Maha kumbh 2025: आने वाले महाकुंभ में सभी संत-महात्मा डुबकी लगाने को तैयार हैं. तैयारियों की जोर-आजमाइश भी शुरू हो गई है. आम जनमानस के बीच नागा साधु-संत भी दिखने लगे हैं. हाथी-घोड़े पर सवार, तलवार भांजते हुए तमाम नागा संत शहर में प्रवेश कर रहे हैं. लेकिन इन्हें देखकर एक सवाल अक्सर उठता है कि क्या नागा परंपरा में महिला साध्वियां भी होती हैं?
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जूना अखाड़े की महंत दिव्या गिरी ने इस सवाल का जवाब देते हुए बताया कि नागा परंपरा में महिला साध्वियों का स्थान है. लेकिन उन्हें सार्वजनिक रूप से नहीं लाया जाता. समाज की पारंपरिक सोच और पुरुष प्रधान मानसिकता के कारण ऐसा होता है. यही वजह है कि नागा बाबा तो सड़कों पर दिख जाते हैं, लेकिन नागा साध्वियां एक रहस्य बनी रहती हैं.
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी का दावा है कि नागा परंपरा में महिला साध्वी नहीं होतीं. यह केवल पुरुषों की परंपरा है. समाज की लोक-लज्जा और परंपरा के कारण महिला नागा साध्वी सार्वजनिक रूप से नहीं दिखतीं.
महिला नागा साध्वी को लेकर साधु-संतों की बातों से यह समझ आता है कि सार्वजनिक रूप से नागा महिला साध्वी नहीं दिखतीं. हालांकि नागा परंपरा में इसकी व्यवस्था है. माना जाता है कि अगर कोई महिला नागा साध्वी होती हैं तो वे कंदराओं और गुफाओं में रहती हैं. फिलहाल यह एक रहस्य है. नागाओं की दुनिया रहस्यों से भरी हुई है.
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