फिरोजाबाद: बुखार से तपते बच्चे, अस्पताल में बेड नहीं! रोते परिजन लगा रहे OPD के चक्कर

सुधीर शर्मा

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फिरोजाबाद के सत्येंद्र के दो बच्चे हैं, दोनों बीमार हैं. पूरी रात माथे पर पट्टी रखते बीत रही पर बुखार नहीं उतर रहा. 100 शैय्या अस्पताल (बच्चा वॉर्ड) में अपने बच्चों को लेकर आए कि एडमिट करा लेंगे. पर यहां आदेश मिला कि 36 नंबर पर जाओ. यही हाल अपने दोनों सुमन लता और फिरोजाबाद की उस बुजुर्ग महिला का है, जिनके आंसू उन्होंने बोलने तक नहीं दे रहे है. सभी को 36 नंबर जाने को कहा जा रहा है. ऐसी कहानियां यहां बहुतों की है. ये 36 नंबर असल में ओपीडी है, जो अस्पताल से करीब आधे किलोमीटर की दूरी पर है. पढ़िए बुखार से जूझते फिरोजाबाद के बच्चों पर यूपी तक की ग्राउंड रिपोर्ट:

फिरोजाबाद में वायरल बुखार से पीड़ित बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है. मेडिकल कॉलेज प्रशासन की मानें, शनिवार तक बुखार पीड़ित 429 बच्चे बच्चा वार्ड में भर्ती हैं. वही, मृतकों की संख्या 57 पहुंच गई है. मेडिकल कॉलेज के 100 शैया हॉस्पिटल (बच्चा वार्ड) के बाहर जमा हुए लोगों ने आरोप लगाया कि उनके बच्चे को बुखार है और उन्हें मेडिकल कॉलेज में प्रवेश नहीं दिया जा रहा है. बार-बार ओपीडी में जाने के लिए कहते हैं, जो यहां से करीब 500 मीटर की दूरी पर है. ओपीडी में भी भारी भीड़ लगी हुई है.

बाहर इलाज कराने के पैसे और इलाज लायक व्यवस्था, दोनों नहीं
बुखार के तपते बच्चों को राहत दिलाने के लिए मेडिकल कॉलेज पहुंचे परिजनों की परेशानियों का कोई अंत नहीं है. यहां मेडिकल कॉलेज में उन्हें एडमिट नहीं लिया जा रहा, को बाहर महंगे प्राइवेट अस्पतालों में जाने के लिए पैसे नहीं हैं. इसके अलावा ग्रामीण इलाकों में तो इलाज की व्यवस्था भी नहीं है. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में ताले लगे होने की रिपोर्ट पिछले दिनों यूपी तक ने प्रमुखता से दिखाई भी थी.

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झोलाछाप डॉक्टरों पर हुई है सख्ती: जिला प्रशासन ने छोटे-छोटे इलाकों में झोलाछाप डॉक्टरों पर सख्ती कर दी है. बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे प्राइवेट क्लीनिको को बंद कराया जा रहा है. अब यहां दिखा रहे लोग भी मेडिकल कॉलेज का रुख कर रहे हैं.

वहीं, राजकीय मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य संगीता अनेजा कह रही हैं कि मेडिकल कॉलेज में मरीजों को भर्ती किया जा रहा है. उन्होंने बताया, ‘अभी 429 मरीज भर्ती भी हैं. यह बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर निर्णय लेते हैं कि किस मरीज को भर्ती होना है या किसको नहीं होना है. हल्का बुखार आने पर रोगी को भर्ती करने की जरूरत नहीं रहती है. लगभग 180 पेशेंट रोज आ रहे है. अगर कोई सीरियस पेशेंट है, तो यहां भर्ती कर रहे हैं. अगर नॉर्मल पेशेंट है, हल्का-फुल्का बुखार है, तो उसे भर्ती की आवश्यकता नहीं है. अनावश्यक भर्ती करने से कोई फायदा नहीं है. इसीलिए मना किया है.

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