ग्लोबल इन्वेस्टर समिट: राष्ट्रपति को इस बार नहीं दी जाएगी लखनऊ शहर की चाभी, जानें वजह

शिल्पी सेन

• 09:31 AM • 08 Feb 2023

‘माननीय आपका लखनऊ शहर में स्वागत है. ये शहर आपका है….’  ये कहने के साथ ही खास तौर पर बनी चांदी की पॉलिश की हुई…

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‘माननीय आपका लखनऊ शहर में स्वागत है. ये शहर आपका है….’ 

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ये कहने के साथ ही खास तौर पर बनी चांदी की पॉलिश की हुई करीब एक फुट की चाभी देकर देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के स्वागत की अद्भुत परम्परा इस बार लखनऊ नहीं निभा पाएगा. उत्तर प्रदेश में नगर निगमों का कार्यकाल खत्म होने के बाद अभी चुनाव नहीं हुए हैं. ऐसे में मेयर (Mayor) के पद से जुड़ी इस परम्परा का निर्वाह नहीं हो पाएगा.

ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को 12 फ़रवरी को समापन समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर आना है तो वहीं समिट का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे. ये परम्परा है कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री जब भी शहर में पहुंचते हैं, एयरपोर्ट पर उनका स्वागत शहर के प्रथम नागरिक के तौर पर मेयर भी करते हैं. मेयर उनको शहर की चाभी सौंपते हैं.

इसके पीछे ये माना जाता है कि ‘ये शहर आपका है. आपको शहर की चाभी दे दी गई है. आप अपनी इच्छाअनुसार कहीं भी जा सकते हैं.’

दरअसल, ये सम्मान और स्वागत की वो परम्परा है जो काफी समय से चली आ रही है. कहते हैं कि राजा-रजवाड़ों ने इसे अपने साम्राज्य के क़िले के गेट से जोड़ा. यानि कोई दूसरे मित्र राज्य का राजा आए तो क़िले के गेट खोलने के साथ ही प्रतीक तौर पर चाभी दी जाती. अवध के नवाबों के समय में ये परम्परा जारी रही. यही नहीं अंग्रेजों को भी ये परम्परा खूब भायी, बल्कि इतिहासकार तो इस परम्परा को यूरोपियन कल्चर से जोड़ते हैं.

आज़ादी के बाद भी इसे जारी रखा गया. यानि आज़ादी के बाद लगातार 75 साल तक जब भी देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या कोई विदेशी राष्ट्राध्यक्ष आए तो उनको स्वागत के लिए सम्मान स्वरूप शहर की चाभी दी गयी. लखनऊ की मेयर रहीं संयुक्ता भाटिया कहती हैं ‘ये एक परम्परा है और मेरा सौभाग्य है कि मुझे राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को शहर की चाभी सौंपने का मौक़ा मिला.’

राष्ट्रपति के प्रोटोकॉल के ब्लू बुक में बकायदा इसका उल्लेख है कि किसी राज्य में जाने पर राज्यपाल, फिर राज्य के मुख्यमंत्री और तीसरे नम्बर पर शहर के मेयर राष्ट्रपति का स्वागत करने के लिए उपस्थित होंगे. एयरपोर्ट पर इसी क्रम में ये लोग खड़े होते हैं. स्वागत में शहर के मेयर उनको प्रतीक के रूप में चाभी देते हैं.

इस चाभी के ख़रीद की ज़िम्मेदारी नगर निगम की होती है. ये चाभी क़रीब एक फुट की होती है जिसपर चांदी का पॉलिश होती है. इसे फ़्रेम में सजाकर देने की परम्परा है. इस बारे में बक़ायदा नियम हैं. इसे शहर के प्रथम नागरिक के तौर पर मेयर ही देता है.

दरअसल, स्वागत के इस प्रोटोकॉल पर उस समय बहुत चर्चा हुई थी जब बीएसपी की सरकार थी और मायावती मुख्यमंत्री थीं. उस समय यूपी के पूर्व डिप्टी सीएम डॉ दिनेश शर्मा लखनऊ के मेयर थे. मायावती सरकार में स्वागत में मंत्रियों के खड़े होने की बात हुई. उस पर ये राष्ट्रपति के प्रोटोकॉल बुक को देखा गया, जिसमें किसी राज्य में जाने पर राज्य के राज्यपाल, उनके बाद मुख्यमंत्री और उनके बाद उस शहर में प्रथम नागरिक यानि मेयर का उल्लेख देखा गया.

यूपी में नगर निकाय चुनाव अभी नहीं हुए हैं पर नगर निगमों का कार्यकाल ख़त्म हो गया है. सीटों आरक्षण पर कोर्ट के फ़ैसले के बाद अभी चुनाव नहीं हुआ है. ऐसे में ज़िलों में जिलाधिकारी के नेतृत्व में समिति बनी है जो नगर निगम प्रशासन को देख रही है. पर चाभी सौंपने और राज्यपाल, मुख्यमंत्री के बाद क्रम में स्वागत का अधिकार मेयर के पास होने की वजह से चाभी नहीं दी जा सकेगी.

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