क्या DM ने निभाई दुश्मनी और आजम खान पर कराया था FIR? जानें सरकारी वकील क्या बोले

आमिर खान

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UP News: समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान को रामपुर की एमपी एमएलए कोर्ट ने हेट स्पीच मामले में बरी कर दिया है. इसी मामले में निचली अदालत से सजा मिलने के बाद आजम खान की विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई थी और उनकी विधायकी चली गई थी. इसे आजम खान के लिए बड़ी राहत के तौर पर देखा जा रहा है. इसी बीच दावा किया जा रहा है कि जिस अधिकारी ने इस मामले में आजम खान के खिलाफ केस दर्ज करवाया था, उसने उस समय के जिला निर्वाचन अधिकारी के दबाव में आकर ऐसा किया था. तो कई दावे ऐसे भी किए जा रहे हैं कि केस दर्ज करवाने वाले मुद्दई ने ही केस वापस ले लिया है.  

इन दावों की सच्चाई जानने के लिए यूपीतक ने इस केस में कोर्ट में सरकार की तरफ से पैरवी करने वाले ज्वाइंट डायरेक्टर प्रॉसीक्यूशन शिव प्रकाश पांडे से बात की. इस दौरान उन्होंने कई अहम बाते बताई. जानिए उन्होंने क्या कहा. 

संयुक्त निदेशक अभियोजन ने बताई ये अहम बात

संयुक्त निदेशक अभियोजन अधिकारी शिव प्रकाश पांडे ने बताया कि आजम खान को भड़काऊ भाषण देने के मामले में सजा हुई थी. उस दौरान कोर्ट ने साक्ष्यों का संपूर्ण और समग्र रूप से मूल्यांकन किया था. अभियोजन पक्ष द्वारा जो दलीले दी गई थी, जो दस्तावेज साक्षी प्रस्तुत किए गए थे, उसी को देखते हुए कोर्ट ने ये फैसला खुद ही सुनाया था. फैसला आने के बाद विरोधी पक्ष की तरफ से भी कुछ नहीं कहा गया था. इसके बाद बचाव पक्ष इस फैसले के खिलाफ एमपी एमएलए कोर्ट चला गया था. यहां पर दोनों पक्षों में बहस हुई.  

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इस दौरान कोर्ट ने आदेश देते हुए आजम खान को दोष मुक्त करने का आदेश जारी कर दिया. मेरा मानना है कि कोर्ट का यह आदेश साक्ष्यों का टुकड़ों में विश्लेषण करके दिया गया है. शिव प्रकाश पांडे ने आगे कहा कि मेरा मानना यह है कि साक्ष्यों की समग्रता पूर्वक और संपूर्ण रूप से विवेचन करनी चाहिए. सबूतों की टुकड़ों में विवेचना नहीं करनी चाहिए.  

इस फैसले के खिलाफ करेंगे अपील

इस दौरान संयुक्त निर्देशक अभियोजन अधिकारी ने ये भी कहा कि कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सरकारी की तरफ से उच्च न्यायालय में अपील की जाएगी. इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार पूरे जोर के साथ अपील दायर करेंगी. इसकी तैयारियां भी शुरू कर दी गई हैं. 

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क्या दबाव देकर लिखवाई गई थी आजम खान के खिलाफ FIR

दावा किया जा रहा है कि केस दर्ज करवाने वाले अधिकारी ने कोर्ट में कहा है कि उसने जिला निर्वाचन अधिकारी के दबाव में आजम खान के खिलाफ केस दर्ज करवाया था. इस सवाल पर निदेशक अभियोजन अधिकारी ने कहा, ये गलत है. उस समय लोकसभा चुनाव हो रहा था. उस दौरान जिला मजिस्ट्रेट यानी डीएम की भूमिका चुनाव आयोग के निर्देशन में जिला निर्वाचन अधिकारी की होती है. इस दौरान सारे फैसले चुनाव आयोग की तरफ से लिए जाते हैं. अधिकारियों का काम चुनाव आयोग के निर्देशों का पालन करना होता है.

उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि इस केस में कई ऐसी बाते भाषण के दौरान की गई थी जो हेट स्पीच में आती हैं. चुनाव आयोग के मानक का अगर उल्लंघन होगा तो कार्रवाई होगी. एक पूरी वीडियो टीम होती है, जो भाषणों पर नजर रखती है. ये टीम भी सभी तरह की प्रक्रियाओं को पार करती है. जाहिर सी बात है, चुनाव आयोग के निर्देशन में जिला निर्वाचन अधिकारी का यह दायित्व बन जाता है कि वह कार्रवाई करें.

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उन्होंने आगे कहा कि यह कोई मर्डर का केस नहीं है कि कोई दबाव दे आकर केस दर्ज करवा दें. इन केसों का आधार वीडियो होता है, जो प्रशासन के पास कंप्यूटर में सुरक्षित होती हैं. इसलिए मेरी नजर में किसी भी प्रकार के दबाव में आकर ये सब किया, ये बात कहना बेकार की बात है.

‘केस वापस लेने का काम राज्य सरकार का है’

बता दें कि कुछ जगह ये भी चर्चाएं चल रही हैं कि आजम खान के खिलाफ इस केस में दर्ज एफआईआर वापस ली जा रही है. इस पर निर्देशक अभियोजन अधिकारी ने बताया कि केस वापस लेने का काम राज्य सरकार का है. अगर अपराध होता है तो राज्य सरकार पैरवी करती है. राज्य के खिलाफ अपराध होने पर सरकार खुद केस लड़ती है. मेरे मुताबिक, ये अफवाह है. केस वापस नहीं होगा. उच्च कोर्ट में अपील की तैयारी की जा रही है.

क्या तत्कालीन डीएम की कोई भूमिका थी?

कहा जा रहा है कि तत्कालीन डीएम ने आजम खान को रंजिश के तहत फंसाया. इस मामले पर शिव प्रकाश पांडे ने कहा कि इस केस को जबरन रंजिश का रूप दिया जा रहा है. मेरी नजर में ऐसा कुछ नहीं है. उस समय के डीएम जिला निर्वाचन अधिकारी थे. उनका काम शांतिपूर्ण चुनाव करवाना था. उस चुनाव में आजम खान की जीत हुई थी. जिला निर्वाचन अधिकारी का काम होता है कि कोई फसाद या दंगा न हो. शातिभंग न हो. ऐसे में कुछ कार्रवाई भी की जाती है.

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