मैनपुरी उपचुनाव: डिंपल बोलीं- ‘हमारी यह जीत नेता जी को श्रद्धांजलि है’, अखिलेश ने ये कहा

मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में सपा उम्मीदवार डिंपल यादव ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी बीजेपी के रघुराज सिंह शाक्य को करारी शिकस्त दी है. उन्होंने रघुराज सिंह…

यूपी तक

• 12:54 PM • 08 Dec 2022

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मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में सपा उम्मीदवार डिंपल यादव ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी बीजेपी के रघुराज सिंह शाक्य को करारी शिकस्त दी है. उन्होंने रघुराज सिंह शाक्य को दो लाख 88 हजार 461 मतों से हराया.

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डिंपल ने कहा, “मैंने कहा था कि मैनपुरी की जनता इतिहास रचने का काम करेगी और आज जनता ने इतिहास रच दिया. यह जीत नेताजी की जीत है और हमारी यह जीत नेताजी को श्रद्धांजलि के तौर पर उन्हें समर्पित है.”

वहीं समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश ने कहा, “जिन लोगों ने वोट देकर नेताजी को श्रद्धांजलि दी है, मैं उन सभी का आभार प्रकट करता हूं. मैं इस जीत के लिए पार्टी के सभी नेता और कार्यकर्ताओं का भी आभार प्रकट करता हूं.”

मैनपुरी से डिंपल के जीतने के बाद अखिलेश ने एक ट्वीट कर कहा कि ये जीत मैनपुरी के मतदाताओं की नेताजी को सच्ची श्रद्धांजलि है. इस जीत ने नकारात्मक राजनीति को पराजित किया है.

बता दें कि मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में डिंपल यादव ने 618120 वोट हासिल किए, जबकि बीजेपी के रघुराज शाक्य को 329659 मत मिले. डिंपल को 64.08 प्रतिशत और रघुराज शाक्य को 34.18 फीसदी वोट मिले.

मैनपुरी लोकसभा सीट सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के कारण रिक्त हुई थी. इस सीट के उपचुनाव के तहत सोमवार, 5 दिसंबर को मतदान हुआ था. समाजवादी पार्टी ने सपा के अध्यक्ष अखिलेश की पत्नी और मुलायम की बहू डिंपल यादव को प्रत्याशी बनाया था.

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के शत्रुघ्न सिंह चौहान को तीन लाख 64 हजार 666 मतों से पराजित किया था.

इससे पहले साल 2004 के लोकसभा चुनाव में भी मुलायम सिंह यादव तीन लाख से ज्यादा मतों से जीतने में कामयाब रहे थे. उस चुनाव में उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के अशोक शाक्य को 37 हजार 870 मतों से हराया था.

मुलायम सिंह यादव साल 2014 में मैनपुरी और आजमगढ़, दोनों ही सीटों से लोकसभा चुनाव जीते थे. बाद में उन्होंने मैनपुरी सीट छोड़ दी थी, जिस पर हुए उपचुनाव में उनके पौत्र तेज प्रताप सिंह यादव भी तीन लाख से ज्यादा वोटों से जीते थे.

उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के प्रेम सिंह शाक्य को तीन लाख 21 हजार 249 वोटों से हराया था. उस वक्त प्रदेश में सपा की सरकार थी.

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