गोला उपचुनाव: ‘बहार गंज में बहार नहीं बाघ आते हैं, गुड़ से मीठे हो गए हैं नेता’ जानें कैसे?

अभिषेक वर्मा

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लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Kheri news) जिले के गोला विधानसभा उपचुनाव (Gola assembly by-election) में यूपी तक की टीम उस गांव में पहुंची जिसका नाम ‘बहार गंज’ है. नाम बहार गंज है पर बहार यहां से कोसों दूर दिखाई दे रहा है. यहां के लोगों का कहना है कि बहार तो नहीं आई नहीं आई पर बाघ जरूर आ रहे हैं. यहां के लोग डरे-सहमे रहते हैं.

बहारगंज की रहने वाली पंमी देवी ने बताया कि जिंदगी में बहार नहीं आई. गांव में फसल डूब जाती है. गरीबों की नेता कहां सुनते हैं. विवेक कुमार ने बताया कि न गन्ना का पेमेंट हुआ है न रोजगार है. फसल डूब जा रही है. गांव की हालत खराब है. एक महिला जोगिता ने बताया कि खेती थोड़ी बहुत है जो डूब गई है. बाघ आ गया और मकान में घुस गया. इस घर से 15-15 दिन घरों में दुबके रहते हैं.

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गन्ना कम मीठा है और नेता ज्यादा मीठे हो गए हैं

यूपी तक की टीम गोला विधानसभा में एक ऐसे स्थान पर पहुंची जहां गन्ना से गुड़ बन रहा था. वहां रिपोर्टर ने गन्ना पेराई के लिए चल रहे स्पेलर के ओनर शमशुद्दीन से बात की. शमशुद्दीन ने कहा कि गुड़ की मीठास बारिश की वजह से हल्की फुल्की है. यानी गन्ने की पैदावार पर बारिश का असर आया है. काफी समय लगता है तो गुड़ बन पाता है.

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गन्ने की मीठास तो कम हो गई पर चुनावी माहौल में नेता जरूर गुड़ से मीठे हो गए हैं. ये मीठास 3 नवंबर तक रहेगी. उसके बाद ये मीठास खत्म हो जाएगी और फिर नेता मिर्ची से भी तीखे हो जाएंगे. गन्ने का पेमेंट काफी देर से मिल रहा है. पैसा गोला मील में फंसा हुआ है. एक बीघे में 50 क्विंटल गन्ना निकलना चाहिए. निकल रहा है 10 क्विंटल. आवारा पशु गन्ने की खेती को काफी नुकसान पहुंचाते हैं.

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