऊ की घटना का जिक्र करके सर्वे की बात करना एक बहाना है. अगर मदरसों के सर्वे से कुछ हालत बदलते तो पहले ही मदरसे बहाल होते, सरकार पर जो मुसलमानों का भरोसा बन रहा था, उसको भी ठेस पहुंच रही है, जो मदरसे के नाम पर अब सियासत कर रहे हैं.

यूपी में इस मामले पर सियासत भी तेज हो गई है. कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने कहा कि अगर यूपी सरकार मदरसों का सर्वे कर रही है तो बाकी शिक्षा के केंद्रों का भी करें. जैसे मदरसे का अर्थ उर्दू में शिक्षा का केंद्र है, वैसे ही शिशु मंदिर, प्राइवेट स्कूलों का भी सर्वे किया जाए. देश के संविधान के तहत नियम-कानून सब पर बराबरी से लागू होने चाहिए.

वहीं यूपी बीजेपी प्रवक्ता समीर सिंह ने कहा कि जमीअत उलेमा-ए-हिंद की सोच दकियानूसी है. सरकार सबके लिए सोचती है. ऐसे में सर्वे पर सवाल करना गलत है. सरकार लगातार उनके लिए काम कर रही है. ऐसे में मौलाना और मौलवी शिक्षा को धर्म के चश्मे से नहीं बल्कि शिक्षा की नजर से देखें.

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